केन्द्रीय विद्युत मंत्री आर के सिंह की अध्यक्षता में तथा विद्युत और भारी उद्योग राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर की उपस्थिति में नई दिल्ली में राज्यों और राज्य में उपभोक्ताओं तक बिजली पहुंचाने वाले विभागों के साथ समीक्षा योजना और निगरानी (आरपीएम) बैठक आयोजित की गई। बैठक में क्षेत्रीय व्यवहार्यता और स्थिरता को मजबूती प्रदान करने के साथ विद्युत क्षेत्र में राष्ट्रीय महत्व के अनेक मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया।
इसमें सरकारी विभागों में बिजली बकाया और सब्सिडी बकाया का परिसमापन, सरकारी विभागों में प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग की प्रगति, ऊर्जा लेखांकन और सब्सिडी लेखांकन की मजबूत प्रणाली स्थापित करना तथा समय पर और अग्रिम भुगतान, नियमित और सही दर सूची का समय पर निर्धारण, बिजली उपयोग के खर्च से जुड़े खातों को समय पर अंतिम रूप देना, फीडर और डीटी मीटरिंग की प्रगति, वितरण क्षेत्र की नवीनीकृत योजना की प्रगति और बिजली (विलंब भुगतान अधिभार और संबंधित मामले) नियम, 2022 के संबंध में अनुपालन शामिल हैं।
बैठक के दौरान केन्द्रीय विद्युत मंत्री ने उपभोक्ताओं तक बिजली वितरण की 10वीं एकीकृत रेटिंग, विद्युत वितरण कंपनियों की पहली उपभोक्ता सेवा रेटिंग और भारत ई-स्मार्ट मोबाइल एप्लिकेशन (बीईएसएमए) की शुरूआत की।
उपभोक्ताओं तक बिजली पहुंचाने के कार्य के मूल्यांकन के उद्देश्य से वित्तीय स्थिरता, प्रदर्शन उत्कृष्टता और बाहरी वातावरण और साल दर साल सुधार को बनाए रखने की उनकी क्षमता को शामिल करते हुए अनेक मापदंडों का 2012 से हर वर्ष एकीकृत रेटिंग कार्य किया जा रहा है। रेटिंग की कार्यप्रणाली की व्यापक रूप से समीक्षा की गई और वर्तमान रेटिंग कार्य में उसमें संशोधन किया गया जो श्रृंखला में दसवीं है।
रेटिंग में अब वित्तीय प्रदर्शन पर अधिक जोर देने के साथ परिचालन क्षमता और वितरण के बाहरी इकोसिस्टम का आकलन भी किया जाता है। वितरण कंपनियों की रेटिंग उनकी वित्तीय स्थिति पर प्रभाव डालने वाली प्रकृति के अनुसार गतिशील होगी। निजी वितरण कंपनियां और राज्य बिजली विभागों को भी व्यापक क्षेत्रीय कवरेज विवरण के लिए शामिल किया गया है। इसे urjadrishti.com पर देखा जा सकता है।
देश भर में बिजली उपभोक्ताओं को सर्वश्रेष्ठ सेवाएं सुनिश्चित करने पर केन्द्रित अनेक सुधार उपायों को आगे बढ़ाते हुए, केन्द्रीय मंत्री ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए वितरण कंपनियों की पहली उपभोक्ता सेवा रेटिंगकी भी शुरूआत की। यह उपभोक्ता सेवाओं के प्रमुख मापदंडों जैसे परिचालन विश्वसनीयता, कनेक्शन सेवाओं, मीटरिंग, बिलिंग और संग्रह सेवाओं, दोष सुधार और शिकायत निवारण का गहराई से पता लगाता है।
विद्युत वितरण कंपनियों को सात सूत्री स्केल पर विभिन्न पहचाने गए मापदंडों पर रेट किया गया है। इसका उद्देश्य सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली वितरण कंपनियों की कार्य प्रणालियों को साझा करने के साथ-साथ अन्य वितरण कंपनियों को प्रदर्शन बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान करने में मदद करना है।
उपभोक्ता सशक्तिकरण को बढ़ाने की दिशा में एक कदम के रूप में, स्मार्ट मीटरिंग की राष्ट्रव्यापी शुरूआत के लिए प्रीपेड स्मार्ट मीटर के लिए एक फ्री-टू-यूज़ मोबाइल ऐप की भी शुरूआत की गई थी। यह मोबाइल ऐप स्मार्ट मीटर के डेटा पर बनेगा और उपभोक्ताओं को उनके बिजली के उपयोग और बिजली की यूनिटों और मुद्रा संबंधी शेष बिजली से संबंधित आवश्यक जानकारी प्रदान करेगा।
ऐप उपभोक्ताओं को उनके बिजली के उपयोग से संबंधित वास्तविक समय की जानकारी तक पहुंचने और अलर्ट और सूचनाएं प्राप्त करने में सक्षम करेगा। ऐप मोबाइल फोन से आसानी से भुगतान और रिचार्ज के लिए यूपीआई, नेट बैंकिंग, क्रेडिट और डेबिट कार्ड आदि जैसे अनेक विकल्प और रास्ते प्रदान करता है।
इस मोबाइल ऐप का उद्देश्य उपभोक्ताओं को लगभग वास्तविक समय में उनके बिजली के उपयोग पर एक कमांड हासिल करने में सक्षम बनाना है, साथ ही उनकी जरूरतों के अनुसार बिजली उपयोग में उनकी मदद करते हुए, ऊर्जा दक्षता प्राप्त करने के लिए खपत व्यवहार में बदलाव करने के साथ ही उनके बिलों को कम करने में मदद करना है।
बिजली मंत्रालय के पास आवश्यकता देने के बाद उपभोक्ताओं तक बिजली पहुंचाने वाले सभी विभागों में यह ऐप नि:शुल्क उपलब्ध रहेगा। जबकि ऐप में विशिष्ट उपयोगिता आवश्यकताओं के अनुसार शीर्ष स्तर पर कस्टमाइजेशन किया जा सकता है, वितरण कंपनियों के लिए ओ और एम 10 वर्षों के लिए मुफ्त होगा। मोबाइल ऐप मजबूत सुरक्षा उपायों पर बनाया गया है और व्यक्तिगत डेटा को भी सुरक्षित रखने की इसमें पर्याप्त व्यवस्था है।
10वीं एकीकृत रेटिंग और रैंकिंग में राज्य और निजी विद्युत वितरण कंपनियों को शामिल किया गया है। इस रैंकिंग में A+ रैंक के साथ पहले स्थान पर गुजरात सरकार की दक्षिण गुजरात विज कंपनी लिमिटेड और दूसरे स्थान पर मध्य गुजरात विज कंपनी लिमिटेड है। तीसरे स्थान पर भी सरकारी कंपनी दादर और नगर हवेली पावर डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड है। वहीं मध्य प्रदेश की बात करें तो प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियां इस सूची में फिसड्डी साबित हुईं। एमपी की पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी C रैंक के साथ 24वें नंबर पर है। जबकि C- रैंक के साथ पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी 47वें नंबर पर तथा मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी 48वें नंबर हैं। इस सूची 60 कंपनियों को शामिल किया गया है।