नई दिल्ली (हि.स.)। भारतीय वायु सेना की मेजबानी में पहला बहुराष्ट्रीय हवाई अभ्यास ‘तरंग शक्ति’ बुधवार से दक्षिण भारत के सुलूर में शुरू हो गया है। अभ्यास में हिस्सा लेने के लिए विदेशी वायु सेनाओं के विमान भारत की धरती पर मंगलवार से ही उतरने लगे थे। जर्मन, स्पेनिश और फ्रांसीसी वायु सेनाओं के विमानों का स्वागत वायु सेना के उप प्रमुख एयर मार्शल अमर प्रीत सिंह ने खुद एलसीए तेजस में उड़ान भरकर आसमान में किया। जर्मन वायु सेना के प्रमुख खुद विमान उड़ाकर भारत पहुंचे।
भारतीय वायु सेना पहली बार बहुराष्ट्रीय हवाई अभ्यास ‘तरंग शक्ति’ की मेजबानी कर रहा है। अभ्यास में शामिल होने के लिए 51 देशों को आमंत्रित किया गया, जिसमें 12 देशों की वायु सेनाओं ने भारत आने की सहमति दी। दो चरणों में होने वाले अभ्यास का पहला चरण दक्षिण भारत के सुलूर में शुरू हो गया है, जो 14 अगस्त तक चलेगा। इसमें भाग लेने के लिए जर्मनी, फ़्रांस, स्पेन और ब्रिटेन की वायु सेनाएं भारत पहुंच चुकी हैं। उसके बाद दूसरा चरण 29 अगस्त से 14 सितंबर तक पश्चिमी क्षेत्र के जोधपुर में होगा, जिसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ग्रीस, बांग्लादेश, सिंगापुर, यूएई की वायु सेनाएं शामिल होंगी।
सुलूर में अभ्यास ’तरंग शक्ति’ के शुभारंभ पर वायु सेना के उप प्रमुख एयर मार्शल अमर प्रीत सिंह ने भारत में निर्मित लड़ाकू विमान एलसीए तेजस में उड़ान भरकर जर्मन वायु सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल इंगो गेरहार्ट्ज और फ्रांसीसी, स्पेनिश लड़ाकू विमानों का शानदार हवाई मुलाक़ात में स्वागत किया। उन्होंने एलसीए तेजस से जर्मन, स्पेनिश और फ्रांसीसी वायु सेना के यूरोफाइटर टाइफून और राफेल विमानों को हवा में रोका और बहुराष्ट्रीय अभ्यास तरंग शक्ति में शामिल होने के लिए उनका स्वागत किया।
भारतीय एलसीए तेजस को वायु सेना के उप प्रमुख एयर मार्शल एपी सिंह उड़ा रहे थे, जबकि जर्मन विमान को जर्मन वायु सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल इंगो गेरहार्ट्ज उड़ा रहे थे। जर्मन वायु सेना प्रमुख ने कहा, “मैंने आज उड़ान भरी और यह बहुत अच्छा रहा। भारतीय वायु सेना का विमान हमारे पास आया और हमें रोक लिया। मैं इस अभ्यास में उड़ान भरने के लिए उत्सुक हूं।” भारत के पहले बहुराष्ट्रीय अभ्यास तरंग शक्ति में भाग लेने के लिए भारतीय वायु सेना स्टेशन पालम में जर्मन वायु सेना का परिवहन विमान ए-400 एम उतरा और फिर सुलूर के लिए उड़ान भरी।
बहुराष्ट्रीय हवाई अभ्यास ‘तरंग शक्ति’ शुरू होने पर वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने कहा कि यह हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है कि हम भारत में इतने बड़े पैमाने पर अभ्यास आयोजित करने में सक्षम हुए हैं। हम वर्षों से कई देशों के साथ द्विपक्षीय अभ्यास करते रहे हैं और यह पहली बार है कि हम इस पैमाने का बहुपक्षीय अभ्यास कर रहे हैं। बहुपक्षीय अभ्यास के लिए सुलूर को ही क्यों चुना गया, इस पर एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि हमारे पास छह अलग-अलग प्रकार के विमान हैं, जो आने वाले देशों के दो यूरोफाइटर टाइफून और राफेल के साथ उड़ान भर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हमने अभ्यास के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध वातावरण भी तैयार किया है, जहां हमने भारतीय वायु सेना का महत्वपूर्ण हिस्सा सतह से हवा में मार करने वाले निर्देशित हथियार तैनात किये हैं। इसके अलावा कई तरह के राडार और एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम हर मिशन में विरोधियों के खिलाफ किसी तरह के नेटवर्क वातावरण में काम करते हैं। पूरा अभ्यास प्रतिभागी वायु सेनाओं के साथ एक सामान्य डेटा लिंक के बिना सक्षम होना है, जो अपने आप में एक जटिल अभ्यास है। भारत की ओर से अभ्यास का मुख्य फोकस ‘आत्मनिर्भरता’ के तहत स्वदेशी क्षमताओं का प्रदर्शन करना होगा।
भारत में जर्मनी के राजदूत डॉ. फिलिप एकरमैन कहते हैं, “यह अभ्यास शानदार है। हम भारतीय वायुसेना के आदर्श वाक्य ‘आसमान को छूओ’ में शामिल होकर खुश हैं। यह पहली बार है, जब जर्मन वायुसेना भारत में भारतीय वायुसेना के साथ उड़ान भर रही है। हमारे लिए यह पहला है लेकिन आखिरी नहीं है और हम भविष्य में भी अभ्यास करेंगे। अक्टूबर में हमारा एक फ्रिगेट गोवा आ रहा है। यह क्षेत्र में हमारी बढ़ती भागीदारी और भारत गणराज्य के साथ हमारी बढ़ती सामरिक सैन्य साझेदारी को दर्शाता है और हमें इस पर गर्व है।