प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज मन की बात कार्यक्रम के 74वां संस्करण में देशवासियों को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि कल माघ पूर्णिमा का पर्व था। माघ का महीना विशेष रूप से नदियों, सरोवरों और जलस्त्रोतों से जुड़ा हुआ माना जाता है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है- “माघे निमग्ना: सलिले सुशीते, विमुक्तपापा: त्रिदिवम् प्रयान्ति ।।” अर्थात, माघ महीने में किसी भी पवित्र जलाशय में स्नान को पवित्र माना जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि “दुनिया के हर समाज में नदी के साथ जुड़ी हुई कोई-न-कोई परम्परा होती ही है। नदी तट पर अनेक सभ्यताएं भी विकसित हुई हैं। हमारी संस्कृति क्योंकि हजारों वर्ष पुरानी है, इसलिए, इसका विस्तार हमारे यहाँ और ज्यादा मिलता है।
भारत में कोई ऐसा दिन नहीं होगा जब देश के किसी-न-किसी कोने में पानी से जुड़ा कोई उत्सव न हो।इस बार हरिद्वार में कुंभ भी हो रहा है। जल हमारे लिये जीवन भी है, आस्था भी है और विकास की धारा भी है।
पानी को लेकर हमें इसी तरह अपनी सामूहिक जिम्मेदारियों को समझना होगा। इसी सोच के साथ अब से कुछ दिन बाद जल शक्ति मंत्रालय द्वारा भी जल शक्ति अभियान– ‘Catch the Rain’ भी शुरू किया जा रहा है।
माघ पूर्णिमा के दिन ही संत रविदास जी की जयंती होती है। आज भी, संत रविदास जी के शब्द, उनका ज्ञान, हमारा पथ प्रदर्शन करता है। उन्होंने समाज में व्याप्त विकृतियों पर हमेशा खुलकर अपनी बात कही और उसे सुधारने की राह दिखाई।
हमारे युवाओं को एक और बात संत रविदास जी से जरुर सीखनी चाहिए। युवाओं को कोई भी काम करने के लिये, खुद को, पुराने तौर तरीकों में बांधना नहीं चाहिए। आप, अपने जीवन को खुद ही तय करिए। आपको कभी भी नया सोचने, नया करने में, संकोच नहीं करना चाहिए।
आज National Science Day भी है।आज का दिन भारत के महान वैज्ञानिक, डॉक्टर सी.वी. रमन जी द्वारा की गई ‘Raman Effect’ खोज को समर्पित है। मैं जरुर चाहूँगा कि हमारे युवा, भारत के वैज्ञानिक – इतिहास को, हमारे वैज्ञानिकों को जाने, समझें और खूब पढ़ें।
आत्मनिर्भर भारत अभियान’ में साइंस की शक्ति का बहुत बड़ा योगदान है। हमें साइंस को Lab to Land के मंत्र के साथ आगे बढ़ाना होगा। जब देश का हर नागरिक अपने जीवन में विज्ञान का विस्तार करेगा, हर क्षेत्र में करेगा, तो प्रगति के रास्ते भी खुलेंगे और देश आत्मनिर्भर भी बनेगा और मुझे विश्वास है, ये देश का हर नागरिक कर सकता है।
जब दर्जनों देशों तक मेड इन इंडिया कोरोना वैक्सीन पहुँचते हुए देखते हैं, तो हमारा माथा और ऊंचा हो जाता है। जब प्रत्येक देशवासी गर्व करता है, प्रत्येक देशवासी जुड़ता है, तो आत्मनिर्भर भारत, सिर्फ एक आर्थिक अभियान न रहकर एक नेशनल स्पिरिट बन जाता है।
कुछ लोग समझते हैं कि इनोवेशन करने के लिए आपका साइंटिस्ट होना जरूरी है, कुछ सोचते हैं कि दूसरों को कुछ सिखाने के लिए आपका टीचर होना जरूरी है। इस सोच को चुनौती देने वाले व्यक्ति हमेशा सराहनीय होते हैं।
आने वाले कुछ महीने अधिकतर युवा साथियों की परीक्षाएं होंगी। आपको याद है ना- Warrior बनना है Worrier नहीं, हंसते हुए Exam देने जाना है और मुस्कुराते हुए लौटना है। किसी और से नहीं, अपने आप से ही स्पर्धा करनी है।
पर्याप्त नींद भी लेनी है और टाइम मैनेजमेंट भी करना है। खेलना भी नहीं छोड़ना है, क्योंकि जो खेले वो खिले। रिविजन और याद करने के स्मार्ट तरीक़े अपनाने हैं, यानी, कुल मिलाकर इन एग्जाम में, अपने बेस्ट को, बाहर लाना है।