नई दिल्ली (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावों में ईवीएम के डाटा से वीवीपैट पर्चियों के मिलान की मांग पर सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप हर चीज पर अविश्वास नहीं जता सकते हैं। निर्वाचन आयोग अपना काम कर रहा है। पिछले कुछ चुनावों में मतदान 60 फीसदी से ऊपर रहा है। यह लोगों के भरोसे को दिखाता है। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि चुनाव के समय इस तरह के आरोप लगाए जाते हैं, याचिका दायर की जाती हैं। तब जस्टिस खन्ना ने कहा कि ऐसा नहीं है। यह याचिका चुनाव के बहुत पहले दायर हुई थी। कुछ याचिकाएं जरूर अभी दायर हुई हैं। सुनवाई के दौरान वकील संतोष पाल ने दलील दी कि तमाम विकसित देशों ने ईवीएम को नकार दिया है। तब जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि तो क्या हुआ। यह कोई जरूरी नहीं कि वे भारत से ज्यादा एडवांस हैं।
आज लंच के बाद सुनवाई के दौरान निर्वाचन आयोग के अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केरल के कासरगोड में मॉक पोलिंग के दौरान ईवीएम में भाजपा के पक्ष में अतिरिक्त वोट मिलने के बारे में छपी खबरें झूठी हैं। निर्वाचन आयोग की ओर से वकील मनिंदर सिंह ने याचिकाओं को खारिज करने की मांग करते हुए कहा कि इस मामले पर याचिकाकर्ताओं का आधार गलत जानकारी पर आधारित है। उन्होंने याचिका को जुर्माने के साथ खारिज करने की मांग की। उन्होंने कहा कि ईवीएम एक स्वतंत्र मशीन है। इससे हैक या छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता। मैन्युअल गिनती में मानवीय भूल की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है लेकिन मौजूदा सिस्टम में मानवीय भागीदारी न्यूनतम हो गई है। ऐसे में वीवीपैट को फिर से डिजाइन करने की कोई जरूरत नहीं है।
लंच के पहले सुनवाई के दौरान आज निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया था कि वो केरल के कासरगोड में मॉक पोलिंग के दौरान ईवीएम में भाजपा के पक्ष में अतिरिक्त वोट मिलने की शिकायतों की जांच करे। दरअसल सुनवाई के दौरान एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट को बताया था कि मॉक पोलिंग के दौरान कासरगोड में एक अतिरिक्त वोट भाजपा के पक्ष में पाया गया था। तब कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से पूछा कि वे बताएं कि वीवीपीएटी की प्रक्रिया क्या है। टेंपरिंग न हो, इसके लिए क्या मेकानिज्म है। कोर्ट ने कहा कि चुनावी प्रक्रिया को लेकर किसी तरह की आशंका नहीं रहनी चाहिए कि उसमें कोई छेड़छाड़ की जा सकती है। यह प्रक्रिया पवित्र होनी चाहिए।
सुनवाई के दौरान निर्वाचन आयोग ने कोर्ट को बताया कि वीवीपैट पर्ची काउंटिंग के लिए उपयुक्त नहीं है। पेपर बहुत पतला और चिपचिपा होता है। इसे काउंटिंग के उद्देश्य से डिजाइन नहीं किया गया है। तब सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या बैलेट यूनिट और वीवीपैट पर्चियों में संग्रहित डेटा के बीच बेमेल होने का कोई मामला है। तब निर्वाचन आयोग ने कहा कि अब तक ऐसा एक भी मामला नहीं मिला।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि यह व्यवस्था होनी चाहिए कि वोटर अपना वीवीपैट पर्ची बैलट बॉक्स में डाले। जस्टिस खन्ना ने इस पर सवाल किया कि वोटर की निजता का क्या होगा। इससे तो पता चल जाएगा कि उसने वोट किसको दिया, तब वकील निजाम पाशा ने कहा कि वोटर की निजता से अधिक जरूरी है उसका मत देने का अधिकार।
सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने सुझाव दिया कि कम से कम यह व्यवस्था होनी चाहिए कि वीवीपैट वाले बॉक्स की लाइट हमेशा जलती रहे। इससे वोटर यह देख सकेगा कि कब पर्ची कट रही है और कैसे ड्रॉप हो रही है। इससे वोटर की निजता भी प्रभावित नहीं होगी।
16 अप्रैल को प्रशांत भूषण ने कहा था कि ईवीएम से छेड़छाड़ किया जा सकता है। उन्होंने कहा था कि वीवीपैट पर्चियों की भी गिनती होनी चाहिए। इसके लिए वीवीपैट पर्चियों को मतदाता के हाथ में देकर बैलेट बॉक्स में डालने देना चाहिए। सुनवाई के दौरान वकील संजय हेगड़े ने मांग की थी कि ईवीएम पर पड़े वोटों का मिलान वीवीपैट पर्चियों से किया जाना चाहिए। तब जस्टिस खन्ना ने पूछा था कि क्या वीवीपैट के सभी पर्चियों की गिनती होनी चाहिए। सुनवाई के दौरान वकील गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि चुनाव आयोग का कहना है कि वीवीपैट के सभी पर्चियों की गिनती में 12 दिन लगेंगे।
एक अप्रैल को जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी वीवीपैट पर्चियों का मिलान करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया था। याचिका एडीआर ने दायर की है। याचिका में मांग की गई है कि सभी वीवीपैट पर्चियों का मिलान किया जाए। वर्तमान में ये प्रैक्टिस है कि एक विधानसभा क्षेत्र में पांच ईवीएम के वीवीपैट पर्चियों से मिलान किया जाता है।