सावन मास के आरंभ के साथ ही शिवालयों और मंदिरों में शिवभक्त अपने आराध्य भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए उमड़ पड़ते हैं। कोई जल, बेलपत्र और पुष्प अर्पित कर अपनी भक्ति प्रदर्शित करता है तो कोई अभिषेक कर भगवान शिव की कृपा का प्रसाद पाना चाहता है।
सावन मास में भगवान शिव के पूजन अर्चन का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार पूरा सावन मास भगवान शिव को समर्पित है। लेकिन पिछले डेढ़ साल से कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए लागू किये गए प्रतिबंधों और गाइडलाइन के कारण धार्मिक स्थलों में सीमित संख्या में ही श्रद्धालुओं के प्रवेश की अनुमति है। जिससे शिवभक्तों में निराशा का भाव है और वे घर पर रहकर ही शिवभक्ति में लीन हैं।
सावन मास के आरंभ के साथ ही मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित स्वयं सिद्ध गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में विभिन्न कार्यक्रमों और अनुष्ठानों का आयोजन शुरू हो जाता है। सावन मास के प्रत्येक दिन भगवान गुप्तेश्वर महादेव का अलग-अलग श्रृंगार किया जाता है।
गुप्तेश्वर मंदिर के पं योगेंद्र त्रिपाठी महाराज ने बताया कि सावन मास के पहले दिन भगवान शिव का गणेश श्रृंगार किया जाता है। गणेश श्रृंगार के बाद भगवान शिव की नयनाभिराम छवि देखते ही बनती है। गुप्तेश्वर महादेव को रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का उपलिंग भी माना जाता है।