नई दिल्ली (हि.स.)। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि दुनिया धीरे-धीरे एक बहुध्रुवीय एशिया और बहुध्रुवीय विश्व की ओर बढ़ रही है। ऐसे में उभरती विश्व व्यवस्था में आसियान और भारत की महत्वपूर्ण भूमिका होने वाली है। यह इस बात को भी रेखांकित करती है कि भारत और आसियान के बीच अधिक सहयोग और समन्वय की आवश्यकता है।
विदेश मंत्री ने प्रथम आसियान फ्यूचर फोरम को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। उन्होंने वियतनाम के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री को इसके सफल आयोजन के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि क्वाड नेता आसियान केंद्रीयता और एकता को अटूट समर्थन देते हैं। हमारा मानना है कि क्वाड इन्फ्रास्ट्रक्चर और एसटीईएम छात्रवृत्ति जैसे जनकेंद्रित लाभों के वितरण से क्षेत्र को समृद्ध मिलेगी। हमारा मानना है कि अब समय आ गया है कि ग्लोबल साउथ अपना दृष्टिकोण पेश करे और अंतरराष्ट्रीय मामलों में बड़ी भूमिका निभाए। पिछले साल जी20 अध्यक्ष के रूप में हमने कई आसियान सदस्य देशों की भागीदारी के साथ वर्चुअल वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन आयोजित किया था।
विदेश मंत्री ने कहा कि आसियान हमारी एक्ट ईस्ट पॉलिसी के केंद्र में है और भारत की व्यापक इंडो-पैसिफिक दृष्टि में एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। हम आसियान एकता, केंद्रीयता और इंडो-पैसिफिक पर आसियान आउटलुक का समर्थन करते हैं। भारत का मानना है कि एक मजबूत और एकीकृत आसियान हिंद-प्रशांत की उभरती क्षेत्रीय व्यवस्था में रचनात्मक भूमिका निभा सकता है।
उन्होंने कहा कि भारत दक्षिण पूर्व एशिया में मैत्री और सहयोग की संधि को स्वीकार करने वाले पहले देशों में से एक था, जो क्षेत्र में शांति, समृद्धि और स्थिरता बनाए रखने के प्रति हमारे सामूहिक संकल्प को दर्शाता है। यह महत्वपूर्ण है कि नौवहन और हवाई उड़ान की स्वतंत्रता और निर्बाध वाणिज्य का सम्मान किया जाए और उसे सुगम बनाया जाए। समुद्र के कानूनों पर 1982 का संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन एक व्यापक कानूनी ढांचा प्रदान करता है और समुद्र के संविधान के रूप में कार्य करता है जिसके भीतर महासागरों और समुद्रों में सभी गतिविधियां की जानी चाहिए।