लंदन (हि.स.)। भारत का भगोड़ा हीरा कारोबारी नीरव मोदी को ब्रिटेन की अदालत ने एक और झटका देते हुए उसकी नई जमानत याचिका को खारिज कर दिया। ज्ञात रहे कि नीरव मोदी भारत से धोखाधड़ी करके भागने के बाद से पिछले पांच साल से लंदन की जेल में बंद है। ब्रिटेन की अदालत ने उसकी जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज किया कि उसे न्याय की पकड़ से भागने का ‘काफी खतरा’ है।
हीरा व्यापारी नीरव (52) भारत में धोखाधड़ी और धनशोधन के आरोपों का सामना कर रहा है और भारत को प्रत्यर्पित करने के खिलाफ अपना मुकदमा हार गया था। लंदन में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत में उसके द्वारा दाखिल की गई जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान वह उपस्थित नहीं हुआ लेकिन उसका बेटा और दो बेटियां मौजूद थे।
जिला न्यायाधीश जॉन जानी ने उसकी कानूनी टीम की इस दलील को स्वीकार कर लिया कि पिछली जमानत अर्जी करीब साढ़े तीन साल पहले दाखिल की गई थी और इतने समय बाद सुनवाई को आगे बढ़ाने की अनुमति देने के लिए परिस्थितियों में बदलाव आया है।
न्यायाधीश जानी ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद फैसले में कहा, ‘‘हालांकि, मैं संतुष्ट हूं कि जमानत के खिलाफ पर्याप्त आधार बने हुए हैं। एक वास्तविक और पर्याप्त जोखिम यह है कि नीरव मोदी अदालत में उपस्थित होने या गवाहों के साथ हस्तक्षेप नहीं करने में विफल रहेगा। उन्होंने कहा, इस मामले में, किसी भी स्तर पर, एक बहुत बड़ा धोखाधड़ी का आरोपी शामिल है… ऐसा में जमानत नहीं दी जा सकती है और आवेदन अस्वीकार किया जाता है।
सीपीएस बैरिस्टर निकोलस हर्न ने अदालत को बताया, ‘‘उसने भारतीय अदालत में आरोपों का सामना न करने के लिए अपना पूरा दृढ़ संकल्प प्रदर्शित किया है और यह कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि संबंधित धोखाधड़ी एक अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक है, जिसमें से केवल 40 करोड़ अमेरिकी डॉलर जब्त किए गए हैं। इसलिए, उसके पास अभी भी विभिन्न न्यायाक्षेत्रों में महत्वपूर्ण संसाधनों तक पहुंच हो सकती है। सुनवाई के लिए भारत से केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एक संयुक्त टीम पहुंची थी और अदालत की कार्यवाही के दौरान उपस्थित रही।
भारत में नीरव के खिलाफ तीन आपराधिक मामले चल रहे हैं जिनमें पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में धोखाधड़ी का सीबीआई मामला, उस धोखाधड़ी की आय की कथित धनशोधन से संबंधित प्रवर्तन निदेशालय का मामला और तीसरा सबूतों और गवाहों से कथित छेड़छाड़ को लेकर आपराधिक कार्यवाही। उसे 19 मार्च, 2019 को प्रत्यर्पण वारंट पर गिरफ्तार किया गया था और ब्रिटेन की तत्कालीन गृह मंत्री प्रीति पटेल ने अप्रैल 2021 में उसके प्रत्यर्पण का आदेश दिया था।