नई दिल्ली (हि.स.)। अमेरिकी शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट आने के बाद भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने रविवार इसका जवाब दिया है। सेबी ने अपनी पहली टिप्पणी में कहा कि उसने अडाणी समूह के खिलाफ सभी आरोपों की विधिवत जांच की है। वहीं, हिंडनबर्ग के आरोपों पर सेबी प्रमुख ने कहा कि जिस फंड का जिक्र किया गया है उसे उन्होंने 2015 में लिया था।
सेबी प्रमुख ने हिंडनबर्ग रिसर्च के नई रिपोर्ट पर कहा कि आरोपों में जिस फंड का जिक्र किया गया है उसे उन्होंने साल 2015 में लिया था। तब उनका सेबी से कोई संबंध नहीं था। हिंडनबर्ग के आरोपों के पर माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने बयान जारी कर आरोपों का खंडन किया है। बुच ने बताया कि यह निवेश उन्होंने सेबी में शामिल होने से लगभग दो साल पहले किया था।
वहीं, पूंजी बाजार नियामक सेबी ने बयान में कहा कि उसकी चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने समय-समय पर संबंधित जानकारी दी और संभावित हितों के टकराव से जुड़े मामलों से खुद को अलग रखा। उन्होंने हिंडनबर्ग पर आरोप लगाया कि भारत में अलग-अलग मामलों में हिंडनबर्ग रिसर्च को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिडनबग्र ने नोटिस का जवाब देने के बजाय सेबी की विश्वसनीयता पर हमला करने और सेबी चीफ के चरित्र हनन करने का विकल्प चुना है। इस बीच अडानी समूह ने भी हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को खारिज कर दिया कि सेबी प्रमुख अडानी के ऑफशोर फंड्स में हिस्सेदारी रखती हैं।
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी शोध एवं निवेश कंपनी की शनिवार देर रात जारी नई रिपोर्ट में दावा किया गया था कि सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने 5 जून, 2015 को मॉरीशस स्थित आईपीई-प्लस फंड-1 में एक अकाउंट खुलवाया, जो कथित तौर पर फंड साइफनिंग में शामिल था। हिंडनबर्ग ने ये भी आरोप लगाया है कि अडाणी समूह से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में सेबी प्रमुख और उनके पति की हिस्सेदारी है।