प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5वें आयुर्वेद दिवस पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भविष्य के लिए तैयार दो आयुर्वेद संस्थान राष्ट्र को समर्पित किए।
इनमें आयुर्वेद शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान जामनगर और राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर शामिल हैं। दोनों संस्थान देश में अग्रणी संस्थान हैं।
उल्लेखनीय है कि संसद के एक अधिनियम द्वारा आईटीआरए, जामनगर को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा दिया गया है और एनआईए, जयपुर को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा एक मान्य विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया है। आयुष मंत्रालय 2016 से धन्वंतरि जयंती के अवसर पर हर साल आयुर्वेद दिवस मना रहा है।
पीएम मोदी ने आयुर्वेद के ज्ञान को पुस्तकों, शास्त्रों और घरेलू उपचारों से बाहर लाने और आधुनिक आवश्यकताओं के अनुसार इस प्राचीन ज्ञान को विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि हमारे प्राचीन चिकित्सा ज्ञान के साथ 21वीं सदी के आधुनिक विज्ञान से प्राप्त जानकारी को मिलाकर देश में नए अनुसंधान किए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि तीन साल पहले, अखिल भारतीय आयुर्वेदिक संस्थान यहां स्थापित किया गया था। आयुर्वेद आज केवल एक विकल्प नहीं है, बल्कि देश की स्वास्थ्य नीति का एक महत्वपूर्ण आधार है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनके पास अब अधिक जिम्मेदारी है और आशा है कि वे आयुर्वेद पाठ्यक्रम तैयार करेंगे, जो अंतर्राष्ट्रीय मानक को पूरा करता है। उन्होंने शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी का आह्वान करते हुए कहा कि आयुर्वेद भौतिक विज्ञान और आयुर्वेद रसायन विज्ञान जैसे विषयों में नए अवसरोंकी तलाश की जाए।
उन्होंने वैश्विक रुझानों और मांगों का अध्ययन करने के लिए स्टार्टअप और निजी क्षेत्र का भी आह्वान करते हुए कहा कि वे इस क्षेत्र में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयोग और राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग की स्थापना इस सत्र में संसद द्वारा की गई थी और राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी एक एकीकृत दृष्टिकोण को बढ़ावा देती है। इस नीति की मूल धारणा यह है कि आयुर्वेदिक शिक्षा में एलोपैथिक परंपराओं का ज्ञान अनिवार्य होना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि कोरोना अवधि के दौरान पूरी दुनिया में आयुर्वेदिक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ी है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष सितम्बर में आयुर्वेदिक उत्पादों के निर्यात में लगभग 45 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
उन्होंने कहा कि रोग प्रतिरक्षक माने जाने वाले हल्दी, अदरक जैसे भारतीय मसालों के निर्यात में महत्वपूर्ण वृद्धि सेयह पता चलता है कि विश्व भर में आयुर्वेदिक समाधानों में लोगों का विश्वास अचानक बढ़ा है।
उन्होंने कहा कि अब कई देशों में, हल्दी से संबंधित विशेष पेय भी बढ़ रहे हैं और दुनिया की प्रतिष्ठित चिकित्सा पत्रिकाओं को भी आयुर्वेद में नई आशा दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा कि इस कोरोना अवधि के दौरान, हमारा ध्यान केवल आयुर्वेद के उपयोग तक ही सीमित नहीं था, बल्कि देश और दुनिया में आयुष से संबंधित अनुसंधान को आगे बढ़ाने पर भी था।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एक तरफ भारत टीकों का परीक्षण कर रहा है, दूसरी तरफ यह कोविड से लड़ने के लिए आयुर्वेदिक अनुसंधान पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग भी बढ़ा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज आयुर्वेदिक दवाओं, जड़ी-बूटियों के साथ-साथ रोग प्रतिरक्षण बढ़ाने वाले पौष्टिक खाद्य पदार्थों पर विशेष जोर दिया जा रहा है। उन्होंने कहाकिआज किसानों को गंगा के किनारे और हिमालयी क्षेत्रों में मोटे अनाज के साथ-साथ जैविक उत्पादों का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि आयुष मंत्रालय भारत के लिए एक व्यापक योजना पर काम कर रहा है ताकि दुनिया की भलाई में अधिक से अधिक योगदान हो, हमारे निर्यात में भी वृद्धि होनी चाहिए और हमारे किसानों की आय भी बढ़नी चाहिए।
उन्होंने बताया कि कोविड महामारी की शुरुआत के बाद अश्वगंधा, गिलोय, तुलसी आदि आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के दाम बहुत बढ़ गए हैं। अश्वगंधा की कीमत पिछले साल की तुलना में दोगुनी हो गई है और जड़ी-बूटियों की खेती करने वाले हमारे किसानों को इसका सीधा लाभ पहुंच रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि मंत्रालय, आयुष मंत्रालय या अन्य विभागों से भारत में उपलब्ध कई जड़ी-बूटियों की उपयोगिता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि आयुर्वेद से संबंधित संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र के विकास से देश में स्वास्थ्य और कल्याण से संबंधित पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कामना करते हुए कहा कि आज जामनगर और जयपुर में जिन दो संस्थानों का उद्घाटन किया गया है, वे इस दिशा में भी लाभदायक साबित होंगे।