हिन्दू पंचाग के अनुसार ज्येष्ठ मास में सुहागनों के प्रमुख वट सावित्री व्रत के साथ ही अनेक तीज-त्योहार आएंगे। जिनमें शनि जयंती, निर्जला एकादशी के साथ सोम प्रदोष प्रमुख हैं इसके साथ ही इस महीने सूर्य ग्रहण भी है।
इस महीने बुधवार 2 जून को कालाष्टमी पड़ रही है, इस दिन काल भैरव की उपासना की जाती है। वहीं रविवार 6 जून को अपरा एकादशी का व्रत है। इस एकादशी के दिन जो व्रत रखता है, वह इस दिन प्रात: स्नान करके भगवान को स्मरण करते हुए विधि के साथ पूजा करे। इस दिन भगवान नारायण की पूजा का विशेष महत्व होता है। साथ ही ब्राह्मणों तथा गरीबों को भोजन या फिर दान देना चाहिए।
पंचांग के अनुसार सोमवार 7 जून को सोम प्रदोष का व्रत है। मंगलवार 8 जून को मास शिवरात्रि का व्रत है। हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मास शिवरात्रि व्रत किया जाता है। मास शिवरात्रि व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा उपासना की जाती है।
इसके अलावा गुरुवार 10 जून को साल का पहला सूर्यग्रहण लगेगा। हालांकि यह सूर्यग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। इसी दिन वट सावित्री व्रत रखा जाएगा। इस दिन सुहागन स्त्रियां पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखकर वट की पूजा अर्चना करती हैं। इसके साथ ही इस दिन शनि जंयती पड़ रही हैं। इस दिन विधि-विधान से शनि देव की पूजा करना शुभ माना जाता है।
इस महीने के मध्य में सोमवार 14 जून को विनायक चतुर्थी पड़ेगी। वहीं 20 जून को गंगा दशहरा है। इसके बाद सोमवार 21 जून को निर्जला एकादशी का व्रत है। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी व्रत करने का विधान है। इस एकादशी को भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। निर्जला एकादशी में निर्जल यानी बिना पानी पिए व्रत करने का विधान है। इस एकादशी का पुण्य फल प्राप्त होता है। कहते हैं जो व्यक्ति साल की सभी एकादशियों पर व्रत नहीं कर सकता, वो इस एकादशी के दिन व्रत करके बाकी एकादशियों का लाभ प्राप्त कर सकता है।
वहीं मंगलवार 22 जून को प्रदोष व्रत है। शास्त्रों के अनुसार मंगलवार और शनिवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष का अत्यधिक महत्व होता है। इसके पश्चात गुरुवार 24 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा है। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन स्नान और दान-धर्म करने का विधान है। इसके साथ ही इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है।