प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के मध्यम से देश के 6 राज्यों में जीएचटीसी-इंडिया के तहत लाइट हाउस प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री पीएमएवाई (शहरी) और एएसएचए-इंडिया पुरस्कारों का भी वितरण किया।
इस अवसर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज नई ऊर्जा के साथ, नए संकल्पों के साथ और नए संकल्पों को सिद्ध करने के लिए तेज गति से आगे बढ़ने का आज शुभारंभ है। ये 6 प्रोजेक्ट देश में हाउसिंग कंस्ट्रक्शन को नई दिशा दिखाएंगे। ये लाइट हाउस प्रोजेक्ट अब देश के काम करने के तौर-तरीकों का उत्तम उदाहरण है।
उन्होंने कहा कि हमें इसके पीछे बड़े विजन को भी समझना होगा। एक समय आवास योजनाएं केंद्र सरकारों की प्राथमिकता में उतनी नहीं थी, जितनी होनी चाहिए। आज मुझे संतोष है कि बीते 6 वर्षों में जो कदम उठाये गए हैं, उसने एक सामान्य आदमी का, खासकर मेहनतकश मध्यमवर्गीय परिवार का यह भरोसा लौटाया है कि उसका भी अपना घर हो सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश में ही आधुनिक हाउसिंग तकनीक से जुड़ी रिसर्च और स्टार्टअप्स को प्रमोट करने के लिए आशा इंडिया प्रोग्राम चलाया जा रहा है। इसके माध्यम से भारत में ही 21वीं सदी के घरों के निर्माण की नई और सस्ती तकनीक विकसित की जाएगी।
उन्होंने कहा कि ये प्रोजेक्ट आधुनिक तकनीक और इनोवेटिव प्रोसेस से बनेंगे। इसमें कंस्ट्रक्शन का समय कम होगा और गरीबों के लिए ज्यादा अफोर्डेबलऔर कम्फ़र्टेबल घर तैयार होंगे।
पीएम मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बहुत ही कम समय में लाखों घर बनाकर दिए जा चुके हैं, अगर हम पीएम आवास योजना के अंतर्गत लाखों बनाए गए घर पर नजर डालें तो इनोवेशन और इंप्लीमेंटेशन दोनों पर फोकस मिलेगा।
उन्होंने बताया कि रांची में हम जर्मनी से 3डी निर्माण प्रणाली का उपयोग कर रहे हैं। इसमें, हर कमरे को अलग से बनाया जाएगा और फिर पूरे ढांचे को लेगो ब्लॉक की तरह जोड़ा जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि शहर में रहने वाले गरीब हों या मध्यम वर्ग, इन सबका सबसे बड़ा सपना होता है, अपना घर। वो घर जिसमें उनकी खुशियां, सुख-दुख, बच्चों की परवरिश जुड़ी होती हैं। लेकिन बीते वर्षों में लोगों का अपने घर को लेकर भरोसा टूटता जा रहा था।
उन्होंने कहा कि ये लाइट हाउस प्रोजेक्ट अब देश के काम करने के तौर-तरीकों का उत्तम उदाहरण है, हमें इसके पीछे बड़े विजन को भी समझना होगा।एक समय आवास योजनाएं केंद्र सरकारों की प्राथमिकता में उतनी नहीं थी, जितनी होनी चाहिए।