लखनऊ (हि.स.)। लोकसभा के दूसरे चरण के चुनाव में अब सिर्फ चार दिन बचे हैं। चुनावी उफान नेताओं के सिर चढ़कर बोल रहा है, लेकिन आम जन की चुप्पी नेताओं को परेशान कर रही है। उत्तर प्रदेश की आठ सीटों अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा में 26 अप्रैल को मतदाता अपने मत का प्रयोग करेंगे। इस चुनाव में भाजपा के लिए ज्यादा कठिन चुनौती अपनी सीटों को बचाए रखने की है, क्योंकि इसमें सिर्फ एक सीट अमरोहा पर पिछले चुनाव में हाथी दौड़ी थी, शेष सभी भाजपा के खाते में थी।
पिछली बार समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल का गठबंधन था। इन आठ सीटों में बसपा के जिम्मे पांच सीटें थीं, जबकि रालोद के जिम्मे दो और सपा ने अपने एक उम्मीदवार उतारे थे। अब रालोद भाजपा के साथ है, जबकि सपा कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ रही है। वहीं बसपा सपा, कांग्रेस और भाजपा की चाल को अकेले ही बिगाड़ने को बेकरार है।
इन आठ लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में 1.67 करोड़ मतदाता हैं, जिसमें 90.11 लाख पुरुष, 77.38 लाख महिला तथा 787 थर्ड जेंडर हैं। इन निर्वाचन क्षेत्रों में कुल 7797 मतदान केंद्र तथा 17,677 पोलिंग बूथ हैं। इन पश्चिम की आठ सीटों की बात करें तो अमरोहा में 2019 में बसपा के कुंवर दानिश अली ने 6,01,082 वोट पाकर भाजपा के कंवर सिंह तंवर को 63,248 मतों से हराया था। कुंवर दानिश को 51.41 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि कंवर सिंह तंवर को 46 प्रतिशत। इस बार कुंवर दानिश को बसपा ने छह साल के लिए निकाल दिया है और वहां से डा. मुजाहिद हुसैन को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं दानिश अली कांग्रेस के उम्मीदवार बनाये गये हैं, जिनका सपा कार्यकर्ताओं ने ही विरोध शुरू कर दिया है।
वहीं भाजपा ने 2014 में जीत हासिल कर चुके कंवर सिंह तंवर पर ही विश्वास जताया है। सपा कार्यकर्ताओं के विरोधात्मक स्वर को दबाने में सपा कितना कामयाब होती है या बसपा अपने वोटरों को खिचने में सफलता हासिल कर लेती है। यह तो आने वाला समय बताएगा, लेकिन इस बीच भाजपा उम्मीदवार अपनी जीत को लेकर निश्चिंत हैं।
वहीं मेरठ लोकसभा सीट भाजपा का गढ़ माना जाता रहा है। यहां से राजेन्द्र अग्रवाल 2009, 2014 और 2019 में चुनाव जीते थे, लेकिन भाजपा ने 2019 में उनके जीत का अंतर बहुत कम रह गया था। उन्होंने बसपा उम्मीदवार याकूब से मात्र 4,729 मत से जीते थे। इस बार भाजपा ने अपना उम्मीदवार बदलकर टीवी सीरियल रामायण में राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल को अपना उम्मीदवार बनाया है।
बागपत रालोद के जिम्मे
बागपत से भाजपा के सत्यपाल सिंह ने 5,25,789 मत पाकर रालोद के उम्मीदवार 5,02,287 मत पाने वाले जयंत चौधरी को 23,502 मतों से परास्त किया था। इस बार बागपत सीट को भाजपा ने अब भाजपा के साथ आने वाले रालोद को दे दी है। रालोद ने वहां से राजकुमार सांगवान को मैदान में उतारा है। पहली बार चुनाव लड़ने वाले 68 वर्षीय जाट समुदाय से संबंधित, पार्टी के भीतर रालोद के राष्ट्रीय सचिव हैं।
बीके सिंह की जगह अतुल गर्ग भाजपा उम्मीदवार, डाली देंगी टक्कर
गाजियाबाद की सीट से पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के वीके सिंह ने सपा व बसपा के संयुक्त उम्मीदवार को 5,01,500 मतों से परास्त किया था। दूसरे स्थान पर रहने वाले सपा के सुरेश बसंल को 4,43,003 मत ही मिले थे। वहीं कांग्रेस की डाली शर्मा ने 1,11,944 मत मिले थे। 2014 में भी वी.के. सिंह ने कांग्रेस के राज बब्बर को 5,67,260 मतों से परास्त किया था। वी.के. सिंह को जहां 7,58,482 मत मिले थे, वहीं राज बब्बर मात्र 1,91,222 मत ही पा सके थे। बसपा उम्मीदवार को 1,73,085 मत मिले थे, लेकिन इस बार वी.के.सिंह चुनाव मैदान से बाहर हैं। उनकी जगह भाजपा ने दो बार विधायक रहे अतुल गर्ग को चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं सपा और कांग्रेस की संयुक्त उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस ने डाली शर्मा पर ही फिर एक बार विश्वास जताया है।
बसपा के राजेन्द्र बनाएंगे त्रिकोणात्मक लड़ाई
गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट से पिछले चुनाव में 3,36,922 मतों के अंतर से जीत दर्ज करने वाले महेश शर्मा को ही अपना उम्मीदवार बनाया है। पिछले चुनाव में महेश शर्मा को 8,30,812 वोट मिे थे। वहीं बीएसपी के सतवीर को 4,93,890 वोट मिले थे। वहीं इस बार सपा ने भी एक डाक्टर महेंद्र सिंह नागर को टिकट दिया है। वहीं बसपा ने राजेन्द्र सोलंकी को टिकट देकर लड़ाई को त्रिकोणात्मक बनाने का प्रयास किया है।
बुलंदशहर में दो चुनावों से भाजपा का रहा है कब्जा
बुलंदशहर लोकसभा सीट पर भी 2019 और 2014 में भाजपा के भोला सिंह का कब्जा रहा है। भाजपा ने इस बार भी भोला को ही बुलंदशहर सीट से लड़ाने का फैसला किया है, जबकि बसपा ने वर्तमान में नगीना के सासंद रहे गिरीश चंद जाटव को बुलंदशहर से लड़ाने का फैसला किया है। 2019 में भाजपा के भोला सिंह ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के योगेश वर्मा को 2,90,057 मतों से परास्त किया था। भोला को जहां 6,81,321 मत मिले थे। वहीं योगेश को 3,91,264 मत मिले थे। वहीं 2014 में भोला को 6,04,449 वोट मिले थे, जबकि बसपा के प्रदीप कुमार जाटव को 1,82,476 मत मिले थे।
अलीगढ़ से तीन बार चुनाव हार चुके बीजेन्द्र सपा के उम्मीदवार
अलीगढ़ से पिछली बार भाजपा के सतीश गौतम ने बसपा के डा.अजीत बालियान को 2,29,261 मतों से परास्त किया था। सतीश को जहां 6,56,215 मत मिले थे। वहीं बसपा के अजीत को 4,26,954 मत मिले थे। कांग्रेस उम्मीदवार चौधरी बिजेंद्र सिंह को 50,880 मत मिले थे। सतीश कुमार ने 2014 में भी अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बसपा उम्मीदवार को 2,86,736 मतों से हराया था। इस बार भाजपा ने सतीश पर ही भरोसा जताया है, जबकि सपा ने कांग्रेस से 2009,2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव लड़कर हार चुके चौधरी बीजेन्द्र सिंह पर अपना दांव लगा दिया है।
मथुरा में हेमा
मथुरा में भाजपा ने पुन: एक बार हेमा मालिनी पर दांव लगाया है। हेमा ने 2019 में रालोद उम्मीदवार को कुंवर नारेन्द्र सिंह को 2,93,471 मतों से परास्त किया था। 2014 में हेमा मालिनी ने रालोद के जयंत चौधरी को 2,43,890 मतों से हराया था। 2019 में हेमा मालिनी को 6,71,293 मत मिले थे, जबकि सपा-बसपा और रालोद के संयुक्त उम्मीदवार नरेंद्र सिंह को 3,77,822 वोट मिले थे। अब इस बार हेमा मालिनी रालोद और भाजपा की संयुक्त उम्मीदवार हैं।