इस सप्ताह 23 नवंबर को अक्षय नवमी या आंवला नवमी का त्यौहार है। इस दिन का व्रत और पूजा करने से, पहले किए गए सभी व्रत और पूजा तर्पण आदि का फल अक्षय हो जाता है। आज के दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा की जाती है।
पं अनिल पाण्डेय ने बताया कि इसके पश्चात 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। अवध प्रांत में अर्थात लखनऊ के पास के हिस्से में इसे डिठवन या डिठौना भी कहते हैं।
कहते हैं कि इस दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में 4 माह के शयन के उपरांत निद्रा से जगे थे। भगवान विष्णु के शयन से उठने पर इस दिन से मांगलिक कार्यों का शुभारंभ भी होता है। इस दिन से विवाह आदि शुभ कार्य भी शुरू हो जाएंगे।
इसी दिन तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है। तुलसी जी की पूजा भी की जाती है। तुलसी जी की पूजा से समाज में तुलसी के पौधे की महत्ता को प्रतिपादित किया जाता है तथा लोगों से कहा जाता है इस पौधे में स्वास्थ्य वर्धक गुण हैं, अतः इस पौधे को लगाया जाए।
25 नवंबर को अर्थात कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को महाराष्ट्र के पंढरपुर में एक बड़ा मेला लगता है। पंढरपुर में भगवान पांडुरंग अर्थात भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर है। जोकि भीमा नदी के तट पर है। पंढरपुर को दक्षिण की काशी भी कहते हैं।
27 नवंबर को प्रदोष व्रत है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है।