देश के बिजली उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने, उपभोक्ताओं के अधिकारों को निर्धारित करने और इन अधिकारों को लागू करने की एक प्रणाली शुरू करने के उद्देश्य से, बिजली क्षेत्र में व्यापार करने में आसानी की सुविधा प्रदान करते हुए, बिजली मंत्रालय ने बिजली (उपभोक्ताओं का अधिकार) नियमों को प्रख्यापित किया है।
बिजली प्रणालियाँ उपभोक्ताओं की सेवा के लिए मौजूद हैं और उपभोक्ताओं को विश्वसनीय सेवाएँ और गुणवत्तापूर्ण बिजली प्राप्त करने का अधिकार है। ये नियम देश भर में वितरण कंपनियों द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न सेवाओं के लिए समय सीमा और मानक निर्धारित करते हैं अन्यथा उन्हें अपने उपभोक्ताओं को मुआवजा देना होगा।
ये नियम लाइसेंसधारी के दायित्वों को निर्दिष्ट करते हैं और उन प्रथाओं को निर्धारित करते हैं,बिजली जिन्हें उपभोक्ताओं को कुशल, लागत प्रभावी, विश्वसनीय और उपभोक्ता-अनुकूल सेवाएं प्रदान करने के लिए लाइसेंसधारी द्वारा अपनाया जाना चाहिए।
भारत सरकार ने 14 जून 2023 को बिजली (उपभोक्ताओं के अधिकार) नियम, 2020 में संशोधन किया है, जिसमें टाइम ऑफ डे (टीओडी) टैरिफ की शुरुआत करके नवीकरणीय स्रोतों से बिजली की अधिक से अधिक खपत की सुविधा के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव लाया गया है।
जहां बिजली की कीमतें दिन के समय के आधार पर बदलती रहती हैं, ताकि सौर घंटों के दौरान अधिक बिजली के उपयोग को प्रोत्साहित करते हुए उपभोक्ताओं के उपभोग व्यवहार को बदलने के लिए मूल्य संकेत दिया जा सके।
टीओडी तंत्र का उद्देश्य उपभोक्ताओं को अपने भार का प्रबंधन करने और बिजली बिलों को कम करने के लिए प्रोत्साहित करना है, साथ ही मांग को उच्च नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन अवधि में स्थानांतरित करने के लिए प्रोत्साहित करके नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के बेहतर एकीकरण की सुविधा प्रदान करना है। अधिकांश राज्य विद्युत नियामक आयोग पहले ही बड़े वाणिज्यिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए टीओडी टैरिफ लागू कर चुके हैं।
सरकार ने व्यवसाय करने में आसानी के साथ-साथ जीवनयापन में आसानी के लिए स्मार्ट मीटरिंग के नियमों को भी सरल बना दिया है। उपभोक्ताओं की असुविधा या उत्पीड़न से बचाने के लिए उपभोक्ता की मांग में अधिकतम स्वीकृत भार अथवा मांग से अधिक वृद्धि पर मौजूदा जुर्माने को कम कर दिया गया है।
मीटरिंग प्रावधान में संशोधन के अनुसार स्मार्ट मीटर की स्थापना के बाद, स्थापना तिथि से पहले की अवधि के लिए स्मार्ट मीटर द्वारा दर्ज की गई अधिकतम मांग के आधार पर उपभोक्ता पर कोई दंडात्मक शुल्क नहीं लगाया जाएगा।
लोड संशोधन प्रक्रिया को भी इस तरह से तर्कसंगत बनाया गया है कि अधिकतम मांग को केवल तभी ऊपर की ओर संशोधित किया जाएगा, जब स्वीकृत लोड एक वित्तीय वर्ष में कम से कम तीन बार से अधिक हो गया हो।
इसके अलावा स्मार्ट मीटर को दिन में कम से कम एक बार दूर से पढ़ा जाएगा और उपभोक्ताओं के साथ डेटा साझा किया जाएगा, ताकि वे बिजली की खपत के बारे में उचित निर्णय ले सकें।