केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक (SEEI) 2021-22 की रिपोर्ट जारी की। नई दिल्ली में राज्यों और राज्य उपयोगिता कंपनियों की आरपीएम (समीक्षा, योजना और निगरानी) बैठक के दौरान एसईईआई को जारी किया गया। ऊर्जा-कुशल अर्थव्यवस्था गठबंधन (AEEE) के सहयोग से, विद्युत मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) द्वारा विकसित सूचकांक ने वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2021-22 के लिए ऊर्जा दक्षता कार्यान्वयन में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की वार्षिक प्रगति का आकलन पेश किया है। एसईईआई 2021-22 में राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप 50 संकेतकों का एक अद्यतन फ्रेमवर्क है। राज्य स्तरीय ऊर्जा दक्षता पहलों के परिणामों और प्रभावों की निगरानी के लिए इस वर्ष कार्यक्रम-विशिष्ट संकेतक शामिल किए गए हैं।
बीईई के महानिदेशक ने कहा, “भारत एनडीसी लक्ष्यों को प्राप्त करने और 2070 तक नेट-जीरो अर्थव्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहयोग, विवेकपूर्ण संसाधन आवंटन, नीति संरेखण और प्रगति की नियमित निगरानी की आवश्यकता है। एसईईआई, राज्यों और भारत के ऊर्जा फुटप्रिंट के प्रबंधन तथा राज्य और स्थानीय स्तर पर ऊर्जा दक्षता नीतियों और कार्यक्रमों के संचालन की प्रगति की निगरानी करता है।
एसईईआई डेटा संग्रह में सुधार करता है, राज्यों के आपसी सहयोग को सक्षम बनाता है और ऊर्जा दक्षता कार्यक्रम के विचारों को विकसित करता है। यह राज्यों को सुधार के लिए क्षेत्रों की पहचान करने, सर्वोत्तम तौर-तरीकों से सीखने और ऊर्जा दक्षता कार्यान्वयन के लिए अर्थव्यवस्था अनुरूप दृष्टिकोण अपनाने में मदद करता है। ऊर्जा दक्षता को प्राथमिकता देकर, इसका उद्देश्य कार्बनीकरण में कमी लाने के प्रयासों का संचालन करना और अधिक स्थायी भविष्य हासिल करना है।
सूचकांक को ऊर्जा बचत और उत्सर्जन में कमी लाने से जुड़े राज्य के लक्ष्यों की दिशा में प्रगति की निगरानी में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है और राज्यों को उर्जा दक्षता में परिवर्तन करने में मदद करने के लिए निम्नलिखित अनुशंसाओं की रूपरेखा तैयार की गई है, जो एसडीजी और एनडीसी को पूरा करने में योगदान देंगी-
- विशेष ध्यान वाले क्षेत्रों में ऊर्जा दक्षता के लिए वित्तीय सहायता को सक्षम करना।
- ऊर्जा दक्षता कार्यान्वयन में उभरती जरूरतों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में संस्थागत क्षमता विकसित करना।
- राज्यों में बड़े पैमाने पर ऊर्जा दक्षता कार्यान्वयन में वित्तीय संस्थानों, ऊर्जा सेवा कंपनियों और ऊर्जा पेशेवरों में आपसी सहयोग को बढ़ाना।
- सभी क्षेत्रों के लिए ऊर्जा डेटा रिपोर्टिंग और निगरानी को मुख्यधारा में लाना।
बीईई के बारे में
भारत सरकार ने ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के प्रावधानों के तहत 1 मार्च 2002 को ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) की स्थापना की। ऊर्जा दक्षता ब्यूरो का मिशन ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के प्रावधानों के अंतर्गत स्व-नियमन और बाजार सिद्धांतों पर जोर देने के साथ नीतियों और रणनीतियों को विकसित करने में सहायता करना है। इसका प्राथमिक उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था की ऊर्जा तीव्रता को कम करना है। ऊर्जा संरक्षण अधिनियम के तहत सौंपे गए कार्यों को पूरा करने के लिए, बीईई नामित उपभोक्ताओं, नामित एजेंसियों और अन्य संगठनों के साथ समन्वय करता है और मौजूद संसाधनों और अवसंरचनाओं की पहचान करता है, उन्हें मान्यता देता है और उनका उपयोग करता है। ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, विनियामक और प्रचार कार्यों के लिए कार्यादेश प्रदान करता है।