देश में कोयले की कमी के कारण बिजली संकट की आहट सुनाई दे रही है। देश के अनेक ताप विद्युत गृहों को उनकी जरूरत के अनुसार कोयले की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। जिसके कारण अनेक राज्यों के ताप विद्युत गृहों के साथ ही केंद्र के ताप विद्युत गृहों में भी विद्युत उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
वहीं अब केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि कोयले की आपूर्ति की कमी के पीछे कई कारण हैं। मंत्रालय के अनुसार आयातित कोयले की कीमतों में बढ़ोत्तरी के चलते भी सप्लाई में कमी आई है।
विद्युत मंत्रालय ने बयान जारी कर कोयले की कमी के लिये कुल चार कारण गिनाये हैं। जिसके तहत अर्थव्यवस्था में सुधार के चलते बिजली की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि, कोयला खदान क्षेत्रों में भारी बारिश, आयातित कोयले की कीमत में वृद्धि और महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में बिजली कंपनियों पर भारी बकाया।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने कहा कि कोयला मंत्रालय के नेतृत्व में एक अंतर-मंत्रालयी उप-समूह सप्ताह में दो बार कोयला स्टॉक की स्थिति की निगरानी कर रहा है। मंत्रालय और कोल इंडिया लिमिटेड ने आश्वासन दिया है कि वे अगले तीन दिनों में बिजली क्षेत्र को 1.6 मिलियन टन प्रति दिन भेजने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं। उसके बाद प्रति दिन 1.7 मीट्रिक टन तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कोयला मंत्रालय के एक बड़े अधिकारी ने बताया कि खदानों में लगभग चार करोड़ टन और बिजली संयंत्रों में 75 लाख टन का भंडार है। खदानों से बिजली संयंत्रों तक कोयला पहुंचना परेशानी रही है, क्योंकि ज्यादा बारिश के कारण खदानों में पानी भर गया है। लेकिन अब इसे निपटाया जा रहा है और बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति बढ़ रही है।