केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने “गगनयान” लॉन्च से संबंधित संपूर्ण अभ्यास पूरा होने के तुरंत बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा कि आज सुबह अंतिम “गगनयान” लॉन्च से पहले क्रमिक परीक्षण उड़ान एबॉर्ट मिशन-1 (टीवी-डी1) की परीक्षण उड़ान की सफलता की प्रतीक है। उम्मीद के अनुरूप आज “गगनयान” क्रू मॉड्यूल (सीएम) के एक प्रारंभिक डिप्रेसुराइज्ड संस्करण को एकल इंजन रॉकेट के साथ लगभग 17 किलोमीटर की ऊंचाई तक ले जाया गया और इसके बाद अंतिम रूप से नीचे उतरने के लिए पैराशूट का उपयोग किया गया।
अंतरिक्ष राज्य मंत्री ने कहा, “गगनयान” मिशन के माध्यम से मानवयुक्त अंतरिक्ष यान लॉन्च करने की इसरो की यात्रा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा, आज के अभ्यास में गगनयान मिशन के क्रू मॉड्यूल पर क्रू एस्केप सिस्टम का परीक्षण किया गया। उन्होंने कहा कि मूल रूप से इससे सुरक्षा तंत्र का परीक्षण किया गया जो “गगनयान” मिशन के क्रू को किसी खराबी के कारण मिशन रद्द होने की स्थिति में अंतरिक्ष यान से बचने में सक्षम बनाएगा।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि चंद्रयान-3 द्वारा चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के दो महीने से भी कम समय के बाद, आज की उपलब्धि ने प्रणाली और प्रक्रियाओं के परीक्षणों की एक श्रृंखला के लिए मार्ग प्रशस्त किया है, जिसका लक्ष्य संभवतः वर्ष 2025 तक अंततः अंतरिक्ष में एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को लॉन्च कर देना है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि जब से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अंतरिक्ष क्षेत्र को अतीत के स्वयं थोपे गए नियमों और बंधनों से ‘मुक्त’ किया है, तब से इसरो और उद्योग में उत्साह का माहौल है, निजी भागीदार भी अब अंतरिक्ष परियोजनाओं में सहयोग करने के लिए एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। इससे न केवल ज्ञान और वित्त दोनों के मामले में काफी मूल्यवर्धन हुआ है बल्कि इसमें बढ़ोतरी भी हुई है। इसका प्रमाण यह है कि तीन वर्ष से अधिक की अल्पावधि के भीतर सफल स्टार्टअप की संख्या जो पहले 5 से भी कम थी, अब 150 से अधिक हो गई है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने “अच्छी शुरुआत का अर्थ आधा काम हो जाने” की कहावत का संदर्भ देते हुए कहा कि आज अर्जित किए गए टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 (टीवी-डी1) ने ‘गगनयान’ परियोजना के क्रू एस्केप का प्रदर्शन किया। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह परीक्षण उड़ान शेष योग्यता परीक्षणों और मानवरहित मिशनों के लिए मंच तैयार करेगी, जिससे भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के साथ पहला गगनयान मिशन आरंभ होगा।
डॉ सिंह ने कहा कि “गगनयान” मिशन में मानव सुरक्षा सर्वोपरि है। क्रू मॉड्यूल (सीएम) चालक दल के लिए अंतरिक्ष में पृथ्वी जैसे वातावरण के साथ रहने योग्य स्थान है, जबकि सर्विस मॉड्यूल (एसएम) का उपयोग कक्षा में रहते हुए सीएम को आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के कुशल मार्गदर्शन में, भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का लक्ष्य अंतरिक्ष में अपने पहले मानवयुक्त मिशन और बाद में चंद्रमा पर पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री को उतारना है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि हाल के चंद्रयान-3 और आदित्य एल1 मिशन सहित पिछले 4 से 5 वर्षों में अर्जित भारतीय अंतरिक्ष पहल की सफलता के आधार पर, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने निर्देश दिया है कि भारत को 2035 तक ‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन’ की स्थापना करने और 2040 तक चंद्रमा पर पहले भारतीय को भेजने सहित अब नए और महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखने चाहिए।