Sunday, November 3, 2024
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929 करोड़ कमाने वाली बिजली कंपनी का कर्मी उधार में करवा रहा इलाज, करंट लगने से कटा हाथ

मध्य प्रदेश की पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी जबलपुर द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 के अंतिम माह मार्च 2024 में 929.36 करोड़ रुपये के राजस्व का संग्रहण किया था, लेकिन इसे कंपनी प्रबंधन की अमानवीयता और असंवेदनशीलता ही कहा जाएगा कि एक महीने में 929.36 करोड़ रुपये कमाने वाली बिजली कंपनी का कर्मी अपना उपचार उधार लेकर करवा रहा है, वो भी अधिकारी के नियम विरुद्ध आदेश पर कंपनी का कार्य करते हुए घायल होने पर।

मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि पूर्व क्षेत्र कंपनी के अंतर्गत जबलपुर ग्रामीण सर्किल के सिहोरा संभाग के कार्यपालन अभियंता कार्यालय के तहत मझौली डीसी के पटोरी गांव में सीमेंट का विद्युत पोल टूटने पर 9 अप्रैल 2024 की दोपहर 2 बजे जूनियर इंजीनियर के द्वारा आउटसोर्स कर्मी राजेश प्रधान उम्र 36 वर्ष को सुधार कार्य के लिए भेजा गया था। जूनियर इंजीनियर द्वारा नियमों की अनदेखी करते हुए तीन विद्युत पोलों की 11 केवी लाइन खींचने के लिए पांच कर्मियों की जगह सिर्फ एक आउटसोर्स कर्मी को भेजा गया था।

आउटसोर्स कर्मी ने ग्रामीणों का सहयोग लेकर पोल पर लाइन खींचकर जोड़ दी और इसके बाद बंद सप्लाई चालू करने के लिए 11 केवी लाइन में डिस्चार्ज रॉड लगाकर जांच करते समय कर्मी को अचानक करंट लग गया, जिससे कर्मी के दोनों हाथ एवं दोनों पैर के पंजे जल गए। ग्रामीणों के द्वारा घायल कर्मी को तत्काल पटोरी गांव से ले जाकर मेडिकल अस्पताल में भर्ती कर दिया गया। हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि 12 अप्रैल 2024 को कर्मी के परिजनों ने उसे मेडिकल अस्पताल से छुट्टी कराकर निजी अस्पताल की आईसीयू बर्न यूनिट में भर्ती कर दिया। जहां डॉक्टर के द्वारा बताया गया कि दाहिना हाथ का पंजा करंट लगने से बुरी तरह जल गया है, और इसके बाद डॉक्टर ने 19 अप्रैल 2024 को दाहिने हाथ का पूरा पंजा ऊपर से काट कर अलग कर दिया।

हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि जूनियर इंजीनियर के द्वारा आउटसोर्स कर्मी को अकेले तीन पोल की लाइन खींचने के लिए भेजा गया था, जबकि नियमानुसार उसके साथ पांच कर्मचारियों को और भेजना था। कर्मी के साथ में सुरक्षा उपकरण भी भेजना था, अगर अन्य और कर्मचारी होते तो शायद यह घटना नहीं घटती। वहीं ठेका कंपनी प्राइम वन प्राइवेट लिमिटेड के अंतर्गत कार्यरत कर्मी को न तो ठेका कंपनी का संचालक देखने आया और ना ही सुपरवाइजर। वहीं आउटसोर्स कर्मियों के प्रति बिजली कंपनी प्रबंधन का व्यवहार भी उस सौतेली मां की तरह है जो अपने सौतेले बच्चे से घर के सभी कार्य करवा लेती, लेकिन दिन भर भूखा रखती है। इसी तरह बिजली कंपनी प्रबंधन भी आउटसोर्स कर्मियों से विभाग के सभी कार्य करवा लेता है लेकिन कोई दुर्घटना होने पर न ही आर्थिक सहायता देकर उपचार करवाता है और न ही कोई सुध लेता है।

हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि आउटसोर्स कर्मी राजेश प्रधान अत्यधिक गरीब है और उसके तीन बच्चे हैं। साथ ही उसके ऊपर उसकी मां की भी जिम्मेदारी है, जबकि उसके पिता की मृत्यु हो चुकी है। आउटसोर्स कर्मी अपने रिश्तेदार से उधार पैसे लेकर अपना इलाज करवा रहा है। अब तक ₹80000 इलाज में खर्च हो चुके हैं। संघ के मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, लखन सिंह राजपूत, विनोद दास, संदीप दीपंकर, इंद्रपाल सिंह, राम शंकर कटारिया, ख्याली राम, शशि उपाध्याय, राजेश पटेल, अमीन अंसारी, मदन पटेल, दशरथ शर्मा आदि ने पूर्व क्षेत्र कंपनी प्रबंधन से मांग की है कि ठेका कंपनी प्राइम वन प्राइवेट लिमिटेड का ठेका निरस्त किया जावे। क्योंकि ठेका कंपनी द्वारा दुर्घटना होने के बाद से आज तक कोई भी सहयोग नहीं किया गया और न ही कोई सुध लेने आया। साथ ही इस घटना की सूक्ष्मता से जांच कर दोषी के ऊपर कार्यवाही की जाए।

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