केंद्र सरकार ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर ‘डार्क पैटर्न’ के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। ई-कॉमर्स कंपनियां या कारोबारी ‘डार्क पैटर्न’ के जरिए ग्राहकों को गुमराह करने या उनके व्यवहार अथवा पसंद को प्रभावित करने की कोशिश करते है।
सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी ने इस संबंध में ‘डार्क पैटर्न रोकथाम एवं विनियमन दिशानिर्देश’ के लिए गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। यह नोटिफिकेशन भारत में वस्तुओं और सेवाओं की पेशकश करने वाले सभी प्लेटफॉर्म्स, ई-कॉमर्स वेबसाइट और एप, विज्ञापनदाताओं और विक्रेताओं पर भी लागू होगा।
नए दिशा-निर्देशों के अनुसार डार्क पैटर्न के माध्यम से ग्राहकों को गुमराह करके लुभाना, उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन होगा। इसे भ्रामक विज्ञापन या अनुचित व्यापार व्यवहार माना जाएगा। ऐसा करने पर कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के प्रावधानों के अनुसार जुर्माना लगाया जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने बताया कि ई-कॉमर्स बढ़ने के साथ ही उपभोक्ताओं को उनकी खरीदारी के विकल्पों और व्यवहार में हेरफेर करके गुमराह करने के लिए प्लेटफॉर्म्स द्वारा डार्क पैटर्न का तेजी से इस्तेमाल किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि नोटिफाई गाइडलाइंस सभी हितधारकों-खरीदारों, विक्रेताओं, बाजारों और नियामकों के लिए स्पष्टता लाएंगे कि अनुचित व्यापार गतिविधियों के रूप में क्या स्वीकार्य नहीं है. इनका उल्लंघन करने वाला कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत उत्तरदायी होगा।
उल्लेखनीय है कि डार्क पैटर्न एक ऐसा तरीका है, जिससे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स अस्पष्ट और लुभावने ऑफर्स से ग्राहकों को गुमराह करते हैं। इसे इस तरह समझिए कि जब आप कोई वस्तु या गैजेट किसी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर सर्च करते हैं तो उस दौर उसकी कीमत जो दिखती है, वो आपके अकाउंट से लॉग इन होने पर कुछ और दिखने लगती है। इसे ही डार्क पैटर्न कहते हैं, इसमें ग्राहक को अस्पष्ट या लुभावने विज्ञापन के मध्यम से भ्रमित करने की कोशिश की जाती है।