नई दिल्ली (हि.स.)। रक्षा क्षेत्र को और ज्यादा आत्मनिर्भर बनाने के लिए शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में 39,125.39 करोड़ रुपये के चार अनुबंधों पर हस्ताक्षर किये गए। इनमें एक अनुबंध मिग-29 विमान के लिए एयरो-इंजन की खरीद के लिए एचएएल से किया गया है। दो अन्य समझौते लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के साथ क्लोज-इन वेपन सिस्टम और हाई-पावर राडार खरीदने के लिए हुए हैं। इसी तरह दो अनुबंध भारतीय रक्षा बलों के लिए जहाज से संचालित ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने के लिए किये गए हैं।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार मेक-इन-इंडिया पहल को बढ़ावा देने के लिए रक्षा मंत्रालय ने 01 मार्च को नई दिल्ली में 39,125.39 करोड़ रुपये के पांच प्रमुख पूंजी अधिग्रहण अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए। रक्षा मंत्री सिंह और रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने की उपस्थिति में अनुबंधों का आदान-प्रदान किया गया। ये सौदे रक्षा बलों की स्वदेशी क्षमताओं को और मजबूत बनाएंगे। इससे विदेशी मुद्रा की बचत होने के साथ ही भविष्य में विदेशी मूल के उपकरण निर्माताओं पर निर्भरता कम होगी। इसके अलावा इन परियोजनाओं से देश में प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
मंत्रालय के अनुसार मिग-29 विमानों के लिए आरडी-33 एयरो इंजन के लिए एचएएल के साथ 5,249.72 करोड़ रुपये की लागत का अनुबंध किया गया है। इन एयरो इंजनों का उत्पादन एचएएल के कोरापुट डिवीजन में किया जाएगा। इन एयरो इंजनों से पुराने हो रहे मिग-29 बेड़े की परिचालन क्षमता को बनाए रखने के लिए भारतीय वायु सेना की आवश्यकताएं पूरा होने की उम्मीद है। एयरो-इंजन का निर्माण रूसी ओईएम से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (टीओटी) लाइसेंस के तहत किया जाएगा। यह कार्यक्रम कई उच्च लागत वाले महत्वपूर्ण घटकों के स्वदेशीकरण पर ध्यान केंद्रित करेगा, जो आरडी-33 एयरो-इंजन के भविष्य की आवश्यकताओं और संपूर्ण देखभाल कार्यों के लिए देश में ही निर्मित सामग्री को बढ़ाने में मदद करेगा।
इसी तरह क्लोज-इन वेपन सिस्टम (सीआईडब्ल्यूएस) की खरीद के लिए लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के साथ 7,668.82 करोड़ रुपये की लागत से अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह सीआईडब्ल्यूएस देश के चुनिंदा स्थानों पर टर्मिनल एयर डिफेंस प्रदान करेगा। यह परियोजना भारतीय एयरोस्पेस, रक्षा और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम सहित संबंधित उद्योगों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देगी। इस परियोजना से पांच वर्षों की अवधि में लगभग 2,400 व्यक्ति प्रति वर्ष रोजगार सृजित किए जाएंगे।
हाई पावर रडार की खरीद के लिए लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के साथ 5,700.13 करोड़ रुपये की लागत से अनुबंध पर भी हस्ताक्षर किए गए हैं। यह उन्नत निगरानी सुविधाओं के साथ आधुनिक सक्रिय एपर्चर चरणबद्ध सरणी आधारित एचपीआर के साथ भारतीय वायु सेना के मौजूदा लंबी दूरी के राडार को बदल देगा। यह छोटे राडार क्रॉस सेक्शन लक्ष्यों का पता लगाने में सक्षम सेंसर के एकीकरण के साथ भारतीय वायुसेना की जमीनी वायु रक्षा क्षमताओं में काफी वृद्धि करेगा। इससे स्वदेशी राडार निर्माण प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि यह भारत में निजी क्षेत्र में निर्मित अपनी तरह का पहला राडार होगा।
ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीद के लिए ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (बीएपीएल) के साथ 19,518.65 करोड़ रुपये की लागत से अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इन मिसाइलों का उपयोग भारतीय नौसेना की प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाएगा। इसी तरह जहाज़ों से संचालित होने वाली ब्रह्मोस प्रणाली की खरीद के लिए बीएपीएल के साथ 988.07 करोड़ रुपये की लागत का अनुबंध भी किया गया है। यह प्रणाली विभिन्न फ्रंटलाइन युद्धपोतों पर लगाई जाएगी, जो समुद्री हमले के लिए भारतीय नौसेना का प्राथमिक हथियार है। यह प्रणाली सुपरसोनिक गति पर पिन पॉइंट सटीकता के साथ विस्तारित रेंज से भूमि या समुद्री लक्ष्यों पर प्रहार करने में सक्षम है।