Saturday, December 21, 2024
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यूनाइटेड फोरम ने प्रमुख सचिव एवं MPPMCL के प्रबंध संचालक से मांगा चर्चा हेतु समय

यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्पलाइज एंड इंजीनियर्स मध्य प्रदेश के प्रांतीय अध्यक्ष व्हीकेएस परिहार ने प्रदेश के प्रमुख सचिव ऊर्जा एवं एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी के एमडी को पत्र लिखकर विद्युत कंपनियों में कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों की समस्याओं और मांगों के संबंध में चर्चा हेतु समय मांगा है।

व्हीकेएस परिहार ने कहा कि यूनाईटेड फोरम लगातार पिछले कई वर्षों से विद्युत कंपनियों में कार्यरत अभियंताओं एवं कर्मचारियों की विभिन्न लंबित मांगों के संबंध में चर्चा कर उनके निराकरण हेतु निवेदन करता रहा है। इस संबंध में पूर्व में ऊर्जा मंत्री एवं प्रमुख सचिव (ऊर्जा) से कई वार्ताएं भी हुई, जिसमें कुछ मुद्दों पर समाधान किये गये, लेकिन अधिकांश मुद्दों पर ऊर्जा मंत्री के आश्वासन के उपरांत भी मांगों का निराकरण लंबित है।

उन्होंने कहा कि लंबित मांगों के साथ-साथ वर्तमान परिस्थितियों में विद्युत सेक्टर के साथ-साथ अधिकारियों एवं कर्मचारियों के हितों को देखते हुये निम्न बिन्दुओं पर चर्चा करने हेतु कृपया माह मई-2024 में समय प्रदान करने का कष्ट करें, जिससे सभी मुद्दों पर चर्चा कर उनका निराकरण हेतु कार्यवाही शुरू की जा सके।

प्रमुख मांगें

मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मंडल की उत्तरवर्ती कंपनियों में मानव संसाधन से संबंधित नियमों में एकरूपता लाने हेतु एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी को अधिकृत किया जाये। किसी भी प्रकार के आदेश को एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी के द्वारा निकालने पर सभी कंपनियों में लागू माना जाना चाहिये। क्योंकि सभी कंपनियों के मानव संसाधन विभागों द्वारा नियमों की अलग-अलग व्याख्या की जाती है, जिससे कि कर्मचारियों की समस्याओं का निराकरण समय से नहीं हो पाता है। यह व्यवस्था लागू होने से सभी

कंपनियों में समय के साथ-साथ मानव संसाधन का भी दुरूपयोग भी रोका जा सकेगा। सभी कंपनियों के संगठनात्मक संरचना में संशोधन हेतु फोरम द्वारा सुझाव पूर्व में ही प्रेषित किये जा चुके है एवं यह पिछले 15 वर्षों से लंबित है। कृपया इस पर शीघ्रतिशीघ्र कार्यवाही कर सभी कंपनियों विशेष रूप से ट्रांसमिशन एवं वितरण कंपनियों के संगठनात्मक संरचना का पुर्नगठन शीघ्र कराकर खाली नियमित पदों को तुरंत भरा जाये, जिससे कि मप्र के युवाओं को रोजगार के अवसर विद्युत कंपनियों में उपलब्ध होने के साथ-साथ विद्युत व्यवस्था सुचारू रूप से चलाई जा सकेगी एवं राजस्व संबंधी कार्यों में सुधार होगा। वर्तमान में लागू संगठनात्मक संरचना अनुसार भी रिक्त पदों पर भर्तिया नहीं की जा रही है, उसमें तुरंत चालू की जाये। पिछले वर्ष प्रमुख सचिव (ऊर्जा) द्वारा लगभग 5000 नियमित भर्ती का आश्वासन दिया गया था लेकिन इसमें 10% भर्तियां भी नहीं की जा सकी है।

मप्र शासन अनुसार चतुर्थ वेतनमान सभी कंपनियों में तुरंत लागू किया जाये, इस संबंध में प्रबंध संचालक एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी द्वारा 7 अक्टूबर 2023 को संगठनों के साथ हुई वार्ता में लिखित में आश्वासन भी दिया जा चुका है। फोरम के संज्ञान में आया है कि उक्त आदेश ऊर्जा विभाग में लंबित है।

मप्रराविमं के कर्मियों की पेंशन की सुनिश्चित व्यवस्था करते हुऐ उत्तर प्रदेश शासन की तरह गारंटी लेकर पेंशन ट्रेजरी से देना शुरू की जाये। पेंशन की सुनिश्चित व्यवस्था हेतु पेंशन ट्रस्ट में पर्याप्त राशि जमा करवाकर पेंशन की गारंटी अन्य प्रदेशों के अनुसार मध्यप्रदेश में भी शासन द्वारा ली जावे, ताकि मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मण्डल की उत्तरवर्ती कंपनियों के कर्मचारियों की पेंशन सुनिश्चित हो सके। फोरम के संज्ञान में है कि सेवानिवृत्त के समय सभी प्रकार के लाभ का भुगतान समय से नहीं किया जा रहा है, अतः निवेदन है कि सेवानिवृत्त के समय सभी प्रकार के लाभ का भुगतान समय सीमा में किया जाये।

भाजपा जनसंकल्प 2013 एवं आन्ध्राप्रेदश, बिहार शासन एवं मप्र के कुछ विभागों के अनुसार ऊर्जा विभाग के संविदा कर्मियों का नियमितीकरण किया जायें। परीक्षण सहायक 2013 भर्ती विसंगति को दूर करते हुये सीधे निय‌मित किया जाये। शासन द्वारा प्रस्तावित संविदा नीति-2023 को विद्युत कंपनियों की कार्यप्रणाली के अनुसार वर्तमान में लागू संविदा नीति से कमतर न होने की समीक्षा उपरांत ही लागू किया जाये, जो कि वर्तमान में ऊर्जा विभाग में लंबित है।

मप्र की विद्युत कंपनियों में सहायक एवं कनिष्ट अभियंता से भर्ती हुए अभियंताओ को द्वितीय और तृतीय वेतनमान मे 03 विलोपित करते हुए पीबी-4 (03) का वेतनमान प्रदान किया जाए एवं वर्ष 2018 के पश्चात नियुक्त कनिष्ट अभियंताओं के ग्रेडपे 3200 की जगह 4100 कर एवं इसी प्रकार अन्य संवर्गों में भी वेतनमान में व्याप्त विसंगतियों को तदानुसार सातवें वेतनमान की मेट्रिक्स में संसोधन किया जाये, ताकि समान-कार्य-समान वेतन को परिलिक्षित किया जा सके।

गुजरात राज्य की चारों शासकीय वितरण कंपनियां मुनाफे में चलने के साथ-साथ अखिल भारतीय स्तर पर वितरण कंपनियों में शीर्ष स्थान पर है, अतः उन कंपनियों का अध्ययन कर, उसी प्रकार की व्यवस्था मप्र में भी लागू की जायें, जिससे मप्र की वितरण कंपनियों को भी मुनाफे में लाया जा सके। इस संबंध में एक प्रेजेटेशन एवं अन्य सुझाव भी फोरम आपके समझ प्रस्तुत करने हेतु तैयार है।

विद्युत कंपनियों में उच्च शिक्षा प्राप्त विभागीय कनिष्ट अभियंताओं को सहायक अभियंता एव विभागीय कर्मचारियों को कनिष्ट अभियंता के पद पर नियुक्ति हेतु आरक्षण नीति बनायी जाये। म.प्र.म.क्षे.वि.वि.के. में सहायक राजस्व अधिकारियों की नीति एवं कार्यपद्धति को स्पष्ट किया जाये।

आऊटसोर्स के निकाले गये कर्मियों को वापस लिया जाये। कंपनियों में कार्यरत बाह्य स्त्रोत कर्मचारियों को तेलगांना, दिल्ली एवं हिमाचल प्रदेश के शासन की तरह सेवायें सुरक्षित रखते हुये आऊटसोर्स कर्मचारियों हेतु स्थायी नीति बनाकर अनुभव के आधार पर न्यूनतम वेतन अधिनियम के अनुसार न्यूनतम वेतन 18000 रुपये की जाये एवं प्रतिवर्ष मिनिमम वेतनवृद्धि के साथ 20 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा एवं जोखिम भत्ता 3000 रुपये किया जाये।

जनरेशन कंपनी में अमरकंटक 660 मेगावाट की नवीन परियोजना को जे.व्ही. (Joint Venture) के बजाय जनरेशन कंपनी के पूर्ण स्वामित्व में निमार्ण किया जाये जिससे बड़े हुऐ दरों का भार उपभोक्ताओं पर न पड़े एवं ट्रांसमिशन कंपनी में लागू टीवीसीवी प्रक्रिया वापस लिया जाये।

वर्षों से लंबित फ्रिज बेनिफिट का पुनरीक्षण एवं लंबित कैसलेस मेडिक्लेम पॉलिसी लागू की जाये। फोरम के संज्ञान में आया है कि छत्तसगढ़ पॉवर डिस्ट्रब्यूशन कंपनी लिमिटेड द्वारा अपने अधिकारियों एवं कर्मचारियों हेतु एक नई कैशलेश मेडिकल सुविधा उपलब्ध करायी गयी है, जिसका अध्ययन कर उसी प्रकार की सुविधा म.प्र. की विद्युत कंपनियों में भी लागू की जाये ।

वितरण कंपनियों में कंपनी केडर के कार्यरत सभी नियमित एवं संविदा कर्मचारी जो कि अपने गृह जिले से अत्यंत दुरस्थ क्षेत्रों में कार्य कर रहे है, जो कि अत्यंत अल्प वेतन भोगी है एवं गृह ग्राम जाने एवं अपने माता-पिता की देख रेख करने में समय के साथ-साथ आर्थिक भार भी पड़ता है। अतः फोरम शासन से यह मांग करता है कि सभी वितरण कंपनियों में पदस्थ नियमित एवं संविदा कर्मचारियों को एक बार उनके आवेदन लेकर उनके गृह जिलों में पदस्थापना की जायें एवं गृह जिला स्थानांतरण नीति बनायीं जाये।

विगत वर्ष विदिशा जिले में लोकायुक्त प्ररकण के उपरांत अधिकारियों के विरूद्ध की गयी जांच उपरांत की गई अत्यंत कठोर कार्यवाही की स्वतंत्र/न्यायिक जांच कराई जाये। फोरम के संज्ञान में आया है कि उक्त कई कड़ी कार्यवाहियों को माननीय उच्च न्यायालय द्वारा समाप्त या स्थगित कर दिया गया है। अतः सभी प्रकरणों की पुनः समीक्षा की जाये।

प्रायः देखा जा रहा है कि सभी वेतन आयोगों में कहीं न कहीं वेतन विसंगतियां पैदा हो जाती है। वर्तमान में विभिन्न वर्गों में व्याप्त वेतन विसंगतियों निम्नानुसार है जिसका निराकरण किया जाये, यथा- मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड में कंपनी द्वारा नियुक्त परीक्षण परिचारक श्रेणी-2 चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी को शैक्षणिक योग्यता ।। के आधार पर नियम अनुसार परीक्षण सहायक श्रेणी-2 (तृतीय श्रेणी) में रखकर 2500 रुपये ग्रेड पे के अनुसार सातवें वेतनमान में वेतन निर्धारित किया जाये। अनुभाग अधिकारी के वेतन ग्रेड पे को राज्य शासन के आदेशानुसार प्रदान करने विषयक-मध्य प्रदेश शासन के वित्त विभाग के आदेश क्रमांक 08-1-15/नियम चार 7-06-2018 को विद्युत कंपनियों में अविलंब ग्राहय कर अनुभाग अधिकारी संबर्ग की ग्रेड पे 4400 रुपये में राज्य शासन के अनुभाग अधिकारी हेतू संशोधित ग्रेड पे 4200 रुपये से 4800 रुपये के सादृश्य समानुपातिक वृद्धि करते हुए तदनुसार 1-1-2016 से सातवें वेतन पुनरीक्षण नियम के तहत वेतन पुनर्निर्धारण कर दिनांक 30.6.18 तक काल्पनिक बिना एरियर्स और 1.07.2018 से नगद भुगतान करने की कार्यवाही करें। ग्रामीण विद्युत सहकारी समितियों के कर्मचारियों एवं 6वें वेतनमान से संबंधित सभी वर्गों के सभी अन्य वेतन विसंगतियों को भी दूर किया जाये।

विद्युत कंपनियों में अनुकंपा नियुक्ति वर्ष 1998 से बन्द कर दी गयी थी, जिसे 2012 में पुनः कई शर्तों के साथ लागू किया गया था, जबकि मध्यप्रदेश शासन में अनुकंपा नियुक्ति में ऐसा कोई भी बंधन/नियम प्रचलित नहीं है। विद्युत कंपनियों द्वारा अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरणों में 15.11.2000 के बाद से केवल दुघर्टना प्रकरणों एवं 10.04.2012 के उपरांत सभी प्रकरणों जैसे सामान्य मृत्यु एवं दुर्घटना मृत्यु पर अनुकंपा नियुक्ति दी जा रही है। अतः फोरम मांग करता है कि सभी अनुकंपा नियुक्तियां सभी प्रकार के मृत्यु प्रकरणों में मध्यप्रदेश शासन के नियमानुसार विद्युत कंपनियों में बिना शर्त नियमित पदो पर दी जाये।

पदोन्नति के अवसरों का सर्वथा अभाव होने से हजारों कर्मी जिस पद पर भर्ती होते है उसी पद पर सेवानिवृत हो रहे है। निवेदन है कि प्रत्येक विद्युत कर्मी को सेवानिवृत्ति से 3 माह पूर्व अधिसंख्य पद निर्मित कर उच्चतर पदनाम प्रदान किया जाये, ताकि 35-38 वर्ष की सेवा प्रदान करने के उपरांत वे सम्मान सेवानिवृत्त हो सके। इसका कोई भी वित्तीय भार कंपनियों पर नहीं आयेगा। इस प्रकार की सुविधा छत्तीसगढ़ पॉवर होल्डिंग कंपनी में लागू है।

सीखो कमाओं योजना के अंतर्गत विद्युत कंपनियों में कार्यरत अभ्यार्थिओ को आऊटसोर्स, संविदा, नियमित पदों पर प्राथमिकता दी जाये। कृपया उक्त बिन्दुओं पर विस्तृत चर्चा करने हेतु माह मई-2024 में समय प्रदान करने का निवेदन है, जिससे चुनाव आचार संहिता समाप्त होने पर उपरोक्त बिन्दुओं का निराकरण हो सके।

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