पूरा देश वैश्विक आपदा कोविड-19 से जूझ रहा है। लोगों के सुरक्षा की दृष्टि से एक के बाद एक चार लॉकडाउन पूरे हुए। 31 मई को लॉकडाउन-4 के खत्म होने के बाद हम सब लॉकडाउन 5 की उम्मीद कर रहे थे, पर मन में कहीं न कहीं आशंका थी कि कुछ रियायत मिलेगी। धीरे धीरे दुकानों का खूलना, घरेलू विमानों, रेलगाड़ी का दौडना, इसके बाद भी उम्मीद थी, 31 मई को लॉकडाउन-4 की समाप्ति के बाद लॉकडाउन-5 की घोषणा होगी ₹, लेकिन ये क्या अनलॉक-1, सच कहूं तो कल आंख के आगे अंधेरा छा गया। तीन महीने से घर मे बैठे लोगों को अचानक बोल दिया गया, निकलो बाहर होटल भी घूम आओ, स्कूल कॉलेज भी जाओ, मंदिर जाओ, घर में रहकर बोर हो गए हो तो शिमला ऊटी भी घूम आओ।आंखों के आगे ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ फिल्म का वो दृश्य घूम गया, जिसमें अमरीशपुरी पूरी फिल्म में काजोल का हाथ पकड़े रहते हैं, पर अंत में ट्रेन रफ्तार पकड़ लेती है तो हाथ छोड देते हैं और कहते हैं, ‘जा सिमरन जा …जी ले अपनी जिंदगी’। जब बहुत कम लोग संक्रमित थे तो लॉकडाउन और आज जब संक्रमितों की संख्या बढ गई है ऐसे मे अनलॉक? इस फैसले से निःशब्द हूं मैं।
हमारे छत्तीसगढ़ मे भी कोरोना वायरस पूरी तरह पैर पसार चुका है। हर जिले, हर संभाग में पीड़ित हैं। ग्रीन जोन को ऑरेंज फिर रेड जोन में परिवर्तित होने मे समय नहीं लग रहा है। पहले लोग घरों से बाहर निकलने कसमसाते थे और अब, अब तो खुली आजादी, ऐसे मे क्या लॉकडाउन उठाने का क्या यह सही समय है? पहले यह कहा गया था कि लोगों को घरों में रोककर अस्पताल में अचानक भीड उमडने की समस्या से बचा जा सकता है। क्या अब हमारे अस्पतालों मे इतनी सुविधा है? विशेषज्ञों का कहना है कि लॉकडाउन हटाने के बाद कोविड-19 मरीजों की संख्या में अचानक इजाफे की आशंका है।तब यह महामारी और खतरनाक रुप दिखा सकती है और वैक्सीन आने का नाम ही नहीं ले रही है। क्या इन परिस्थितियों के लिए हम सब तैयार हैं?
वायरस के लाइफ साइकल को ब्रेक करने के लिए क्या ये लॉकडाउन कारगर था? या हमने कितना इसका पालन किया है? लॉकडाउन मे हमने अपनी सुविधाओं को कितना समेटा है? ये प्रश्न आपको स्वयं से पूछना है। प्रकृति बदल गई है, पर्यावरण बदल गया है, इसके मजे तो हमने बहुत लिए पर क्या खुद को बदलकर अपने परिवार को, अपने राज्य को, अपने देश को मजा उठाने का सुख हम देंगे? या फिर कोविड-19 को मजा उठाने देंगे? फैसला आपके ऊपर है दोस्तों, क्योंकि आनेवाला समय हम सबके लिए बहुत भयावह और डरावना होगा क्योंकि हमें बाहर भी निकलना है और अपनी सुरक्षा भी स्वयं को ही करना है। आपको यह आजादी खुशी दे सकती है पर .. आपको आजादी कैसी चाहिए, यह आपको तय करना पडेगा।
अंत मे तो यही कहूंगी अपना ख्याल रखें ।
-डॉ सुनीता मिश्रा