Tuesday, September 17, 2024
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राष्ट्रीय विद्युत योजना में नए थर्मल पावर प्लांट्स के लिए 6,67,200 करोड़ रुपये खर्च करेगी केंद्र सरकार

वर्ष 2031-32 तक अनुमानित बिजली की मांग को पूरा करने के लिए, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) द्वारा उत्पादन योजना स्टडी की गई है। इसके परिणामों के अनुसार यह परिकल्पना की गई है कि 2032 में देश की बेस लोड आवश्यकता को पूरा करने के लिए, आवश्यक कोयला और लिग्नाइट आधारित स्थापित क्षमता 217.5 गीगावॉट की वर्तमान स्थापित क्षमता के मुकाबले 283 गीगावॉट होगी। इसे ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने 2031-32 तक अतिरिक्त न्यूनतम 80 गीगावॉट कोयला आधारित क्षमता स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है।

राष्ट्रीय विद्युत योजना में नई कोयला आधारित थर्मल क्षमता की स्थापना के लिए अनुमानित पूंजी लागत 8.34 करोड़ रुपये/मेगावाट (2021-22 मूल्य स्तर पर) है। इसलिए थर्मल क्षमता वृद्धि में 2031-32 तक न्यूनतम 6,67,200 करोड़ रुपये का व्यय होने की उम्मीद है।

कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट्स पर निर्भरता कम करने के लिए, भारत सरकार ने गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता बढ़ाने की योजना बनाई है। भारत अपने इंटेडेड नेशनल डिटरमिंड कॉन्ट्रिब्युशन (आईएनडीसी) में 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 50 प्रतिशत संचयी विद्युत स्थापित क्षमता हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। वर्तमान में भारत पहले ही गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित संसाधनों  से 45.5% स्थापित क्षमता हासिल कर चुका है।  इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए, देश में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं:

· ऑटोमैटिक रूट के तहत 100 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति;

· 30 जून 2025 तक चालू होने वाली परियोजनाओं के लिए सौर और पवन ऊर्जा की अंतर-राज्य बिक्री के लिए अंतर राज्य ट्रांसमिशन सिस्टम (आईएसटीएस) शुल्क की छूट;

· वर्ष 2029-30 तक नवीकरणीय खरीद दायित्व (आरपीओ) की ट्रेजेक्ट्री की घोषणा;

· बड़े पैमाने पर आरई परियोजनाओं की स्थापना के लिए नवीकरणीय ऊर्जा डेवलपर्स को भूमि और ट्रांसमिशन कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए अल्ट्रा मेगा नवीकरणीय ऊर्जा पार्क की स्थापना;

· प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम), सोलर रूफटॉप चरण II, 12,000 मेगावाट सीपीएसयू योजना चरण II, पीएम सूर्य घर:मुफ्त बिजली योजना जैसी योजनाएं:

· नवीकरणीय ऊर्जा की निकासी के लिए ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर योजना के तहत नई ट्रांसमिशन लाइनें बिछाना और नई सब-स्टेशन क्षमता बनाना;

· सौर फोटोवोल्टिक प्रणाली/उपकरणों की तैनाती के लिए मानकों की अधिसूचना।

· निवेश को आकर्षित करने और सुविधा प्रदान करने के लिए परियोजना विकास सेल की स्थापना;

· ग्रिड कनेक्टेड सोलर पीवी और पवन परियोजनाओं से बिजली की खरीद के लिए टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के लिए मानक बोली दिशानिर्देश;

· सरकार ने आदेश जारी किए हैं कि आरई जनरेटरों को वितरण लाइसेंसधारियों द्वारा समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए लेटर ऑफ क्रेडिट (एलसी) या अग्रिम भुगतान के आधार पर बिजली भेजी जाएगी;

ग्रीन एनर्जी ओपन एक्सेस नियम 2022 के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने की अधिसूचना;

· एक्सचेंजों के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा की बिक्री की सुविधा के लिए ग्रीन टर्म अहेड मार्केट (जीटीएएम) का शुभारंभ;

· भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और उसके डेरिवेटिव के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन शुरू किया गया; और,

· नवीकरणीय ऊर्जा कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 से वित्तीय वर्ष 2027-28 तक आरई बिजली बोलियों के लिए निर्धारित ट्रेजेक्ट्री की अधिसूचना 50 गीगावॉट आरई बोलियों के वार्षिक लक्ष्य के साथ जारी की जाएगी।

इसके अलावा, थर्मल पावर प्लांट्स के उत्सर्जन स्तर में कमी के लिए सरकार द्वारा निम्नलिखित उपाय किए गए हैं:

· वन और पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने दिनांक 07.12.2015 की अधिसूचना और उसके बाद के संशोधनों के माध्यम से कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांटों से सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (एसपीएम), Sox और NOx जैसे स्टैक उत्सर्जन को कम करने के संबंध में मानदंडों को अधिसूचित किया है। इन मानकों को पूरा करने के लिए, थर्मल पावर प्लांट इलेक्ट्रो स्टेटिक प्रीसिपिटेटर (ईएसपी), फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (एफजीडी), एनओएक्स दहन संशोधन आदि तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं

· सबक्रिटिकल थर्मल इकाइयों के स्थान पर कुशल सुपरक्रिटिकल/अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल इकाइयों की स्थापना को बढ़ावा देना

· ऊर्जा मंत्रालय ने कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में सह-फायरिंग के माध्यम से बिजली उत्पादन के लिए बायोमास के उपयोग पर एक नीति जारी की है। तकनीकी व्यवहार्यता का आकलन करने के बाद, नीति में कोयले के साथ मुख्य रूप से कृषि अवशेषों के बायोमास की 5-7% सह-फायरिंग को अनिवार्य किया गया है।

2019 से कोयला, गैस, जल विद्युत और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न बिजली के प्रतिशत का विवरण एनेक्शचर के रूप में संलग्न है।

यह जानकारी ऊर्जा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने आज राज्यसभा में एक जवाब में दी।

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