Sunday, November 3, 2024
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देश के विद्युत वितरण क्षेत्र में सुधार के लिए जर्मनी के केएफडब्ल्यू बैंक के साथ 200 मिलियन यूरो का ऋण समझौता

विद्युत मंत्रालय के तहत आने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के केन्द्रीय महारत्न उपक्रम आरईसी लिमिटेड ने देश के विद्युत वितरण क्षेत्र में सुधार लाने जर्मनी के केएफडब्ल्यू बैंक के साथ 200 मिलियन यूरो के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। यह भारत-जर्मन विकास सहयोग के तहत आरईसी ने छठी ऋण सुविधा हासिल की है, यह भारत सरकार की पुनर्गठित वितरण क्षेत्र योजना (RDSS) के अनुरूप डिस्काॅम के वितरण ढांचे को बेहतर बनाने की निगम की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

केन्द्र सरकार की आरडीएसएस योजना का क्रियान्वयन करने वाली आरईसी शीर्ष एजेंसी है। सरकार ने पूर्व-निर्धारित पात्रता मानदंडों और न्यूनतम आधार बेंचमार्क हासिल करने के आधार पर डिस्काॅम को परिणाम-से जुड़ी वित्तीय सहायता उपलब्ध कराकर विद्युत वितरण कंपनियों (DISCOMs) की परिचालन क्षमता और वित्तीय स्थिति में सुधार लाने के लिये पुनर्गठित वितरण क्षेत्र योजना (RDSS) की शुरूआत की थी।

ऋण समझौते पर हस्ताक्षर समारोह में केएफडब्ल्यू बैंक की निदेशक (दक्षिण एशिया), सुश्री कारोलिन गैस्सनर, केएफडब्ल्यू के कंट्री निदेशक (भारत) वोल्फ मुथ और केएफडब्ल्यू के विभाग प्रमुख डॉ जुरजेन वेल्स्काॅफ के अलावा जर्मन राजदूतावास के अन्य अधिकारी उपस्थित थे। वहीं आरईसी की तरफ से कार्यकारी निदेशक (बीडीएम, आईएण्डएल) टीएससी बोस के साथ कार्यकारी निदेशक (एसओपी) श्रीमती वाल्ली नटराजन और सीजीएम (बीडीएम) सौरभ रस्तोगी समारोह में उपस्थित रहे।

कार्यकारी निदेशक टीएससी बोस ने विस्तार से बताया कि किस प्रकार केएफडब्ल्यू के साथ भागीदारी से भारत के विद्युत क्षेत्र को मदद मिलेगी। इस घोषणा से न केवल अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के साथ रणनीतिक भागीदारी करने की आरईसी की योग्यता प्रदर्शित होती है, बल्कि भारत में विद्युत वितरण क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाने में हमारी आंतरिक भूमिका भी रेखांकित होती है। केएफडब्ल्यू के साथ इस सहयोग से डिस्काॅम की परिचालन क्षमता और वित्तीय मजबूती पर परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ने की उम्मीद है, जो अंततः आरडीएसएस के व्यापक लक्ष्य को हासिल करने और देश के विद्युत क्षेत्र सुधारों में योगदान करेगा।

आरईसी लिमिटेड, विद्युत मंत्रालय के तहत काम करने वाला केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का महारत्न उपक्रम है, जिसकी स्थापना 1969 में हुई थी। यह विद्युत अवसंरचना क्षेत्र को जिसमें विद्युत उत्पादन, पारेषण, वितरण, नवीकरणीय उर्जा और नई प्रौद्योगिकी जैसे कि इलेक्ट्रिक वाहन, बैटरी स्टोरेज, हरित हाइड्रोजन आदि शामिल हैं, को दीर्घकालिक कर्ज और अन्य वित्तीय उत्पाद उपलब्ध कराता है।

हाल ही में आरईसी ने गैर-विद्युत अवसंरचना क्षेत्र जैसे कि सड़क और एक्सप्रेस-वे, मेट्रो रेल, हवाईअड्डे, आईटी संचार, सामाजिक और वाणिज्यिक ढांचागत सुविधाओं (शैक्षिक संस्थान, अस्पताल), बंदरगाह और विभिन्न अन्य क्षेत्रौं जैसे कि इस्पात, रिफाइनरी आदि में इलेक्ट्रो-मैकेनिकल (ईएण्डएम) कार्य भी शुरू किया है। आरईसी की कुल ऋण राशि 4,74,275 करोड़ रूपये से ऊपर पहुंच गई है।

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