मकर संक्रांति यानि सूर्य देव की उपासना का महापर्व, सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे मकर संक्रांति कहते हैं। इस बार मकर संक्रांति गुरुवार 14 जनवरी को पूरे देश में धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाई जाएगी।
मकर संक्रांति को देश के विभिन्न क्षेत्रों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जो भी हो मकर संक्रांति का पर्व उमंग, हर्ष, उत्साह और हमारी संस्कृति का प्रतीक है। मकर संक्रांति पर सूर्यदेव दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। इससे रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं। वहीं इस दिन से मांगलिक और शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं।
मकर संक्रांति के दिन नदियों, सरोवरों तथा समुद्र के किनारे मेले-मढ़ई का आयोजन होता है। लोग पवित्र स्नान कर सूर्य देव को अर्ध्य अर्पित कर सूर्योपासना करता हैं और खिचड़ी और तिल के व्यंजनों का सेवन करते हैं। इस दिन विभिन्न स्थानों में पतंग महोत्सव भी मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन दान का विशेष महत्व है। इस दिन दान में आटा, दाल, चावल, खिचड़ी और तिल के लड्डू विशेष रूप से लोगों को दिए जाते हैं।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार मकर संक्रांति बेहद शुभ योग में मनाई जाएगी। मकर संक्रांति पर इस बार एक बेहद शुभ योग बन रहा है। मकर संक्रांति के दिन इस बार 5 ग्रह एक ही राशि, यानी मकर राशि में रहेंगे। विशेष संयोग के अंतर्गत सूर्य, शनि, बुध, गुरु और चंद्रमा मकर राशि में रहेंगे।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव सुबह 8:30 बजे धनु से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसी के साथ मकर संक्रांति की शुरुआत हो जाएगी। वहीं शाम के 5:46 बजे तक पुण्य काल रहेगा। माना जाता है कि पुण्य काल में स्नान-दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।