केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास और अल्पसंख्यक कार्य मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी विज्ञान भवन में महिला एवं बाल विकास और आयुष राज्य मंत्री डॉ मुंजपारा महेन्द्रभाई की उपस्थिति में आयोजित एक राष्ट्रीय लोकसम्पर्क कार्यक्रम में दिव्यांग बच्चों के लिए आंगनवाड़ी प्रोटोकॉल लॉन्च किया गया इस कार्यक्रम का आयोजन दिव्यांग बच्चों के बेहतर कल्याण के लिए समग्र पहुंच को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को साकार करने के लिए किया गया था।
इस कार्यक्रम में देश भर से महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, राज्य स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधिकारी, सीडीपीओ, महिला पर्यवेक्षक, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और आशा कार्यकर्ता और राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (निमहांस) जैसे प्रमुख संगठनों के विशेषज्ञ शामिल हुए।
अपने मुख्य भाषण में, केंद्रीय मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की पहल को समर्थन देने के लिए दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को धन्यवाद दिया। श्रीमती ईरानी ने कहा कि वर्तमान में 3 से 6 वर्ष की आयु के 4.37 करोड़ बच्चों को हर दिन पका हुआ गर्म भोजन और ईसीसीई की सहायता दी जा रही है, 0 से 3 वर्ष की आयु के 4.5 करोड़ बच्चों को घर ले जाने के लिए राशन और उनके घरों के दौरों तथा 0-6 वर्ष आयु वर्ग के 8 करोड़ से अधिक बच्चों को प्रारंभिक शिशु विकास को बढ़ाने के लिए वृद्धि निगरानी और स्वास्थ्य प्रणाली में रेफरल की सहायता प्रदान की जा रही है। श्रीमती ईरानी ने बताया कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा पिछले 4 महीनों में बच्चों के लिए 16 करोड़ गृह दौरे किए गए हैं।
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ने एक ट्वीट में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अमृत काल में स्वस्थ सुपोषित भारत के विजन के अनुरूप, यह प्रोटोकॉल चरण-दर-चरण दृष्टिकोण के साथ पोषण अभियान के तहत दिव्यांगजनों की समावेशी देखभाल के लिए एक सामाजिक मॉडल का प्रतीक है। :
चरण 1: प्रारंभिक विकलांगता लक्षणों की जांच
चरण 2: सामुदायिक कार्यक्रमों में शामिल करना और परिवारों को सशक्त बनाना
चरण 3: आशा/एएनएम और राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम टीमों के माध्यम से रेफरल सहायता।
श्रीमती ईरानी ने कहा कि दिव्यांग प्रोटोकॉल के माध्यम से, प्रत्येक जिला प्रशासन को शिक्षा और पोषण की विशेष आवश्यकताओं पर ध्यान देने, दिव्यांग बच्चों और उनके परिवारों के सशक्तिकरण के लिए स्वावलंबन कार्ड प्रदान करने में मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि पोषण ट्रैकर पर बच्चों की विकासात्मक उपलब्धियों को ट्रैक किया जाएगा और डेटा को संबंधित मंत्रालयों अर्थात स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, डीओएससीएल, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग आदि के साथ संयोजित किया जाएगा। उन्होंने किरण और संवाद हेल्पलाइन के बीच एक समन्वय का भी प्रस्ताव रखा ताकि वे अपनी सर्वोत्तम क्षमताओं के साथ एक साथ आ सकें और शक्तियों का एक साथ लाभ उठा सकें।
श्रीमती ईरानी ने आंगनवाड़ी केंद्रों को और अधिक समावेशी बनाने के लिए उनमें सुधार और उन्नयन की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने यह भी बताया कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए 300 करोड़ रुपये आवंटित किए जा रहे हैं और दोहराया कि दिव्यांग बच्चों की पहचान, रेफरल और समावेशन के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के विशेष प्रशिक्षण में डीईपीडब्ल्यूडी का मार्गदर्शन और सहायता अमूल्य होगी।
समुदायों की भूमिका की चर्चा करते हुए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ने रेखांकित किया कि यह एक मूक क्रांति है जहां आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मानसिकता में बदलाव के लिए जमीनी स्तर पर जागरूकता और संवेदनशीलता प्रदान करेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि दिव्यांग बच्चे को शिक्षित करने की प्रक्रिया कई लोगों के लिए महंगी और पहुंच से बाहर रही है, लेकिन अब आंगनवाड़ी नेटवर्क के माध्यम से दिव्यांग बच्चों की देखभाल को किफायती बनाया जा रहा है।
श्रीमती ईरानी ने विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के माता-पिता के लिए एक लोक सम्पर्क बनाने और उनकी जागरूकता बढ़ाने का आग्रह किया, क्योंकि ये कदम उनके बच्चों की प्रतिभा और साहस को समृद्ध करने और सीखने को अधिक समावेशी बनाने का एक माध्यम हैं। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ने निष्कर्ष के रूप में कहा “आइए हम अपने विचारों को एक बच्चे के सक्षम हृदय की क्षमता को सीमित न करने दें”।