मोदी सरकार द्वारा पीडब्ल्यूडी (दिव्यांगजनों) हेतु आरक्षण के लिए दिव्यांगता श्रेणियों की संख्या 3 से बढ़ाकर 5 कर दी गई है। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह जानकारी उनसे मुलाकात के लिए आए दिव्यांग कर्मचारी राष्ट्रीय संगठन के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ साझा की।
डॉ. सिंह डीओपीटी (कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग) के भी प्रभारी हैं। उन्होंने कहा कि पहले की तीन श्रेणियों 1) दृष्टि बाधितता और अल्प दृष्टि 2) श्रवण बाधितता और कम, ऊंचा सुनना और 3) सेरेब्रल पाल्सी, कुष्ठ रोग से मुक्त, बौनापन, एसिड अटैक पीड़ित और मस्कुलर डिस्ट्रॉफी सहित लोकोमोटर दिव्यांगता, इनमें शामिल की गई दो और श्रेणियां हैं 4) ऑटिज़्म, बौद्धिक दिव्यांगता, विशिष्ट सीखने की दिव्यांगता और मानसिक रोग, और 5) खंड (1) से (4) के अंतर्गत व्यक्तियों में श्रवण बाधितता-दृष्टि बाधितता सहित बहु- दिव्यांगताएं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने दिव्यांगों के हित के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं लागू की हैं। उन्होंने कहा, ऐसा समाज के उन वर्गों पर ध्यान देने की प्रधानमंत्री श्री मोदी की प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए किया गया है, जिन्हें पिछली सरकारों ने मुख्यधारा से बाहर कर दिया था।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने 2014 में सत्ता संभालने के बाद से दिव्यांगों के कल्याण के लिए अनेक कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा, दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत, दिव्यांगता की श्रेणियों की संख्या 3 से बढ़ाकर 5 कर दी गई है तथा अधिक प्रकार की दिव्यांगताओं को शामिल करने की शक्ति केंद्र सरकार के पास बरकरार है। इसके अलावा, दिव्यांगों के लिए केंद्र सरकार की सेवाओं में आरक्षण कोटा 3 से बढ़ाकर 4 प्रतिशत और शिक्षा में 5 प्रतिशत कर दिया गया है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार समावेशी समाज और दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, सिविल सेवा परीक्षा में दिव्यांगों के लिए शुल्क में छूट, सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले दिव्यांगों के लिए होम कैडर के दो विकल्प, दिव्यांग पेंशन में वृद्धि, परिचारक भत्ते में वृद्धि आदि इस सरकार द्वारा दिव्यांगों के कल्याण के लिए हर संभव कदम उठाए गए हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि दिव्यांगों के लिए सृजित लगभग 15,000 पद, जो लंबे समय से खाली थे, सरकार द्वारा एक विशेष अभियान के तहत भरे गए। यह प्रधानमंत्री श्री मोदी का विचार था जिन्होंने दिव्यांग व्यक्तियों को संबोधित करने के लिए ‘विकलांग’ के बजाय ‘दिव्यांग’ (दिव्य शरीर) नाम दिया। डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय में भी दिव्यांगों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और स्टार्टअप में सहायता प्रदान करने के लिए पिछले 9 वर्षों में कई योजनाएं शुरू की गई हैं।