देश में नवम्बर 2021 में सकल जीएसटी राजस्व संग्रह 1,31,526 करोड़ रुपये रहा, जिसमें सीजीएसटी 23,978 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 31,127 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 66,815 करोड़ रुपये (वस्तुओं के आयात पर संग्रह किए गए 32,165 करोड़ रुपये सहित) और उपकर (सेस) 9,606 करोड़ रुपये (वस्तुओं के आयात पर संग्रह किए गए 653 करोड़ रुपये सहित) शामिल हैं।
सरकार ने नियमित निपटान के रूप में सीजीएसटी के लिए 27,273 करोड़ रुपये और आईजीएसटी से एसजीएसटी के लिए 22,655 करोड़ रुपये का निपटान किया है। नवम्बर 2021 में नियमित निपटान के बाद केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा अर्जित कुल राजस्व सीजीएसटी के लिए 51251 करोड़ रुपये और एसजीएसटी के लिए 53,782 करोड़ रुपये है। केन्द्र ने 3 नवम्बर, 2021 को जीएसटी मुआवजे के लिए राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को 17,000 करोड़ रुपये भी जारी किए हैं।
लगातार दूसरे महीने जीएसटी संग्रह 1.30 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है। नवम्बर 2021 माह के लिए राजस्व पिछले साल के इसी महीने के जीएसटी राजस्व से 25 प्रतिशत और 2019-20 की तुलना में 27 प्रशित अधिक रहा है। इस महीने के दौरान वस्तुओं के आयात से प्राप्त राजस्व 43 प्रतिशत अधिक और घरेलू लेन-देन (सेवाओं के आयात सहित) से प्राप्त राजस्व पिछले साल के इसी महीने के दौरान इन स्रोतों से प्राप्त राजस्व की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक रहा।
नवम्बर 2021 के लिए जीएसटी राजस्व जीएसटी की शुरुआत के बाद से दूसरा सबसे अधिक राजस्व रहा है। यह अप्रैल 2021 के बाद दूसरा बड़ा संग्रह है, जो साल के अंत के राजस्व से संबंधित था और पिछले महीने के संग्रह से अधिक रहा, इसमें त्रैमासिक दाखिल की जाने वाली आवश्यक रिटर्न का प्रभाव भी शामिल रहा है। यह काफी सीमा तक आर्थिक सुधार की प्रवृत्ति के अनुरूप है।
अधिक जीएसटी राजस्व का यह वर्तमान रुझान विभिन्न नीतिगत और प्रशासनिक उपायों का परिणाम रहा है, जो अतीत में अनुपालन में सुधार करने के लिए उठाए गए हैं। केन्द्रीय कर प्रवर्तन एजेंसियों ने राज्य के समकक्षों के साथ जीएसटीएन द्वारा विकसित विभिन्न आईटी उपकरणों की मदद से बड़े कर चोरी के मामलों का पता लगाया है, जिनमें मुख्य रूप से नकली चालान से संबंधित मामले शामिल हैं, जो संदिग्ध करदाताओं का पता लगाने के लिए रिटर्न, चालान और ई-वे बिल डेटा का उपयोग करते हैं।
पिछले वर्ष बड़ी संख्या में पहल शुरू की गई हैं जिनमें सिस्टम क्षमता में बढ़ोतरी, रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि के बाद रिटर्न फाइल न करने वालों पर कार्रवाई, रिटर्न की ऑटो-पॉपुलेशन, ई-वे बिलों को अवरुद्ध करना और रिटर्न दाखिल न करने वालों के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट पास करना आदि शामिल हैं। इससे पिछले कुछ महीनों के दौरान रिटर्न दाखिल करने में लगातार सुधार हुआ है।