नई दिल्ली (हि.स.)। गणतंत्र दिवस परेड में फ्लाईपास्ट के दौरान उड़ाए जाने वाले ‘टैंगेल’ फॉर्मेशन में हेरिटेज विमान डकोटा शामिल होगा, जिसके साथ दो डोर्नियर-228 विमान होंगे। यह विमान एविएशन टर्बाइन फ्यूल और बायोफ्यूल के मिश्रित मिश्रण का उपयोग करके उड़ान भरेंगे। इस ‘टैंगेल’ फॉर्मेशन का पहली बार भारत ने पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान 11 दिसंबर, 1971 को इस्तेमाल किया था, जब वायु सेना के जवानों को पैराशूट से एयरड्रॉप किया गया था।
गणतंत्र दिवस परेड में इस बार वायु सेना के फ्लाईपास्ट का हिस्सा महिला लड़ाकू पायलट भी होंगी। फ्रांस से भारत को मिला पहला सी-295 परिवहन विमान भी गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लेगा। भारतीय वायु सेना 1971 में पाकिस्तान पर विजय के प्रसिद्ध टैंगेल एयरड्रॉप को भी चित्रित करेगी, जिसमें एक डकोटा विमान और दो डोर्नियर टैंगेल फॉर्मेशन में उड़ान भरेंगे। परेड में कुल 51 विमान भाग लेंगे, जिनमें 29 लड़ाकू विमान, 8 परिवहन और 13 हेलीकॉप्टर और एक विरासत विमान शामिल होंगे। चार विमान भारतीय सेना के और एक भारतीय नौसेना से होगा।
परेड में सुखोई-30 लड़ाकू विमान को फ्लाइंग ऑफिसर अस्मा शेख और फ्लाइट लेफ्टिनेंट अनन्या शर्मा उड़ाएंगी। परेड में 6 राफेल वज्रांग फॉर्मेशन इनवर्टेड वाइन ग्लास फॉर्मेशन में उड़ान भरेंगे। भारतीय सेना एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) ध्रुव के हथियारयुक्त संस्करण का भी प्रदर्शन करेगी, जिसे रुद्र के नाम से भी जाना जाता है। इस बार परेड में फ्रांसीसी सेना की 95 जवानों वाली मार्चिंग कंटीजेंट, 33 जवानों का बैंड और फ्रांसीसी वायु सेना के राफेल जेट और मल्टीरोल टैंकर ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट शामिल होंगे।
भारतीय वायु सेना पहली बार गणतंत्र दिवस परेड के फ्लाईपास्ट में ‘टैंगेल’ फॉर्मेशन का इस्तेमाल करेगी। भारत ने इस हवाई फॉर्मेशन का इस्तेमाल पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान 11 दिसंबर, 1971 को टैंगेल क्षेत्र में पूंगली ब्रिज और नौका को जब्त करने के लिए किया था। इस ऑपरेशन को अक्सर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़े हवाई ऑपरेशन में से एक माना जाता है। इस ऑपरेशन में पाकिस्तानी सेना की 93वीं इन्फैंट्री ब्रिगेड को खदेड़ दिया गया, जो अपनी सुरक्षा को मजबूत करने के लिए ढाका में वापस जाने का प्रयास कर रही थी।
इसी ऑपरेशन के दौरान वायु सेना के जवानों को पैराशूट से एयरड्रॉप किया गया था। इसके बाद पूंगली पुल पर कब्जा होने से आगे बढ़ती भारतीय सेना को सीधे ढाका तक जाने का रास्ता मिल गया। पाकिस्तानी 93वीं ब्रिगेड के सीओ ब्रिगेडियर कादिर को 26 अन्य पुरुषों और अधिकारियों के साथ भारतीय सैनिकों ने 14 दिसंबर को उस समय पकड़ लिया जब वे पैदल कालियाकर की ओर पीछे हटने का प्रयास कर रहे थे।आखिरकार 7,000 में से केवल 900 सैनिक ढाका पहुंच सके, बाकी पाकिस्तानियों को या तो पकड़ लिया गया या मार दिया गया। इसके बाद ढाका में प्रवेश करने वाली पहली भारतीय सेनाएं थीं। इसके लिए भारतीय कमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल कुलवंत सिंह को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था।