चंडीगढ़ (हि.स.)। हरियाणा सरकार से समर्थन वापस लेने वाले तीन निर्दलीय विधायकों ने देर रात प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को समर्थन वापसी का पत्र भेज दिया है। तीन विधायकों के समर्थन वापस लिए जाने के बावजूद प्रदेश की नायब सैनी सरकार पर किसी तरह का राजनीतिक संकट नहीं है। सरकार से समर्थन वापस लेने वाले पूंडरी के निर्दलीय विधायक रणधीर गोलन, चरखी दादरी के निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान, नीलोखेड़ी के निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदर ने हस्ताक्षर करके एक समर्थन वापसी पत्र राज्यपाल को भेज दिया है जिसे मीडिया में जारी किया गया।
नए राजनीतिक घटनाक्रम के बाद सरकार विधायकों के संख्या बल के हिसाब से अल्पमत में आ गई है। इसके बावजूद संवैधानिक तौर पर सरकार को अगले चार माह तक किसी तरह का खतरा नहीं है। पूर्व मुख्मयंत्री मनोहर लाल के इस्तीफा देने से पहले 22 फरवरी 2024 को विधानसभा के बजट सत्र के दौरान कांग्रेस भाजपा सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी। उस समय निर्दलीय विधायकों के सहयोग और समर्थन के चलते भाजपा बहुमत साबित करने में कामयाब हो गई थी। जेजेपी के कुछ विधायकों ने भी भाजपा सरकार को अपना समर्थन दिया था, जिस कारण भाजपा व जेजेपी का गठबंधन टूटने के बावजूद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की सरकार को कोई खतरा नहीं पहुंचा था।
संवैधानिक दृष्टि से 22 फरवरी के बाद से अगले छह माह तक नायब सिंह सैनी की सरकार के विरुद्ध कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता। इस हिसाब से अल्पमत में होने के बावजूद सरकार को 22 अगस्त तक किसी तरह का खतरा नहीं है। हरियाणा में चूंकि सितंबर-अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं तो ऐसे में सरकार अगस्त में भी विधानसभा भंग कर चुनाव कराने की घोषणा कर सकती है।
मुख्यमंत्री ने अगर सरकार भंग करने की सिफारिश नहीं की और कांग्रेस फिर से सरकार के विरुद्ध किसी तरह का अविश्वास प्रस्ताव लेकर आती है तो जेजेपी के 10 असंतुष्ट विधायकों में से पांच भाजपा के साथ हैं। तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद फिलहाल भाजपा के 40 विधायकों के साथ दो निर्दलीय नयनपाल रावत और राकेश दौलताबाद तथा एक हलोपा विधायक गोपाल कांडा का समर्थन रह गया है, जो कि बहुमत के आंकड़े से दो विधायक कम है।