एक मशहूर कहावत है कि बिल्ली को ख़्वाब में भी छीछड़े ही नज़र आते हैं, उसी तरह बिजली अधिकारियों को भी सिर्फ राजस्व वसूली ही दिखाई देती है और इसके लिए वो नीति-नियम, नैतिक-अनैतिक कुछ भी नहीं देखते-सोचते हैं।
मामला ये है कि बिजली कंपनी के एमडी ने जिस लाइनकर्मी को राष्ट्रीय लाइनमैन दिवस के दिन मुख्यालय बुलाकर उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया था, कुछ दिनों बाद अनुशासनात्मक कार्यवाही किए जाने का नोटिस देकर उसी लाइनकर्मी को सहायक अभियंता ने अपमानित कर दिया, वो भी उस कार्य के लिए जो नियमानुसार के लाइनकर्मियों का मूल कार्य नहीं है।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि 4 मार्च 2024 को राष्ट्रीय लाइनमैन दिवस पर रामपुर स्थित तरंग ऑडिटोरियम में पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के एमडी के द्वारा प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह देकर लाईनमैनों का सम्मान किया गया था।
इसके कुछ ही दिनों बाद 29 मार्च 2024 को जेसू पूर्व शहर संभाग के सहायक अभियंता के द्वारा राजस्व वसूली के लक्ष्य प्राप्ति हेतु कुछ तकनीकी कर्मचारियों को नोटिस दे दिया गया। इनमें वो लाइनकर्मी भी शामिल था, जिसका सम्मान एमडी द्वारा किया था। वहीं सहायक अभियंता ने राजस्व वसूली के लक्ष्य की पूर्ति नहीं होने पर महीना समाप्ति के पहले ही नोटिस दे दिया गया, जबकि महीना समाप्त होने के बाद जेसू पूर्व शहर संभाग लक्ष्य से अधिक राजस्व का संग्रहण किया था।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि सहायक अभियंता ने लाइनकर्मी को अपमानित करने के उद्देश्य से उक्त नोटिस को अधिकारी कर्मचारियों के ग्रुप में डालकर सार्वजनिक कर दिया, जो कि गलत है। सहायक अभियंता की इस हरकत से न केवल लाइनकर्मी का स्वाभिमान आहत हुआ, अपितु एमडी द्वारा दिए गए सम्मान का भी अपमान हुआ।
हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि लाइनकर्मियों का मूल कार्य फ्यूज आफ कॉल अटेंड करना, फाल्ट का सुधार करना और मेंटेनेंस करना है न कि राजस्व वसूली, लेकिन लाइनकर्मी कंपनी हित और उपभोक्ता सेवा को सर्वोपरि मानते हुए हर कार्य स्वीकार कर लेते हैं ताकि किसी तरह का अवरोध और व्यवधान न उत्पन्न हो, लेकिन अधिकारियों द्वारा दबाव बनाकर कार्य कराना और उन्हें सार्वजनिक रूप से अपमानित करना सर्वथा अनुचित है।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि अधिकारी द्वारा कर्मचारियों को कोई भी नोटिस दिया जाता है तो वह स्वयं में गोपनीय होता है। अनुशासनात्मक नोटिस उनके अपमान एवं प्रताड़ना को प्रदर्शित करता है, उसे सार्वजनिक करना उन कर्मचारियों की निजता का हनन है, वहीं अधिकारी के द्वारा जो नोटिस दिया गया है, मार्च महीने की समाप्ति के बाद देना था, वो भी तब, जब लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती।
संघ के मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, लखन सिंह राजपूत, इंद्रपाल सिंह, राजेश यादव, संदीप यादव, विपतलाल विश्वकर्मा, अमीन अंसारी, मदन पटेल, दशरथ शर्मा, शशि उपाध्याय, विनोद दास, राजेश शरण, हीरेंद्र रोहिदास, विकास ठाकुर आदि ने कंपनी प्रबंधन से कहा कि आउटसोर्स, संविदा एवं नियमित कर्मचारियों की अत्यधिक कमी होने से एक कर्मचारी के ऊपर तीन कर्मचारियों के कार्य का बोझ लाड दिया गया है, उस पर जमीनी अधिकारी मानव अधिकारों का हनन करते हुए नोटिस देकर प्रताड़ित कर रहे हैं। संघ ने मांग की है कि ऐसी प्रवृत्ति पर रोक लगाई जाए और इस मामले की जांच कर कार्यवाही की जाए।