रायपुर (हि.स.)। लोकसभा चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मुश्किलें बढ़ गई हैं। महादेव सट्टा ऐप केस में आर्थिक अपराध शाखा और एसीबी ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की शिकायत पर छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, ऐप प्रमोटर सौरभ चंद्राकर, रवि उप्पल समेत कई अज्ञात पुलिस अफसर और कारोबारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। यह एफआईआर महादेव बेटिंग ऐप के मालिकों से 508 करोड़ रुपये प्रोटेक्शन मनी लेने के मामले में प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने बघेल को राजनांदगांव से लोकसभा का उम्मीदवार बनाया है।
जानकारी के अनुसार ईओडब्ल्यू और एसीबी ने एफआईआर ईडी द्वारा कोर्ट में पेश की गई चार्जशीट के आधार पर दर्ज की है। यह एफआईआर 4 मार्च को दर्ज की गई थी, लेकिन इसका खुलासा अब हुआ है। ईडी ने अपनी चार्जशीट में दावा किया है कि भूपेश बघेल और उनके सरकार के कई मंत्रियों और प्रशासनिक अधिकारियों को महादेव बेटिंग ऐप ने करोड़ों रुपये प्रोटेक्शन मनी दी है। ईडी ने चंद्राकर और उप्पल के करीबी असीम दास को तीन नवंबर को रायपुर के एक होटल की पार्किंग से गिरफ्तार किया था। इस दौरान असीम दास की गाड़ी और घर से पौने तीन करोड़ रुपये बरामद किए थे। असीम ने बयान में कहा था कि वो ये पैसे किसी भूपेश बघेल को देने आया था। इसी दौरान असीम ने यह राजफाश किया था कि वो अबतक 508 करोड़ रुपये भूपेश बघेल को पहुंचा चुका है। इसी आधार पर भूपेश बघेल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
शाखा के एक अधिकारी ने बताया कि छत्तीसगढ़ में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने ईडी द्वारा सौंपी गई जांच रिपोर्ट के आधार पर कथित महादेव ऑनलाइन सट्टेबाजी घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है। ईडी एक साल से अधिक समय से महादेव ऐप से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच कर रही है। राज्य की आर्थिक अपराध शाखा/भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को सौंपी गई रिपोर्ट के आधार पर, 4 मार्च को यहां ईओडब्ल्यू पुलिस स्टेशन में बघेल और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
कांग्रेस नेता भूपेश बघेल और ऐप के प्रमोटरों रवि उप्पल, सौरभ चंद्राकर, शुभम सोनी और अनिल कुमार अग्रवाल के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है। इसके अलावा 14 अन्य को एफआईआर में आरोपित के रूप में नामित किया गया है। इस केस में कई नौकरशाहों, पुलिस अधिकारियों और ओएसडी को भी आरोपित बनाया गया है। भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं 120बी, 420 और 471 के तहत केस दर्ज किया गया है।