Monday, November 25, 2024
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फसलों के लिए डीएपी से ज्यादा उपयोगी है एनपीके

जबलपुर (लोकराग)। किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग द्वारा जिले के किसानों को खरीफ फसलों के बेहतर उत्पादन के लिए डीएपी के स्थान पर एनपीके उर्वरक का उपयोग करने की सलाह दी गई है।

उप संचालक कृषि रवि आम्रवंशी के मुताबिक फसलों के लिए मुख्यतः नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश पोषक तत्व आवश्यक होते हैं। डीएपी की तुलना में एनपीके सस्ता और अच्छा उर्वरक होता है। इसमें पोटाश की मात्रा का भी समावेश होता है। एनपीके ग्रेड के उर्वरक समितियों एवं पंजीकृत कृषि केन्द्रों में उपलब्ध है।

उन्होंने किसानों को फसलों में अंधाधुंध उर्वरकों के उपयोग से बचते हुए समन्वित प्रबंधन में गोबर की खाद, केंचुआ की खाद एवं हरी खाद के साथ ही अनुशंसित मात्रा में एन पी के का फसलों के अनुरूप उपयोग करने की सलाह दी है।

रवि आम्रवंशी ने बताया कि धान एवं मक्का जिले में खरीफ की प्रमुख फसलें हैं। इन फसलों के लिए किसानों को सामान्यतः 80 से 100 किलोग्राम एनपीके प्रति एकड़ बोनी के समय आधार उर्वरक के रूप में प्रयोग करना चाहिए।

उन्होंने बताया कि आवश्यकता से अधिक उर्वरक का प्रयोग किसी भी हालत में ठीक नहीं है। यह फसल की लागत बढ़ाने के साथ-साथ मिट्टी, पानी की दशा भी खराब करते है तथा फसलों में कीड़े और बीमारियों को बढ़ावा देते है। जिसके नियंत्रण के लिए किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ता है। 

उप संचासक कृषि ने बताया कि संतुलित उर्वरकों का उपयोग लागत में कमी, उत्पादकता में वृद्धि और भूमि, जल एवं पर्यावरण सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि एनपीके के प्रयोग से फसलों में पोटाश की मात्रा बिना अतिरिक्त पैसे खर्च किये प्राप्त होती है। जिससे उत्पादन की गुणवत्ता जैसे- बीजों में चमक, बीजों के वजन में वृद्धि होती है। जिससे आपके उत्पाद का बाजार में अधिक मूल्य प्राप्त होता है।

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