केंद्रीय उपभोक्ता कार्यक्रम, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, वस्त्र और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ‘भारत दाल’ ब्रांड के तहत एक किलोग्राम पैक के लिए 60 रुपये प्रति किलोग्राम और 30 किलो पैक के लिए प्रति किलो 55 रुपये की दर से सब्सिडी वाली चना दाल के बिक्री कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।
दिल्ली-एनसीआर में राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नाफेड) के खुदरा आउटलेट चना दाल की बिक्री कर रहे हैं। ‘भारत दाल’ की शुरूआत, सरकार के चना स्टॉक को चना दाल में परिवर्तित करके उपभोक्ताओं को किफायती कीमतों पर दालें उपलब्ध कराने की दिशा में केंद्र सरकार द्वारा उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है।
राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नाफेड) द्वारा चना दाल की मिलिंग और पैकेजिंग दिल्ली-एनसीआर में अपने खुदरा दुकानों और एनसीसीएफ, केंद्रीय भंडार तथा सफल के आउटलेट के माध्यम से वितरण के लिए की जाती है। इस व्यवस्था के तहत, चना दाल राज्य सरकारों को उनकी कल्याणकारी योजनाओं, पुलिस, जेलों और इनके उपभोक्ता सहकारी दुकानों को भी वितरण के लिए उपलब्ध कराई जाती है।
चना दाल, भारत में सबसे अधिक मात्रा में उत्पादित होने वाली दाल है और पूरे भारत में कई रूपों में इसका उपयोग किया जाता है। सलाद बनाने के लिए साबुत चने को भिगोकर उबाला जाता है और भुने चने को नाश्ते के रूप में परोसा जाता है। तली हुई चना दाल का उपयोग अरहर दाल, करी और सूप के विकल्प के रूप में भी किया जा सकता है।
चना बेसन नमकीन और मिठाइयों के लिए एक प्रमुख सामग्री है। चने के कई पोषण संबंधी स्वास्थ्य लाभ हैं, क्योंकि यह फाइबर, आयरन, पोटेशियम, विटामिन बी, सेलेनियम बीटा कैरोटीन और कोलीन से भरपूर है जो मानव शरीर को एनीमिया, रक्त शर्करा, हड्डियों के स्वास्थ्य और यहां तक कि मानसिक स्वास्थ्य को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक होते हैं।