प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गुजरात में इन्वेस्टर समिट में हिस्सा लिया और इस दौरान उन्होंने नेशनल ऑटोमोबाइल स्क्रैपेज पॉलिसी लॉन्च की। इस समिट में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नीतिन गडकरी और गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी मौजूद रहे।
समिट में पीएम मोदी ने कहा कि देश National Automobile Scrappage Policy लॉन्च कर रहा है। ये पॉलिसी नए भारत की मोबिलिटी को,ऑटो सेक्टर को नई पहचान देने वाली है। देश में vehicular population के modernization को, unfit vehicles को एक scientific manner में सड़कों से हटाने में ये policy बहुत बड़ी भूमिका निभाएगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि Mobility में आई आधुनिकता, travel और transportation का बोझ तो कम करती ही है, आर्थिक विकास के लिए भी मददगार साबित होती है। 21वीं सदी का भारत Clean, Congestion Free और Convenient Mobility का लक्ष्य लेकर चले, ये आज समय की मांग है। नई स्क्रैपिंग पॉलिसी, Waste to Wealth- कचरे से कंचन के अभियान की, circular economy की एक अहम कड़ी है। ये पॉलिसी, देश के शहरों से प्रदूषण कम करने और पर्यावरण की सुरक्षा के साथ तेज़ विकास की हमारे कमिटमेंट को भी दर्शाती है।
पीएम मोदी ने कहा कि इस पॉलिसी से सामान्य परिवारों को हर प्रकार से बहुत लाभ होगा। सबसे पहला लाभ ये होगा कि पुरानी गाड़ी को स्क्रैप करने पर एक सर्टिफिकेट मिलेगा। ये सर्टिफिकेट जिसके पास होगा उसे नई गाड़ी की खरीद पर रजिस्ट्रेशन के लिए कोई पैसा नहीं देना होगा। इसके साथ ही उसे रोड टैक्स में भी कुछ छूट दी जाएगी। दूसरा लाभ ये होगा कि पुरानी गाड़ी की मैंटेनेंस कॉस्ट, रिपेयर कॉस्ट, fuel efficiency, इसमें भी बचत होगी। तीसरा लाभ सीधा जीवन से जुड़ा है। पुरानी गाड़ियों, पुरानी टेक्नॉलॉजी के कारण रोड एक्सीडेंट का खतरा बहुत अधिक रहता है, जिससे मुक्ति मिलेगी। चौथा, इससे हमारे स्वास्थ्य प्रदूषण के कारण जो असर पड़ता है, उसमें कमी आएगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत को गति देने के लिए, भारत में इंडस्ट्री को Sustainable और Productive बनाने के लिए निरंतर कदम उठाए जा रहे हैं। हमारी ये पूरी कोशिश है कि ऑटो मैन्यूफैक्चरिंग से जुड़ी वैल्यू चेन के लिए जितना संभव हो, उतना कम हमें इंपोर्ट पर निर्भर रहना पड़े। इथेनॉल हो, हाइड्रोजन फ्यूल हो या फिर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, सरकार की इन प्राथमिकताओं के साथ इंडस्ट्री की सक्रिय भागीदारी बहुत ज़रूरी है। R&D से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर तक, इंडस्ट्री को अपनी हिस्सेदारी बढ़ानी होगी। इसके लिए जो भी मदद आपको चाहिए, वो सरकार देने के लिए तैयार है।