मंदसौर (हि.स.)। विश्व में प्रसिद्ध मंदसौर जिला पुरातत्व विरासत को भी संजोए हुए हैं। मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड के लगातार सकारात्मक प्रयासों से जिले के पुरातात्विक संग्रह को अब और बल मिल रहा है। अंतर्राष्ट्रीय पुरातत्व संग्रहालय दिवस पर मंदसौर की एक और विश्व विख्यात उपलब्धि दुनिया भर के पर्यटकों सहित शोधार्थियों को आकर्षित कर रही है।
पशुपतिनाथ मंदिर के समीप स्थित तपेश्वर महादेव मंदिर की सीढ़िया पर वर्ष 1885 में सर जॉन फ्लीट ने विश्व के पहले विज्ञापन की खोज की थी। वर्तमान में इसे ग्वालियर संग्रहालय में संजोकर रखा गया है। न सिर्फ ग्वालियर बल्कि मंदसौर में भी इससे संबंधित जानकारी हासिल करने देश दुनिया से कई पर्यटक और शोधकर्ता आ रहे हैं।
सीतामऊ के नटनागर शोध संस्थान के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. सहदेव सिंह बताते हैं कि कलेक्टर दिलीप कुमार यादव के लगातार प्रयासों से न सिर्फ यहां पर पर्यटन बढ़ रहा है बल्कि मौजूद सुविधाओं में भी इजाफा हुआ है। डॉ. सहदेव सिंह चैहान ने जिले की पुरातत्व महत्व की उपलब्धियां बताते हुए जानकारी दी कि दशपुर विक्रमादित्य, भोज और यशोधर्मन जैसे पराक्रमी राजाओं की भूमि रही है। उन्हीं में से एक विश्व का पहला विज्ञापन भी मंदसौर की ही देन है। प्राचीन दशपुर मध्य भारत का एक प्रमुख नगर था।
रेशम की साड़ी के प्रचार प्रसार के लिए विज्ञापन पट्टीका बनवाई
दशपुर में बेस गुजरात के व्यापारियों ने रेशम की साड़ी के प्रचार प्रसार के लिए यह विज्ञापन पट्टीका बनवाई थी, चूंकि गुप्तकालीन समय में शिलालेखों के माध्यम से प्रचार-प्रसार होता था तो व्यापारियों के लिए यह उचित साधन बन गया। मंदिर सार्वजनिक स्थल होते हैं। साथ ही एक ऐसा केंद्र जहां लोग स्वयं आते हैं तो ऐसी जगह को विज्ञापन लगाने के लिए चुनाव करना उस समय की दूरदर्शी सोच को बताता है। यह विज्ञापन सिल्क साड़ियों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए लिखा गया। बंधुवर्मा (436-455 इसवी) मे जारी विज्ञापन का आज की भाषा में चित्रण इस प्रकार है। यह मंदसौर जिले में ही निर्मित रेशमी साड़ी की सुंदरता के विषय में लिखा गया था। साड़ी की सुंदरता मंदसौर से प्राप्त यमुना की मूर्ति पर भी देखने को मिलती है।