प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फिनलैंड गणराज्य के प्रधानमंत्री एच.ई. सुश्री सना मारिन ने मंगलवार को एक वर्चुअन सम्मेलन में द्विपक्षीय मुद्दों के साथ-साथ आपसी हित के अन्य क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की।
दोनों नेताओं ने कहा कि भारत और फिनलैंड के बीच घनिष्ठ संबंध, लोकतंत्र के साझा मूल्यों, कानून के शासन, समानता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के सम्मान पर आधारित हैं। उन्होंने बहुलवाद, कानून आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, सतत विकास और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए काम करने की अपनी मजबूत प्रतिबद्धता की फिर से दोहराया।
नेताओं ने दोनों देशों के बीच चल रहे द्विपक्षीय कार्यों की समीक्षा की और इस बात की उम्मीद जताई कि दोनों देश व्यापार और निवेश, इन्नोवेशन, शिक्षा, नई तकनीकी जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, 5 जी व 6 जी और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों में संबंधों का और विस्तार करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने स्वच्छ और ग्रीन प्रौद्योगिकी में फिनलैंड की अग्रणी भूमिका की सराहना की और फिनलैंड की कंपनियों को टिकाऊ विकास की दिशा में भारत के चलाए जा रहे अभियान में सहयोग बढ़ाने का आह्वान भी किया। इस संदर्भ में, उन्होंने नवीकरणीय और जैव-ऊर्जा, टिकाऊ तकनीकी, शिक्षा, दवा और डिजिटलीकरण जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का सुझाव दिया।
इस मौके पर दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की, जिसमें भारत-यूरोपीय संघ साझेदारी, आर्कटिक क्षेत्र में सहयोग, विश्व व्यापार संगठन और संयुक्त राष्ट्र में सुधार जैसे मुद्दे शामिल हैं। दोनों पक्षों ने अफ्रीका में विकास संबंधी गतिविधियों में सहयोग करने के लिए भारत और फिनलैंड की भागीदारी की संभावनाओं पर भी चर्चा की।
प्रधानमंत्री मोदी ने फिनलैंड को अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) और आपदा प्रतिरोधक आधारभूत संरचना गठबंधन (सीडीआरआई) में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया।
दोनों नेताओं ने कोविड-19 की स्थिति और टीकाकरण अभियान पर भी चर्चा की और सभी देशों में टीकों के लिए तत्काल और सस्ती पहुंच के लिए वैश्विक प्रयासों के महत्व पर जोर दिया।
दोनों नेताओं ने पोर्टो में भारत-यूरोपीय संघ के नेताओं की बैठक और भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन के दौरान एक बार फिर से मिलने की प्रतिबद्धता जताई।