Friday, December 27, 2024
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सेफ्टी सेमिनार एवं पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए रेलकर्मियों ने दिखाई एकजुटता

वाराणसी (हि.स.)। सेफ्टी सेमिनार एवं पुरानी पेंशन योजना के बहाली की मांग को लेकर रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में दमखम के साथ रेलकर्मियों ने एकजुटता दिखाई।

रेलवे ट्रेड यूनियन एन. ई. रेलवे मेन्स कांग्रेस (एनईआरएमसी), फ्रंट अगेंस्ट एनपीएस इन रेलवे एवं नेशनल मूवमेन्ट फार ओल्ड पेंशन स्कीम के संयुक्त पहल पर पूर्वोत्तर रेलवे के कोचिंग डिपो स्थित मैदान में आयोजित जन संवाद में जुटे हजारों रेलकर्मियों ने कहा जो राजनीतिक पार्टी पुरानी पेंशन योजना बहाली की बात करेगी। हम और हमारे परिवार के सदस्य उसी को वोट करेंगे। न्यू पेंशन स्कीम के तहत पेंशन दिया जाना सरकारी कर्मियों के साथ छलावा है। कर्मचारियों के सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा के लिए पुरानी पेंशन योजना को पुनः बहाल किया जाना आवश्यक है।

जनसंवाद में बतौर मुख्य वक्ता नेशनल मूवमेन्ट फार ओल्ड पेंशन स्कीम के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय बन्धु ने कहा कि हमें एनपीएस में संसोधन नहीं पुरानी पेंशन स्कीम चाहिए। फ्रंट अगेंस्ट एनपीएस इन रेलवे के अध्यक्ष सरदार अमरीक सिंह ने कहा न्यू पेंशन स्कीम कर्मचारियो के लिए किसी भी रूप में फायदेमंद नहीं है।सेवानिवृत कर्मचारियों की गरिमा कायम रखने के लिए पुरानी पेंशन स्कीम को पुनः लागू किया जाना जरुरी है।

संगठन के राष्ट्रीय महासचिव राजेन्द्र पाल ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पुरानी पेंशन को मुख्य मुद्दा बनाना हमारा लक्ष्य है। नेशनल मूवमेंट टू सेव रेलवे के राष्ट्रीय प्रचार सचिव डॉ कमल उसरी ने कहा कि लगातार रेल दुर्घटना का मुख्य कारण रेलवे का अंधाधुंध निजीकरण व सरकार के संरक्षण में रेलवे विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार है।

उन्होंने कहा कि रेलवे के निजीकरण के खिलाफ जारी संघर्ष को आम अवाम की भागीदारी के साथ रोका जायेगा। एन. ई. रेलवे मेन्स कांग्रेस के केंद्रीय अध्यक्ष अखिलेश पाण्डेय ने जनसंवाद की अध्यक्षता करते हुए कहा पुरानी पेंशन योजना को पुनः बहाल कराने की लड़ाई केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी मिल कर लड़ रहे है। इससे कर्मचारी संगठन को अतिरिक्त शक्ति मिल गई है। पूरे देश में न्यू पेंशन स्कीम का विरोध होना शुरू हो गया है।

पाण्डेय ने केन्द्र सरकार से मांग किया की पुरानी पेंशन को पुनः लागु किया जाए। ताकि कर्मचारियों को बुढ़ापे की सहारा मिल सके और सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा की गारंटी हो सके।

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