Wednesday, April 2, 2025
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सामने आई बिजली अधिकारियों की बड़ी लापरवाही लेकिन छोटे कर्मचारियों पर कार्यवाही

मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव के नेतृत्व में संघ के प्रधान कार्यालय में संघ पदाधिकारियों की एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें सेवानिवृत्त संघ के पदाधिकारी को स्मृति चिन्ह एवं पुष्पहार से सम्मानित किया गया।

उसके बाद बैठक में उपस्थित पदाधिकारियों के द्वारा लाइन कर्मचारियों की समस्याओं पर चर्चा की गई। साथ ही इस बात पर चिंता व्यक्त की गई कि आउटसोर्स, संविदा एवं नियमित कर्मचारियों के साथ करंट लगने की दुर्घटनाएं लगातार हो रही है, जिससे वे दिव्यांग हो रहे हैं या असमय उनकी मृत्यु हो रही है।

हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि एक नजरिए से देखा जाए तो चाहे ग्रामीण उपभोक्ता हो या शहरी उपभोक्ता हो, सभी विद्युत तंत्र के मकड़जाल से डरे हुए हैं। कभी भी तार टूट जाता है कभी पोल में करंट आने की वजह से कोई दुर्घटना घटित हो जाती है।

उन्होंने कहा कि विद्युत वितरण कंपनियों के प्रबंधन को जमीनी अधिकारियों को निर्देश जारी करने होंगे कि नियमित अंतराल में लाइनों का मेंटेनेंस हो, सब-स्टेशनों का सुधार कार्य हो तभी कर्मचारियों, उपभोक्ताओं एवं पशुओं की सुरक्षा हो पाएगी।

हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि हाल ही में पाटन में घटी दुखद दुर्घटना में 11 केवी की लाइन टूटकर खेत में गिर गई, जिसमें करंट दौड़ रहा था, इस 11 केवी की टूटी हुई चालू लाइन के चपेट में आने से सगे भाई-बहन की मौत हो गई और अन्य घायल हो गए। साथ ही इस घटना से मैदानी बिजली अधिकारियों की एक बड़ी लापरवाही भी उजागर हो गई, जिस ओर अभी तक किसी का ध्यान नहीं गया। घटना की वास्तविकता जानने से बजाए प्रबंधन और अधिकारी लाइन कर्मचारियों और आउटसोर्स कर्मचारियों पर कार्यवाही कर मामले की इतिश्री कर देते हैं, जिससे समस्या बनी रहती और समय के साथ विकराल होती जाती है।

हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि सब-स्टेशनों से बिजली सप्लाई के लिए एक पोल से दूसरे पोल तक खींचे गए 11 केवी एवं 33 केवी के तीन फेस तारों के नीचे झूला नुमा गार्डिंग के दो तार खींचे जाते हैं। इससे ये फायदा होता है कि जब कभी 11 केवी अथवा 33 केवी को कोई तार टूटता है तो वो गार्डिंग के तारों पर गिरता है या टकराता है, जिससे लाइन शार्ट सर्किट होने से सब-स्टेशन से विद्युत सप्लाई बंद हो जाती है और करंट फैलने का खतरा नहीं होता।

हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि आजकल जिन मैदानी अधिकारियों सब-स्टेशन बनाने एवं 11 केवी एवं 33 केवी की लाइन खींचने की जिम्मेदारी दी जाती है, वे अधिकारी ठेकेदार के साथ साठगांठ कर 11 केवी एवं 33 केवी की लाइनों के नीचे गार्डिंग का तार नहीं खींचते हैं। अगर पाटन में 11 केवी एवं 33 केवी की लाइनों के नीचे गार्डिंग के तार होते तो दुखद दुर्घटना घटित नहीं होती।

हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि वर्तमान में  ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में 11 केवी एवं 33 केवी की केवल 25 प्रतिशत लाइनों के नीचे गार्डिंग खींची गई है और 75 प्रतिशत लाइनों के नीचे गार्डिंग की तार नहीं खींची गई है। विद्युत वितरण कंपनियों का प्रबंधन चाहे तो इसकी जांच करा ले। तकनीकी कर्मचारी संघ भी गार्डिंग की जांच के लिए अपर मुख्य सचिव ऊर्जा को पत्र लिखेगा। 

संघ के केएन लोखंडे, एसके मौर्य, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, विनोद दास, लखन सिंह राजपूत, संदीप यादव, विपतलाल विश्वकर्मा, अशोक पटेल, इंद्रपाल सिंह आदि ने सभी तीनों विद्युत वितरण कंपनियों के प्रबंधन से मांग की है कि कर्मचारियों एवं आम जनता की सुरक्षा के लिए 11 केवी एवं 33 केवी की लाइनों के नीचे गार्डिंग की तार खींची जाए।

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