Friday, December 27, 2024
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सरसों के जीएम संवर्द्धित बीज के व्यावसायिक प्रयोग की अनुमति पर सुप्रीम कोर्ट का विभाजित फैसला

नई दिल्ली (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने सरसों के जीएम संवर्द्धित बीज के व्यावसायिक प्रयोग की अनुमति देने वाले केंद्र सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विभाजित फैसला दिया है। दो जजों की बेंच ने अलग-अलग फैसला दिया है। अब इस मामले को बड़ी बेंच को रेफर किया गया है जिस पर चीफ जस्टिस विचार करेंगे।

बेंच के सदस्य जस्टिस बीवी नागरत्ना ने जेनेटिक इंजीनियरिंग एप्राइजल कमेटी (जीईएसी) के जीएम सरसों के वाणिज्यिक उत्पादन को मंजूरी देने के आदेश को निरस्त कर दिया है, जबकि दूसरे जज जस्टिस संजय करोल ने इस आदेश को सही करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 18 जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था। दरअसल, केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अधीन काम करनेवाली जेनेटिक इंजीनियरिंग एप्राइजल कमेटी (जीईएसी) ने जीएम सरसों के वाणिज्यिक उत्पादन को मंजूरी दी थी। याचिकाकर्ता अरुणा रोड्रिग्स ने जीएम सरसों के वाणिज्यिक उत्पादन की मंजूरी को चुनौती दी थी।

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि 2012 में कोर्ट ने जीएम फसलों के भविष्य के निष्कर्ष तक पहुंचने लिए एक विशेषज्ञ कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी ने खरपतवार नाशकों के उपयोग को फसलों के लिए अनुपयुक्त बताया था। खरपतवार नाशकों में कैंसर कारक तत्व पाए गए हैं। कमेटी ने सभी जीएम फसलों पर रोक लगाने की मांग की थी। प्रशांत भूषण ने कोर्ट को बताया था कि केंद्र ने 2016 और 2017 में कई बार कोर्ट को ये आश्वासन दिया था कि कोर्ट के फैसले तक जीएम सरसों के व्यावसायिक उत्पादन की अनुमति नहीं दी जाएगी। अगर ऐसी अनुमति दी जाती है तो कोर्ट को सूचित किया जाएगा।

याचिका में कहा गया था कि अगर इसके व्यावसायिक प्रयोग की अनुमति दी गई तो इससे सरसों की देशी वेरायटी बर्बाद हो जाएगी। याचिका में कहा गया था कि जीईएसी ने गलत तरीका अपनाया। जीएम सरसों के इस्तेमाल का मतलब इसके बीज की बिक्री बढ़ाना और मल्टी नेशनल कंपनियों को मुनाफा पहुंचाना है।

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