राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रियों का राष्ट्रीय सम्मेलन 6 और 7 नवंबर 2023 को नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित किया गया था।
केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने सम्मेलन की अध्यक्षता की। सचिव (विद्युत), सचिव (नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय), राज्यों के उप मुख्यमंत्री/बिजली/नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रियों के साथ-साथ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रधान सचिवों ने सम्मेलन में हिस्सा लिया।
सम्मेलन में भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान और नए नवीकरणीय खरीद दायित्व, प्रधानमंत्री कुसुम योजना, छत सौर योजना, राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन, सौर पार्क, हरित ऊर्जा गलियारे, पीएलआई से संबंधित मुद्दे चर्चा में शामिल थे। इसके अलावा पुनर्निर्मित वितरण क्षेत्र योजना (RDSS), डिस्कॉम की व्यवहार्यता मैट्रिक्स, बढ़ती बिजली की मांग और क्षमता वृद्धि, पंप भंडारण परियोजनाओं और राष्ट्रीय ट्रांसमिशन योजना की समीक्षा की गई।
सम्मेलन में बिजली उपभोक्ता नियमों के कार्यान्वयन, कार्बन बाजार, ऊर्जा संक्रमण, ई-मोबिलिटी में राज्यों की भूमिका और स्ट्रीट लाइट राष्ट्रीय कार्यक्रम में ईईएसएल बकाया पर भी चर्चा की गई। राज्यों ने इनमें से प्रत्येक प्रासंगिक मुद्दे पर अपने इनपुट और सुझाव प्रदान किए।
सम्मेलन के दौरान निम्नलिखित विषयों पर प्रमुख रूप से विचार किया गया
- सभी राज्यों द्वारा पारंपरिक और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को शीघ्र चालू करना।
- भविष्य में क्षमता वृद्धि की योजना बनाना।
- राज्यों को अप्रैल 2024 से जून 2024 के दौरान बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करने के लिए कोयले का पर्याप्त भंडार बनाए रखने की सलाह दी गई। चूंकि मांग 250 गीगावॉट तक बढ़ सकती है, इसलिए राज्यों को पर्याप्त कोयला सुनिश्चित करना होगा और इस अवधि का उपयोग स्टॉक बनाने के लिए काम करना होगा। इसके मद्देनजर कोल इंडिया और कैप्टिव खदानों सहित अन्य घरेलू स्रोतों ने आपूर्ति में वृद्धि की है, लेकिन बिजली की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि के कारण यह पर्याप्त साबित नहीं हुआ। किसी भी कमी को आयातित कोयले को मिश्रित करके पूरा किया जाना चाहिए।
- कृषि भार को सौर घंटों पर स्थानांतरित किया जाए। गैर-सौर घंटों के लिए ताप बिजली की बचत की जाए। राज्यों को सौर और गैर-सौर घंटे की बिजली के मिश्रण को अनुकूलित करने के लिए अगले दो से तीन महीनों के दौरान एक योजना विकसित करनी चाहिए।
- आधुनिक भारत लोड शेडिंग के विकल्प पर काम नहीं करता। इसे सुनिश्चित करने के लिए, राज्य जेनको को अपने बिजली संयंत्रों को पूरी क्षमता से चलाने का प्रयास करना चाहिए। बिजली संयंत्रों का रखरखाव/ओवरहाल फरवरी 2024 से पहले पूरा किया जाना चाहिए, ताकि सभी संयंत्र मार्च से जून के दौरान उपलब्ध हो सकें। सभी राज्यों को मार्च 2024 से पहले न्यूनतम पीएलएफ 85 प्रतिशत लक्ष्य के लिए उत्पादन इकाइयों को पुनर्जीवित करना होगा। इस बात पर भी जोर दिया गया कि चल रही परियोजनाओं को तेजी से चालू किया जाए और सभी आगामी पीढ़ी की परियोजनाओं के लिए पर्यावरण और अन्य मंजूरी तथा भूमि की उपलब्धता की योजना तत्काल आधार पर शुरू की जाए।
- विद्युत (उपभोक्ताओं के अधिकार) नियम 2020 के कार्यान्वयन की समीक्षा करते हुए, उपभोक्ताओं को बेहतर आपूर्ति और सेवा के मानकों को सुनिश्चित करने तथा नियमों का पालन न करने की स्थिति में उपभोक्ताओं को मुआवजा देने के लिए राज्यों में स्वचालित और समान मुआवजा तंत्र स्थापित करने की सलाह दी गई। राज्यों को नए कनेक्शन के लिए समय कम करने और बिना किसी लोड शेडिंग के बिजली उपलब्ध कराने की दिशा में काम करने की जरूरत है।
- केंद्र सरकार नेशनल ग्रिड को मजबूत कर रहा है। राज्यों को राज्य ग्रिड को मजबूत करने की सलाह दी गई। यह टीबीसीबी मार्ग के माध्यम से किया जा सकता है।
- वितरण नेटवर्क में नुकसान की पहचान करने और उसे खत्म करने के लिए सभी डीटी और फीडरों की स्मार्ट मीटरिंग के माध्यम से ऊर्जा लेखांकन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
- चौबीसों घंटे नवीकरणीय ऊर्जा के लिए पंप्ड स्टोरेज प्लांट (PSP) सहित भंडारण आवश्यक है। पंप स्टोरेज सस्ता और कम महंगा है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) द्वारा सिंगल विंडो क्लीयरेंस सेल स्थापित किया गया है और पीएसपी के लिए क्लीयरेंस की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। डेवलपर्स को पीएसपी साइटें निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से आवंटित की जानी चाहिए। सीईए, पीएसपी को 90 दिनों में मंजूरी दे रहा है।
- महत्वाकांक्षी ऊर्जा परिवर्तन लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए, सभी राज्यों को तेजी से निर्णय लेने और निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए मुख्य सचिव के अधीन ऊर्जा परिवर्तन पर राज्य स्तरीय समितियां बनाने की सलाह दी गई थी।
- आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए ई-मोबिलिटी और ई-कुकिंग के महत्व पर जोर दिया गया। देशभर में तेल विपणन कंपनियों द्वारा 22000 ईवी चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं। राज्यों एवं डिस्कॉम को दिसंबर 2024 तक इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इन स्टेशनों को समय पर बिजली कनेक्शन जारी करने की सुविधा प्रदान करनी होगी।
7 नवंबर, 2023 को समापन वक्तव्य देते हुए और सम्मेलन के परिणामों पर संतोष व्यक्त करते हुए, केंद्रीय बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने राज्यों के बिजली मंत्रियों से कहा कि राज्य बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा को दुरुस्त करना जरूरी होगा। प्रत्येक तीन महीने में एक बार मंत्रियों का सम्मेलन किया जाना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने बिजली क्षेत्र की टीम इंडिया को देश की आर्थिक वृद्धि के प्रवर्तक के रूप में बधाई दी और कहा कि बिजली प्रणाली अधिक मजबूत और व्यावहारिक है। उन्होंने उन्हें अतिरिक्त प्रयास करने की सलाह दी, ताकि इसे पूरी तरह संभव बनाया जा सके।
राज्य अपनी नीति के अनुसार सब्सिडी दे सकते हैं
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पहला आवश्यक कदम बिजली दर को नियमित रूप से तय करना है, जिसका अर्थ है कि इसे वित्तीय वर्ष शुरू होने से पहले हर साल मार्च की शुरुआत में तय किया जाना चाहिए। दूसरा, टैरिफ लागत प्रतिबिंबित होना चाहिए। राज्य जो चाहें सब्सिडी दे सकते हैं, लेकिन सब्सिडी के लिए भुगतान करना होगा।
बिजली क्षेत्र के प्रदर्शन की नियमित आधार पर करें समीक्षा
केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि सभी सरकारी विभागों को प्रीपेड प्रणाली पर रखा जाना चाहिए, जिससे सरकारी विभागों से भुगतान स्वचालित रूप से सुनिश्चित हो सकेगा। आरके सिंह ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से बिजली क्षेत्र के प्रदर्शन की नियमित आधार पर समीक्षा करने को भी कहा।
उन्होंने कहा, राज्यों के मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों को नियमित रूप से डिस्कॉम और उत्पादन कंपनियों के प्रदर्शन की समीक्षा और निगरानी करनी चाहिए, ताकि यह देखा जा सके कि बिजली का पूरा हिसाब-किताब कर लिया गया है, बिलिंग दक्षता 87 प्रतिशत से ऊपर है, संग्रह दक्षता 97 प्रतिशत से ऊपर है। तभी प्रणाली में जवाबदेही आएगी और प्रणाली कायम रहेगी और बेहतर होगी। केंद्रीय मंत्री ने सभी राज्यों को आश्वासन दिया कि भारत सरकार राज्यों के साथ मिलकर एक टीम के रूप में काम करेगी।