राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि मध्यप्रदेश में स्व-सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं को आत्म-निर्भर बनाने में अभूतपूर्व कार्य हुआ है। यहाँ लगभग 42 लाख महिलाएँ स्व-सहायता समूहों से जुड़ कर आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सशक्त हुई है। इन महिलाओं को सरकार के माध्यम से कृषि एवं गैर कृषि कार्यों के लिए 4 हजार 157 करोड़ रूपये का बैंक ऋण दिलवाया गया है। प्रदेश में ‘एक जिला-एक उत्पाद’ योजना द्वारा इनके उत्पादों को बड़े बाजारों तक पहुँचाया गया है। आजीविका मार्ट पोर्टल से 535 करोड़ रूपये से अधिक मूल्य के उत्पादों की ब्रिकी हुई है। प्रदेश में लगभग 17 हजार महिलाएँ पंचायत प्रतिनिधि बनी हैं। यहाँ कुछ महिलाओं द्वारा अपनी सफलता के अनुभव सुनाए गये हैं, जो प्रेरणादायक हैं। मध्यप्रदेश में स्व-सहायता समूह ने जन-आंदोलन का रूप ले लिया है। सभी महिलाओं के प्रयास और सरकार के सहयोग से यह संभव हो पाया है। इसके लिये मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, मध्यप्रदेश सरकार सहित महिलाएँ सभी बधाई के पात्र है। मैं आज यहाँ आकर अभिभूत और आश्चर्यचकित हूँ। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में वर्ष 2023 को मोटा अनाज वर्ष मनाने की घोषणा की है।
राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने कहा कि आत्म-निर्भर और विकसित भारत के बनाने में महिला शक्ति की अधिक से अधिक भागीदारी जरूरी है। हमें ऐसा वातावरण तैयार करना है, जिससे सभी वर्ग की बेटियाँ निर्भीक एवं स्वतंत्र महसूस करें और अपनी प्रतिभा का भरपूर उपयोग कर सकें। महिलाओं के नेतृत्व में जहाँ-जहाँ कार्य किये जाते हैं वहाँ सफलता के साथ संवेदनशीलता भी देखने को मिलती है। सभी महिलाएँ एक दूसरे को प्रेरित करें। एकजुट होकर विकास के रास्ते पर आगे बढ़े।
राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने कहा कि देश के विकास में मध्यप्रदेश की महिलाओं का अमूल्य योगदान रहा है। वीरांगना दुर्गाबाई, अहिल्याबाई, अवंतीबाई और कमलाबाई की गौरव गाथा हमारी विरासत है। वर्तमान समय में श्रीमती सुमित्रा महाजन, जनजातीय चित्रकार श्रीमती भूरी बाई, श्रीमती दुर्गाबाई व्याम और रतलाम की मदर टेरेसा कहीं जाने वाली डॉ. लीला जोशी महत्वपूर्ण नाम है। मुझे इन्हें पद्मश्री सम्मान देने का अवसर मिला।
राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने कहा कि भारत में महिलाओं की श्रेष्ठता को प्राचीन काल से माना जाता रहा है। हमारे यहाँ माता का स्थान पिता और आचार्य से पहले रखा गया है – मातृ देवो भव, पितृ देवो भव, आचार्य देवो भव। ईश्वर से पहले हम माता को देखते हैं। शिक्षा प्राप्त करने के लिये पहले माँ सरस्वती को नमन करते हैं। माता दुर्गा, माता लक्ष्मी और माता काली, सभी श्रेष्ठता की प्रतीक है।
राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने कहा कि आज आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, वैज्ञानिक, अनुसंधान, कला, संस्कृति, साहित्य, खेल-कूद, सैन्य बल आदि हर क्षेत्र में महिलाएँ प्रमुख भूमिका निभा रही है। कम से कम संसाधनों का अधिक से अधिक उपयोग करना महिलाओं को आता है। जब एक महिला शिक्षित होती है तो पूरा परिवार, पूरा समाज शिक्षित होता है। महिलाओं का विकास ही देश का विकास है। महिलाओं के विकास से ही भारत निकट भविष्य में विकसित देश के रूप में उभरेगा और पुन: विश्व गुरू का स्थान प्राप्त करेगा।
राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने कहा कि भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी कहा करते थे कि देश मात्र एक मिट्टी का टुकड़ा नहीं बल्कि राष्ट्र पुरूष है। उसकी दो संताने हैं एक बेटा और एक बेटी। यदि एक दुर्बल रह जाएँ तो देश सशक्त नहीं हो सकता। देश की तरक्की के लिये दोनों का शिक्षित और आर्थिक रूप से आत्म-निर्भर होना आवश्यक है। दोनों का सम्मान भी जरूरी है।
राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आप लोगों को मेरे जीवन की एक झलक बताई है। मेरे जीवन का यह अनुभव रहा है कि यदि मेहनत, लगन, सच्चाई और सफाई के साथ कार्य किया जाए तो आप निश्चित रूप से आगे बढ़ेंगे और सफल होंगे। मैंने अपने जीवन में यह अपनाया है। मैंने वार्ड मेम्बर के रूप में अपना कार्य शुरू किया तब यह नहीं सोचा था कि मैं राष्ट्रपति बनूंगी। मैने हमेशा अपने कार्य को महत्व दिया। कभी पद के बारे में नहीं सोचा।
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि स्व-सहायता समूह के सदस्यों में बचत की आदत विकसित करने के साथ ही समूह के नेतृत्व को स्कूली शिक्षा के प्रसार, महिला बाल पोषण, परिवार-कल्याण और आरोग्य के संबंध में जनजागृति के प्रयासों में जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मोटे अनाज वर्ष के रूप में मनाने की घोषणा की है। इस से प्रदेश के जनजातीय अंचलों में पोषण से भरे कोदो, कुटकी, ज्वार, बाजरा और रागी जैसे मोटे अनाजों के उत्पादन के लिए नई संभावनाएँ निर्मित हुई हैं। उन्होंने महिला स्व-सहायता समूहों से इन अवसर का लाभ उठाने के लिए कहा।
राज्यपाल ने कहा कि मध्यप्रदेश में सरकार के प्रयासों से महिलाएँ स्व-सहायता समूहों से जुड़ कर कृषि और गैर कृषि आधारित 100 से अधिक प्रकार की आजीविका गतिविधियाँ सफलतापूर्वक कर रही हैं। परिवार के सदस्यों को भी रोज़गार उपलब्ध करा रही हैं। प्रदेश में विगत 2 वर्षों में स्व-सहायता समूहों के अलावा उनके परिवार के एक लाख से अधिक युवाओं को रोजगार उपलब्ध हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सबके साथ, सबके विश्वास के साथ हो रहे विकास के प्रयासों के इस नए दौर में पंचायत भवन से लेकर राष्ट्रपति भवन तक नारी शक्ति का परचम लहरा रहा है। महिला सशक्तिकरण के इस नए युग में महिलाएँ प्रतिरक्षा से लेकर उद्योग, व्यवसाय सभी क्षेत्रों में सफलता से कार्य कर रही है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमारी राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु महिला सशक्तिकरण का प्रतीक हैं। उनका व्यक्तित्व गर से गहरा और हिमालय से ऊँचा है। उनका सहज, सरल स्वभाव धैर्य और व्यक्तित्व अनुकरणीय है। उनका जीवन हमें प्रेरणा देता है। वे किसी राजा के नेता के घर नहीं साधारण परिवार में जन्मी हैं। उनको विरासत में कुछ नहीं मिला। साधारण गरीब परिवार में जन्म लेकर वे अपनी मेहनत के बल पर आगे बढ़ी। पार्षद से मंत्री तक का सफर तय किया। मंत्री के रूप में उनके द्वारा महिलाओं और जनजातीय वर्ग के लिए किए गए कार्य सराहे गए। वे अब भारत के राष्ट्रपति के पद को सुशोभित कर रही हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरी यह इच्छा थी कि स्व-सहायता समूह की बहनों को राष्ट्रपति का मार्गदर्शन प्राप्त हो। आज हमें यह सुअवसर मिला । मेरी बहनों की जिंदगी बन जाए तो मेरा मुख्यमंत्री बनना सार्थक होगा।
सीएम चौहान ने कहा कि हमारी बहनें अबला नहीं सबला है और अनंत शक्तियों का भंडार हैं। इन्हें जो भी काम दिया गया, उसे उन्होंने पूरी मेहनत के साथ किया है। स्व-सहायता समूहों के साथ जुड़ कर हमारी दीदियों ने महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश की है, चमत्कार किया है। हाल ही में स्थानीय पंचायत एवं नगरीय निकायों के निर्वाचन में 17 हजार दीदियाँ चुनाव जीत कर आयी हैं। स्व-सहायता समूह से जुड़कर महिलाएँ आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त हो रही है। बड़ी संख्या में महिलाएँ लखपति क्लब में शामिल हो रही है, जिनकी आय एक लाख सालाना से अधिक हो गयी है।
सीएम चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में महिला सशक्तिकरण ने जन-आंदोलन का रूप ले लिया है। सरकार उनके सशक्तिकरण के हर संभव प्रयास कर रही है। मध्यप्रदेश में हमने सबसे पहले स्थानीय चुनावों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देकर उनका संबल बढ़ाया है। इसी प्रकार पुलिस भर्ती में भी हमने अपनी बेटियों के लिये 30 प्रतिशत और शिक्षक भर्ती में 50 प्रतिशत सीट आरक्षित की है। हमारी बहन-बेटियाँ पुलिस और शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा कार्य कर आत्म-निर्भर भी बनी हैं। बेटियों की सुरक्षा के लिये हमने प्रदेश में सख्त कानून भी बनाये हैं। बहन-बेटियों के साथ दुराचार करने वालों को फाँसी पर चढ़ाने वाला कानून सबसे पहले मध्यप्रदेश ने ही बनाया है। मध्यप्रदेश की लाड़ली लक्ष्मी योजना ने बेटियों के प्रति दृष्टिकोण बदला है। अब प्रदेश में बेटी बोझ नहीं वरदान बन गई है। योजना में हमने बेटी के जन्म से लेकर उसकी उच्च शिक्षा तक के प्रबंध किये हैं। मुख्यमंत्री ने स्व-सहायता समूह की महिला दीदियों को बेटा-बेटी में भेदभाव न करने, नशामुक्त गांव बनाने और अन्याय सहन न करने का संकल्प दिलाया।