नियमित रूप से योग करने वाले व्यक्ति अन्य साधारण व्यक्तियों के मुकाबले मानसिक रूप से अधिक मजबूत व शांत होते हैं। यहां तक कि योग करने वाले व्यक्ति कोरोना लॉकडाउन के दौरान भी अन्य व्यक्तियों के मुकाबले अधिक शांत, स्वास्थ व भीतर से मजबूत बने रहे, ये निष्कर्ष आईआईटी दिल्ली ने अपने एक शोध में निकाला है।
कोरोना संक्रमण को रोकने के लिये देश में लगाए गए लॉकडाउन के दौरान लोगों में तनाव, चिंता और अवसाद बढ़ा था। ऐसी स्थिति में आईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं ने एक विशेष प्रकार का रिसर्च किया।
आईआईटी दिल्ली की डॉ पूजा साहनी के अनुसार इस अध्ययन में पता चला है कि योगाभ्यास करने वालों में लॉकडाउन के 4 से 10 हफ्ते के बीच अपेक्षाकृत स्ट्रेस, एंजाइटी और डिप्रेशन का स्तर काफी कम था। योगाभ्यास करने वालों का मानसिक शांति का स्तर भी अधिक पाया गया।
रिसर्च में पता चला है कि योगाभ्यास ना करने वाले व्यक्तियों में एंजाइटी, स्ट्रेस और डिप्रेशन की समस्याएं बढ़ी हैं, लेकिन योग ने स्ट्रेस और डिप्रेशन से छुटकारा पाने में लोगों की मदद की है। आईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं का अध्ययन प्रतिष्ठित पत्रिका प्लोस वन में प्रकाशित हुआ है।
आईआईटी दिल्ली ने अपना यह अध्ययन योगा एन इफेक्टिव स्ट्रेटिजी फॉर सेल्फ मैनेजमेंट ऑफ स्ट्रेस रिलेटेड प्रॉब्लम्स एंड वेलबीइंग शीर्षक के अन्तर्गत किया है। यह अध्ययन आईआईटी दिल्ली के नेशनल रिसोर्स सेंटर फॉर वैल्यू एजुकेशन इन इंजीनियरिंग के वैज्ञानिकों की टीम ने किया है।
इस शोध टीम में डॉ पूजा साहनी के अलावा डॉ नितेश, प्रोफेसर डॉ कमलेश सिंह और प्रोफेसर राहुल गर्ग शामिल रहे। आईआईटी दिल्ली ने 668 वयस्क व्यक्तियों पर यह शोध एवं अध्ययन किया। आईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं का अध्ययन 26 अप्रैल 2020 से 8 जून 2020 के बीच लॉकडाउन की अवधि में किया गया।
आईआईटी दिल्ली द्वारा किए गए इस अध्ययन में अलग-अलग व्यक्तियों के ग्रुप तय किए गए। इन ग्रुपों में दीर्घकाल से योग करने वाले व्यक्तियों, अल्पकाल से योग कर रहे व्यक्तियों, मध्यम काल से योग्य व्यक्तियों और योग न करने वाले व्यक्तियों को रखा गया। सभी व्यक्तियों कि अलग-अलग मैपिंग की गई, जिससे पता लगा कि दीर्घकाल से योग कर रहे, व्यक्ति तनाव एवं अवसाद का सबसे कम शिकार हुए।
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