Friday, December 27, 2024
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पंचकेदारों में प्रतिष्ठित द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट विधि-विधान से खुले

उखीमठ (हि.स.)। पंचकेदारों में प्रतिष्ठित द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट आज सोमवार पूर्वाह्न 11:15 बजे विधि-विधान से खुल गये हैं। इस अवसर पर साढ़े तीन सौ से अधिक श्रद्धालु मौजूद रहे।

कपाट खुलने की प्रक्रिया श्री मद्महेश्वर की देवडोली के पहुंचने के बाद आज प्रात: दस बजे पूर्वाह्न शुरू हुई। ठीक पूर्वाह्न सवा ग्यारह बजे पुजारी टी गंगाधर लिंग ने पूजा-अर्चना पश्चात बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अधिकारियों, हक-हकूक धारियों की उपस्थिति में विधि-विधान से मद्महेश्वर मंदिर के कपाट खोल दिये। इसके पश्चात भगवान मद्महेश्वर के स्वयंभू शिवलिंग को समाधि रूप अलग कर निर्वाण रूप और उसके पश्चात श्रृंगार रूप दिया गया तत्पश्चात श्रद्धालुओं ने दर्शन किये।

कपाट खुलने के लिए पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश की ओर से मंदिर को भव्य रूप से फूलों से सजाया गया था। इस अवसर पर आचार्य वदपाठीं मंदिर समिति अधिकारीं- कर्मचारी एवं हकहकूकधारी मौजूद रहे।

कपाट खुलने पर बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष (बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने अपने संदेश में शुभकामनाएं में कहा कि बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान श्री मदमहेश्वर के दर्शन के लिए पहुंचेंगे।

बीकेटीसी उपाध्यक्ष किशोर पंवार और मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह ने मद्महेश्वर यात्रा शुरू होने पर प्रसन्नता जताई है। उन्होंने बताया कि पर्याप्त यात्रा तैयारियां की गयी है।

आज प्रात: ही श्री मद्महेश्वर की उत्सव डोली गौंडार गांव से मदहेश्वर पहुंची थी। जबकि बीते कल 19 मई को द्वितीय केदार मदमहेश्वर की देवडोली अन्य देव निशानों के साथ राकेश्वरी मंदिर रांसी से गौंडार गांव रात्रि विश्राम को प्रस्थान हुई थी।

कपाट खुलने के अवसर पर पुजारी टी गंगाधर लिंग,देवरा प्रभारी यदुवीर पुष्पवान, ग्राम प्रधान वीर सिंह पंवार, देवानंद गैरोला, डोली प्रभारी मनीष तिवारी, अवर सहायक दीपक पंवार सहित वन विभाग के कर्मचारी सहित रांसी पंच गौंडार के हकहकूकधारी मौजूद रहे।

बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि मंदिर समिति के सेवादार व हक-हकूकधारी देवडोली के साथ चल रहे हैं और पैदल चलकर देवडोली आज प्रात: सोमवार सुबह को मदमहेश्वर धाम पहुंची। आज 20 मई पूर्वाह्न 11.15 बजे( सवा ग्यारह बजे) श्री मद्महेश्वर के कपाट शीत काल के दर्शनार्थ खुल गये।

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