शिव का अर्थ होता है कल्याणकारी और भगवान शिव सबकी मनोकामना पूर्ण करते हैं। महाशिवरात्रि भगवान शिव के पूजन और आराधना का विशेष दिन होता है।
ऐसी मान्यता है कि कहा भोलेनाथ शिव का सच्चे मन से स्मरण करो तो शिव प्रसन्न हो जाते हैं। उनका पूजन भी बहुत सरल होता है, केवल जलाभिषेक, बिल्वपत्रों को चढ़ाने और रात्रि भर जागरण करने मात्र से भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं।
फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। इस बार महाशिवरात्रि गुरुवार के दिन पड़ रही है। इस दिन शिव की आराधना करने और उपवास रखने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होगी।
शिवपुराण में रात्रि के चारों प्रहर में शिव पूजा का विधान है। उपवास रखने वाले को फल, फूल, चंदन, बिल्व पत्र, धतूरा, धूप व दीप से रात के चारों प्रहर में शिवजी की पूजा करनी चाहिए साथ ही भोग भी लगाना चाहिए।
इसके साथ ही दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अलग-अलग तथा सबको एक साथ मिलाकर पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराकर जल से अभिषेक करें। चारों प्रहर की पूजा में शिवपंचाक्षर मंत्र यानी ॐ नम: शिवाय का जाप करें। अगले दिन प्रातः नहाकर भगवान शिव की पूजा करने के बाद व्रत का समापन करना चाहिए।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार 11 मार्च सुबह 9:24 बजे तक शिव योग रहेगा। उसके बाद सिद्ध योग लग जायेगा, जो कि 12 मार्च सुबह 8:29 बजे तक रहेगा। शिव योग में किए गए सभी मंत्र शुभ फलदायक होते हैं। इसके साथ ही रात 9:45 बजे तक धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा।
महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त:
महाशिवरात्रि तिथि- 11 मार्च 2021
महानिशीथ काल- 11 मर्च रात 11:44 बजे से रात 12:33 बजे तक।
निशीथ काल पूजा मुहूर्त- 11 मार्च देर रात 12:06 बजे से 12:55 बजे तक, अवधि 48 मिनट।
महाशिवरात्रि पारण मुहूर्त- 12 मार्च सुबह 6:36 बजे से दोपहर 3:04 बजे तक।
चतुर्दशी तिथि शुरू- 11 मार्च को दोपहर 2:39 बजे से
चतुर्दशी तिथि समाप्त- 12 मार्च दोपहर 3:03 बजे।