नई दिल्ली (हि.स.)। केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को आपातकाल विषय पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि आज संविधान की प्रति हाथ में लेकर शपथ लेने वालों के इतने पाप हैं कि उन्हें संविधान छूने का हक़ भी नहीं है। कांग्रेस के डीएनए में ही तानाशाही है, वे निरंकुश शासन चाहते हैं।
आपातकाल के 49 वर्ष पूरे होने पर प्रज्ञा संस्थान, नरेन्द्र मोदी अध्ययन केंद्र और महामना मालवीय मिशन ने संयुक्त रूप से आज एक परिसंवाद का आयोजन किया। परिसंवाद का विषय था- इमरजेंसी : आज़ाद भारत का सबसे काला अध्याय। इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित इस समारोह के मुख्य वक्ता केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज चौहान थे। समारोह की अध्यक्षता पहले मीसा बंदी रामबहादुर राय ने की। कार्यक्रम में विद्यार्थी परिषद के नेता राजकुमार भाटिया, पूर्व सांसद राजेन्द्र अग्रवाल भी उपस्थित थे।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारत प्राचीन काल से वैचारिक स्वतंत्रता वाला राष्ट्र रहा है। लोकतंत्र यहाँ का मूल चरित्र ही है। आपातकाल के दौर में हुए बर्बर अत्याचार के वर्णन को याद करते हुए उन्होंने कहा कि कितने ही लोगों के साथ जेल में अमानवीय अत्याचार हुए। इन घटनाओं को याद करें तो हमें पता चलेगा कि वह दौर भारत का सबसे काला अध्याय है। उस काले अध्याय को आज की पीढ़ी को जानना चाहिए। फिर कभी वह दौर लौट कर नहीं आना चाहिए ।
सूर्यकांत केलकर का स्मरण करते हुए शिवराज चौहान ने कहा कि आपातकाल के खिलाफ संघ ने ही अभियान चलाया और वे भी उसी की देन हैं।
वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय ने अपने संबोधन में मांग की कि आपातकाल की ज़्यादतियों पर तैयार की गई शाह कमीशन की रिपोर्ट को फिर से प्रकाशित करना चाहिए। इसके साथ ही लोगों की हत्या और बर्बर अत्याचार के लिए इंदिरा गांधी और संजय गांधी के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में मुक़दमा दायर करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि 26 जून की सुबह 8 बजे आकाशवाणी से आपातकाल की घोषणा करते हुए इंदिरा गांधी ने झूठ का पुलिंदा खड़ा किया था। उस समय किसी ने पुलिस या सेना को विद्रोह करने के लिए नहीं कहा था और ना ही वैसा कुछ हुआ। सच यह है कि बेईमानी से लड़े चुनाव के ख़ारिज किए जाने के बाद सत्ता में बने रहने के लिए इंदिरा ने ऐसा किया और अपने लाड़ले बेटे संजय गांधी को सत्ता के अघोषित अधिकार दिये। संजय गांधी ने अपने अधिकारों का भारी दुरुपयोग किया।
रामबहादुर राय ने केआर मलकानी, पीएन धर और विशन टंडन की पुस्तकों को पढ़ने का आह्वान करते हुए कहा कि हमें उस क्रूर और काले अध्याय का सच अवश्य जानना चाहिए ।
राजकुमार भाटिया ने अपने वक्तव्य में कहा कि इंदिरा गांधी एक तानाशाह थीं और उस समय उनके सामने विपक्ष बौना हो गया था। हमने लोकतंत्र वापस पाने की बड़ी क़ीमत चुकाई है। संघ के तत्कालीन संघ प्रमुख ने इंदिरा गांधी को पत्र लिखकर समाधान तलाशने का प्रयास किया था। 2024 के चुनावों में भी दिखता है कि हमारे देश में विदेशी दखल कितना बढ़ गया है। देश को नरेन्द्र मोदी का नेतृत्व मिलना देश के लिए सौभाग्य की बात है ।
मेरठ से पूर्व सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि उन्हें भी इंदिरा गांधी की जेल में रहने का अवसर मिला और पीलीभीत की जेल में उन्हें 16 महीने सूर्य निकलते और डूबते हुए देखना नसीब नहीं हुआ था। उस दौर में इंदिरा गांधी ने संविधान की मूल भावना को बदला और भारी अपराध किया। इंदिरा ने कुर्सी बचाने के लिए लोगों पर जुल्म ढाए और संविधान को कुचल कर न्यायालय और मीडिया तक को बंधक बनाकर रखा। यह सारी स्मृतियाँ हर साल याद करनी चाहिए, सहेज कर रखनी चाहिए ताकि लोकतंत्र मज़बूत रहे।
उन्होंने कहा कि आज संविधान की प्रति हाथ में लेकर शपथ लेने वाले कालनेमि की तरह नाटकबाज़ हैं, इनसे सावधान रहें। यही लोग संविधान को ताक पर रखकर आपातकाल थोपने के दोषी हैं।
इस विषय पर अमेरिका निवासी जतिन्दर कुमार ने बताया कि कैसे उन्होंने भारत में लोकतंत्र की बहाली के लिए वहाँ से काम किया। इतना ही नहीं तो अन्य देशों से संपर्क कर इंदिरा गांधी पर दवाब बनाने वाला काम किया कि वे इमरजेंसी हटाएं। जतिन्दर कुमार ने बताया कि उस समय पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ही सबसे अधिक सक्रिय और प्रभावी संगठन था जो आपातकाल के ख़िलाफ़ योजनाबद्ध व संगठित तरीक़े से काम कर रहा था।