केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने मौजूदा नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाणपत्र (आरईसी) तंत्र में संशोधन के लिए अपनी सहमति प्रदान की है। इस निर्णय का उद्देश्य बिजली परिदृश्य में उभरते परिवर्तनों के साथ ‘तंत्र’ को अनुरूप बनाना और नई नवीकरणीय प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना भी है।
प्रस्तावित परिवर्तन दिग्गजों को कुछ लचीलापन प्रदान करेंगे, अतिरिक्त राजस्व, विवेकीकरण और आरईसी की वैधता अवधि के अनिश्चितता के मुद्दों का भी समाधान करेंगे। इन परिवर्तनों को तैयार करने के लिए व्यापक हितधारक परामर्श आयोजित किए गए हैं।
विद्युत मंत्रालय ने 4 जून 2021 को बिजली क्षेत्र में हितधारकों की टिप्पणियों के लिए नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाणपत्र (आरईसी) तंत्र को नया रूप देने के लिए एक विचार-विमर्श परिपत्र परिचालित किया था।
संशोधित आरईसी तंत्र में प्रस्तावित परिवर्तनों की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
• आरईसी की वैधता स्थायी होगी, यानी जब तक इसे बेचा नहीं जाता है।
• फ्लोर एवं फॉर्बेरन्स कीमतों को निर्दिष्ट करने की आवश्यकता नहीं है।
• सीईआरसी की निगरानी में निगरानी तंत्र यह सुनिश्चित करेगा कि आरईसी की जमाखोरी न हो।
• आरई जनरेटर, जो आरईसी के लिए पात्र हैं, मौजूदा दिशा-निर्देशों के अनुसार पीपीए की अवधि के लिए आरईसी जारी करने के लिए पात्र होंगे। मौजूदा आरई परियोजनाएं, जो आरईसी के लिए पात्र हैं, उन्हें 25 वर्षों तक आरईसी मिलना जारी रहेगा।
• नई और उच्च कीमत वाली आरई प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के लिए एक प्रौद्योगिकी गुणक पेश किया जा सकता है, जिसे परिपक्वता के आधार पर प्रौद्योगिकियों के लिए विशिष्ट विभिन्न बास्केट में आवंटित किया जा सकता है।
• आरईसी उन बाध्यता वाली संस्थाओं (डिस्कॉम और ओपन एक्सेस उपभोक्ताओं सहित) को जारी किए जा सकते हैं, जो केन्द्र सरकार द्वारा अधिसूचित अपने आरपीओ अनुपालन से परे आरई पावर खरीदते हैं।
• सब्सिडी/रियायतों या किसी अन्य शुल्क की छूट के लाभार्थी को कोई आरईसी जारी नहीं किया जाएगा। एफओआर आरईसी को अस्वीकार करने के लिए रियायती शुल्क को समान रूप से निर्धारित करेगा।
• आरईसी तंत्र में व्यापारियों और द्विपक्षीय लेन-देन की अनुमति।
संशोधित आरईसी तंत्र में प्रस्तावित परिवर्तनों को सीईआरसी द्वारा नियामक प्रक्रिया के माध्यम से लागू किया जाएगा। आरई स्रोतों की उपलब्धता और उनके नवीकरणीय खरीद दायित्व (आरपीओ) को पूरा करने के लिए बाध्य संस्थाओं की आवश्यकता के बीच तालमेल में कमी को दूर करने के लिए, अखिल भारतीय बाजार आधारित अक्षय ऊर्जा प्रमाणपत्र (आरईसी) तंत्र को वर्ष 2010 में शुरू किया गया था।