नवंबर 2016 में केंद्र सरकार के नोट बंदी की घोषणा के बाद चलन में आया 2000 रुपये का नोट अब लेनदेन में कम दिखाई दे रहा है, क्योंकि केंद्र सरकार ने 2000 रुपये के नोट की छपाई दो साल पहले से रोक दी है।
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने सोमवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि अप्रैल 2019 से 2000 रुपये के करंसी नोटों की छपाई नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि 20 मार्च 2018 तक 2000 रुपये मूल्य वर्ग के 336.2 करोड़ कंरसी नोट चलन में थे, जोकि सिस्टम में कुल वॉल्यूम का 3.27 प्रतिशत है।
वहीं 26 फरवरी 2021 तक के आंकड़ों के अनुसार सर्कुलेशन में 2000 रुपये मूल्य वर्ग की 249.9 करोड़ करंसी थी, जो कि सर्कुलेशन में कुल कंरसी का 2.01 प्रतिशत रह गया है। वित्त राज्य मंत्री ने बताया कि रिजर्व बैंक के परामर्श के बाद सरकार एक खास मूल्यवर्ग के बैंक नोट की छपाई का फैसला करती है। इसमें जनता की तरफ से लेनदेन के संबंध में आ रही मांग को ध्यान में रखा जाता है।
रिजर्व बैंक ने 2019 में कहा था कि वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान 2000 रुपये मूल्य वर्ग के 354.29 करोड़ बैंक नोटों की छपाई की गई थी। हालांकि 2017-18 के दौरान 2000 रुपये के 11.15 करोड़ नए नोट और 2018-19 में 4.66 करोड़ नए नोटों की छपाई हुई।
गौरतलब है कि देश में 2000 रुपये के करंसी नोट पहली बार नंवबर 2016 में छापे गए। सरकार ने 500 और 1000 रुपये के करंसी नोटों को सर्कुलेशन से वापस लेने के बाद 2000 रुपये मूल्य वर्ग के नोट छापने का फैसला किया था। नोटबंदी का मकसद काला धन और जाली करंसी पर लगाम लगाना था।
इसके बाद में सरकार ने 500 रुपये के भी नए नोट सर्कुलेशन में उतारे हैं। लेकिन 1000 रुपये के बैंक नोट अभी तक दोबारा चल में शुरू नहीं किए गए हैं। फिलहाल देश में 2000 रुपये के अलावा 5, 10, 20, 50, 100 और 500 रुपये के नोट चलन में हैं।