भारतवर्ष एक लोकतांत्रिक संघीय गणराज्य है। हमारे देश में एक ऐसी अर्थव्यवस्था थी जो कि समाजवादी विचारधारा को मानती थी। ऐसी अवस्था में अर्थव्यवस्था को बाजार की ताकतों के तहत लाने की कोशिश का जबरदस्त विरोध होता है। समाजवादी व्यवस्था के अनुसार पूंजीपति जनता को लूटने का काम करते हैं। अतः इसका घोर विरोध करते हैं। कृषि उत्पाद को भी बाजार की अर्थव्यवस्था के तहत लाने का जबरदस्त विरोध चल रहा है।
केंद्रीय सरकार ने 20 सितंबर को तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को बनाया। जिसे किसान उपज व्यापार और वाणिज्य संवर्धन तथा सुविधा अधिनियम 2020 दूसरा मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान सशक्तिकरण और सुरक्षा समझौता अधिनियम 2020 और तीसरा अनिवार्य वस्तु संशोधन अधिनियम 2020। ये सभी कानून बाजार व्यवस्था के अनुसार बनाए गए हैं।
समाजवादी अर्थव्यवस्था में जनता को जो उसके हित संरक्षण का आश्वासन मिला होता है वह समाप्त हो जाता है। जनता को ऐसा लगता है कि अब बाजार के बड़े-बड़े खिलाड़ी उसे चूसने लेंगेंगे और जनता इसके खिलाफ हो जाती है।यही हालत इन तीन कृषि कानूनों की हुई है। पंजाब के किसान इस पुरानी अर्थव्यवस्था से बहुत समृद्ध हुए हैं, पुरानी अर्थव्यवस्था को देश के अन्य प्रांतों के बनिस्बत पंजाब और हरियाणा प्रांत में ठीक से लागू की गई। यहां के किसानों को इसका पूरा फायदा भी मिला। इसलिए पंजाब और हरियाणा तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों को लगता है कि अगर यह व्यवस्था समाप्त हो गई नई अर्थव्यवस्था आई तो नए पूंजीपति किसानों को चूसने का काम करेंगे।
किसानों के डर के कई कारण हैं जैसे नई मंडी में किसी प्रकार के टैक्स का न लगना। जिससे पुरानी मंडी जिनमें टैक्स लगता है नई मंडियों के आगे ठहर नहीं पाएंगी। इसके अलावा अनुबंध में होने वाली गड़बड़ी को तय करने का जिम्मा राजस्व विभाग को दिया गया है। वास्तविकता यह है किसान आज सबसे ज्यादा राजस्व विभाग के अधिकारियों से परेशान है। गांव के ज्यादातर मुकदमे राजस्व विभाग के पटवारी और अन्य अधिकारियों के कारण ही होते हैं।
अतः किसान को लगता है कि अगर राजस्व विभाग के अधिकारियों को ही अनुबंधित तय करने का जिम्मा मिला तो किसान लूट लिए जाएंगे। किसान खुलकर यह बात कह भी नहीं सकता है, क्योंकि राजस्व विभाग के अधिकारी ही भारतवर्ष के सभी ऊंची पदों पर हैं। यह सत्य है कि भारतीय जनता पार्टी और उसके नेता नरेंद्र मोदी जी की नियत इन तीनों बिलों को लेकर बहुत साफ थी।
वास्तविकता यह है कि अगर यह तीनों कानून ढंग से बनाए जाते, चर्चा करके बनाए जाते तो संभवत भारतीय किसान के लिए इससे बड़ा वरदान कोई नहीं होता। यह भी सही है की अंग्रेजी में छोड़कर अन्य भाषाओं में इंटरनेट में इन कानूनों की प्रतियां प्राप्त करना टेढ़ी खीर है। नौकरशाहों ने जानबूझकर ऐसा किया है, जिससे अंग्रेजी को छोड़कर अन्य भाषाओं में इंटरनेट से कोई इन तीन को निकाल सके और ऐसी परिस्थितियां पैदा हों जिससे भारतीय जनता पार्टी को बदनामी मिले।
जिन कानूनों से जनता को लाभ प्राप्त होना चाहिए था किसान आज पूरी तरह से उन कानूनों के खिलाफ खड़ा है। मैंने इस संबंध में किसानों से भी चर्चा की। अधिकांश पढ़े लिखे किसानों ने कहा यह अत्यंत अच्छे कानून है। अब समस्या यह है कि किसान आंदोलन जो कि अब एक बहुत बड़ा रूप ले लिया है, कब समाप्त होगा। आइए अब हम इस पर चर्चा करते हैं।
इस कार्य के लिए मैंने भारतवर्ष की कुंडली तथा आप दर्शकों द्वारा प्राप्त दो प्रश्नों की प्रश्न कुंडली बनाई। इन तीनों कुंडलियों की मदद से हम किसी नतीजे पर पहुंचेंगे।
पहला प्रश्न था कि क्या आंदोलनकारी जीतेंगे
यह कुंडली धनु लग्न की बनी है विश्व में लग्न में सूर्य और बुध है दूसरे भाव में नीच के गुरु तथा अपने ही राशि के शनि हैं तीसरे भाव में चंद्रमा है चौथे भाव में मित्र राशि में मंगल है छठे भाव में उच्च के राहु है सातवां आठवां नवा दसवां और ग्यारहवां भाव खाली है बारहवें भाव में उच्च का केतु एवं शुक्र विराजमान है। पूर्व में घटित घटनाओं की चर्चा हम विंशोत्तरी दशा के माध्यम से कर रहे हैं। विश्वमित्री दिशा के पहले मैंने ग्रहों की षड्बल साधना की और पाया कि इस कुंडली में सबसे प्रभावकारी ग्रह मंगल है उसके उपरांत चंद्रमा फिर सनी उसके उपरांत बुद्ध है। यह चारों ग्रहों के बल 1 से ऊपर होने के कारण अच्छे फल देंगे तथा बाकी सभी ग्रह खराब फल देंगे। गुरु की महादशा में बुद्ध की अंतर्दशा में मंगल का प्रत्यंतर 26 मई 2020 से प्रारंभ हुआ तथा यह 14 जुलाई 2020 तक रहा।
इसी बीच में जून 5 को किसान अध्यादेश पारित हुए। मंगल चौथे भाव में जो जनता का भाव होता है उसमे मित्र राशि में बैठा हुआ है। दशम भाव जो राज्य का भाव होता है उसको शत्रु दृष्टि से देख रहा है। पंचम भाव जोकि पुत्र पुत्रियों पढ़ाई लिखाई तथा द्वादश भाव जोकि खर्चे का भाव है उसका स्वामी है। मंगल एकादश भाव अर्थात लाभ भाव को भी मित्र दृष्टि से देख रहा है। इसका अर्थ यह हुआ कि यह अध्यादेश किसानों के लिए लाभकारी होगा परंतु किसान राज्य को शत्रु दृष्टि से देखेंगे। बारहवें भाव जोकि खर्चे आज का भाव होता है, उसमें भी यह वृद्धि करेगा। अपने नुकसान को देखते हुए पंजाब विधानसभा में 28 अगस्त को केंद्र के इस अध्यादेश को रद्द कर दिया अर्थात मंगल जो भी उग्र ग्रह उसने अपना प्रभाव दिखाना प्रारंभ कर दिया।
गुरु की महादशा में बुद्ध की अंतर्दशा में राहु का प्रत्यंतर 14 जुलाई 2020 से प्रारंभ होकर 15 नवंबर 2020 तक रहा। इस दशा काल में हर तरफ किसानों के आंदोलन प्रारंभ हो गए। बृहस्पति की महादशा में बुध की अंतर्दशा में बृहस्पति की प्रत्यंतर दशा 15 नवंबर 2020 से प्रारंभ हुई। षड्बल के अनुसार गुरु पांचवें नंबर पर है और इसका बल एक से कम है अतः यह बहुत अच्छे परिणाम नहीं देगा।
इस कुंडली में बृहस्पति दूसरे भाव में नीच राशि में है अपनी नीच राशि में है इस प्रकार इनका बल काफी कमजोर हो जाता है परंतु शनि के साथ बैठे होने के कारण नीच भंग राजयोग भी बना रहे हैं। बृहस्पति की दृष्टि छठे भाव अर्थात बीमारी मारपीट आदि के भाव पर, अष्टम भाव पर अर्थात मृत्यु के भाव पर तथा दशम अर्थात राज्य के भाव पर भी है। छठा भाव एवं दशम भाव पर इनकी दृष्टि शत्रु के रूप में है तथा अष्टम भाव पर इनकी दृष्टि उच्च की है। इस समय कुछ राज्य शासन की तरफ से किसानों पर बल प्रयोग भी हुआ। गुरु की दृष्टि अष्टम अर्थात मृत्यु भाव पर है जिसके कारण कुछ किसानों की मृत्यु हुई।
15 नवंबर 2020 से गुरु की महादशा में बुध की अंतर्दशा में गुरु का प्रत्यंतर प्रारंभ हो रहा है। किसके कारण आंदोलन तीव्र हुआ। 29 नवंबर 2020 से गुरु के प्रत्यंतर में शनि की सूक्ष्मदशा प्रारंभ हो रही है, जो कि 17 दिसंबर 2020 तक है इसमें यह आंदोलन उग्र हुआ तथा करीब 20 किसानों ने अपनी जान दे दी। परंतु शनि की सूक्ष्म दशा के कारण इस समय में शासन से वार्तालाप भी हुए।
उसके बाद 17 दिसंबर 2020 से 2 जनवरी 2021 तक गुरु की अंतर्दशा में गुरु की प्रत्यंतर दशा में बुद्ध की दशा प्रारंभ हो रही है अतः इसमें केंद्र शासन की तरफ से किसानों से बहुत सारी वार्तालाप करने की कोशिश की जाएगी। बुध सूर्य के साथ लग्न में बैठा हुआ है और अस्त भी है इसके कारण कोई विशेष प्रभाव नहीं होगा। सीधी सी बात है की 2 जनवरी 2021 तक किसी प्रकार की संधि होने की संभावना नहीं है। 2 जनवरी 2021 से 8 जनवरी 2021 के बीच में गुरु की महादशा में बुध की अंतर्दशा में गुरु के प्रत्यंतर में केतु की सुक्ष्म दशा है।इस दशा में एक दूसरे के प्रति कन्फ्यूजन ही बनेंगे। जिसके कारण यह आंदोलन और कठिन होगा। 8 जनवरी 2021 के बाद से लेकर 26 जनवरी 2021 तक का समय इस प्रश्न कुंडली के अनुसार शांत रहेगा, परंतु इसके बाद काफी कठिन समय आएगा तथा 1 फरवरी 2021 के बाद समझौता होने की उम्मीद जगेगी।
इसके उपरांत 10 फरवरी 2021 से गुरु के प्रत्यंतर दशा में मंगल की सूक्ष्म दशा प्रारंभ होगी जो कि 17 फरवरी 2021 तक है इस दशा में मामला समाप्ति के पास तक पहुंचेगा। परंतु इस बात की कोई गारंटी नहीं है, समझौता हो ही जाए। अगर इस समय समझौता नहीं हुआ तो फिर जाकर मई में ही समझौता होगा।
दूसरी प्रश्न कुंडली का प्रश्न था किसान आंदोलन कब समाप्त होगा। यह प्रश्न कुंडली मकर लग्न की है। लग्न में चंद्रमा हैं। इसके दूसरे भाव में मंगल हैं। चौथे भाव में राहु है। दसवें भाव में केतु और शुक्र हैं। ग्यारहवें भाव में बुध और सूर्य हैं तथा बारहवें भाव में शनि और गुरु है। कुंडली के अंदर चौथे भाव से जनता के बारे में देखते हैं तथा दसवें भाव से राज्य के बारे में आकलन करते हैं। राज्य के बारे आकलन के लिए सूर्य ग्रह का भी सहारा लिया जाता है।
चौथे भाव में उच्च का राहु बैठा हुआ है जो कि एक खतरनाक ग्रह माना जाता है। यह बताता है कि किसानों की योजना खतरनाक है। इस भाव का स्वामी शुक्र है जो कि दशम भाव में बैठा हुआ है। यह बताता है कि राज्य जनता का हित चाह रहा है। दशम भाव का स्वामी मंगल मित्र राशि में द्वितीय भाव में बैठा हुआ है। राज्य को प्रतिनिधि देने वाला ग्रह सूर्य एकादश भाव में है। हम यह मानते हैं समस्या को हल होने में धन का बहुत योगदान होगा।
इस प्रश्न कुंडली में षड्बल के अनुसार सबसे वलिष्ठ ग्रह मंगल है तथा इसके उपरांत चंद्रमा ,सूर्य शनि आते हैं। अन्य ग्रहों का प्रभाव विपरीत होगा। केतू की महादशा में शुक्र की अंतर में मंगल का प्रत्यंतर 21 दिसंबर 2020 से प्रारंभ होकर 16 फरवरी 2021 तक है इस प्रकार इस कुंडली के अनुसार भी इस बीच में आंदोलन समाप्त हो सकता है। पहले प्रश्न कुंडली के अनुसार 10 फरवरी से 16 फरवरी तक का समय आ रहा था। हम यह कह सकते हैं कि यह आंदोलन 10 फरवरी से लेकर 16 फरवरी 2021 के बीच में जाकर समाप्त हो सकता है। अगर इस समय यह आंदोलन किसी कारण बस समाप्त नहीं हुआ तो फिर 16 फरवरी के बाद इस आंदोलन में आंदोलन हिंसक हो जाएगा, जो कि काफी दिनों तक हिंसक रहेगा।
भारतवर्ष की कुंडली मैंने अपने शोध के अनुसार बनाई है। ये कुंडली कन्या लग्न की बनी है, दूसरे भाव में गुरु तीसरे में केतु नौवें भाव में राहु दशम भाव में मंगल एकादश भाव में सूर्य शुक्र शनि बुध और चंद्रमा हैं। इस कुंडली की षड्बल साधना भी की गई, जिसके अनुसार सबसे बलिष्ठ ग्रह मंगल उसके उपरांत शुक्र उसके उपरांत बुद्ध फिर सूर्य हैं। अन्य ग्रह इस मामले में अच्छा करने की स्थिति में नहीं है।
वर्तमान समय में भारतवर्ष की कुंडली के अनुसार मंगल की महादशा में शनि की अंतर्दशा में गुरु का प्रत्यंतर 20 दिसंबर 2020 से चल रहा है तथा यह 12 फरवरी 2021 तक रहेगा। इस अवधि में आंदोलनों के शांत होने का कि कोई संभावना नहीं है। 12 फरवरी 2021 से 5 अप्रैल 2021 के बीच में मंगल की महादशा में बुध की अंतर्दशा में बुद्ध का प्रत्यंतर प्रारंभ हो रहा है।
बुध की सूक्ष्म दशा 12 फरवरी 2021 से 20 फरवरी 2021 तक है। बुद्ध दशम भाव का स्वामी है तथा यह एकादश भाव में बैठा हुआ है अतः यह संभव है इस समय शासन सुलह वार्ता से कुछ हल निकाल ले। शासन को हल निकालने के लिए कुछ ऐसे आश्वासन देने पड़ेंगे जिससे पैसे का खर्च बढ़ेगा। जैसे एमएसपी सभी फसलों पर लागू करना आदि। परंतु इस समय भारत की कुंडली में कालसर्प योग लगा होगा, जिसके कारण स्थितियां अत्यंत कठिन रहेंगी।
तीनों कुंडलिया को देखने से निष्कर्ष निकलता है की किसान आंदोलन 10 फरवरी से 20 फरवरी तक समाप्त होने की ज्यादा संभावना है और अगर इस समय संधि नहीं हुई तो फिर संधि 20 अप्रैल से 31 मई के बीच होगी।
जय माँ शारदा
ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय
स्टेट बैंक कॉलोनी, मकरोनिया,
सागर, मध्य प्रदेश