अक्षय तृतीया कल, सोलह वर्ष बाद बन रहा विशेष संयोग

अक्षय तृतीया को आखा तीज भी कहते हैं। अक्षय तृतीया का सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी विशेष महत्व है। इस बार 16 वर्षों के बाद अक्षय तृतीया के दिन विशेष संयोग बन रहा है। मान्यता है कि इस दिन बिना कोई पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह-प्रवेश, वस्त्र-आभूषणों की खरीददारी या घर, भूखंड, वाहन आदि की खरीददारी से संबंधित कार्य किए जाते हैं। इस दिन नये वस्त्र, आभूषण आदि धारण करना और नए कार्य का शुभारंभ श्रेष्ठ माना जाता है। पुराणों के अनुसार इस दिन पितरों को किया गया तर्पण तथा पिन्डदान अथवा किसी और प्रकार का दान, अक्षय फल प्रदान करता है। इस दिन किया गया जप, तप, हवन, स्वाध्याय और दान भी अक्षय हो जाता है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 16 साल बाद अक्षय तृतीया पर चार बड़े ग्रहों का शुभ संयोग बन रहा है। ऐसा योग बेहद दुर्लभ होता है। अक्षय तृतीया पर चार बड़े ग्रह सूर्य, शुक्र, चंद्र और राहू अपनी उच्च राशि में होंगे। इसे बेहद शुभ माना गया है। अक्षय तृतीया पर सोने की खरीदी शुभ मानी जाती है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन पूजा मुहूर्त सुबह 6:40 से 12:26 बजे तक रहेगा। तृतीया तिथि का प्रारंभ 6 और 7 मई की दरम्यानी रात 12:47  बजे से होगा। सोना खरीदने के लिए शुभ मुहूर्त 7 मई मंगलवार को सुबह 6:26 बजे से रात 11:47 बजे तक रहेगा। वहीं खरीदारी का मुहूर्त इस दिन सुबह 7 से रात 11:45 बजे तक रहेगा।
स्कंद पुराण और भविष्य पुराण में उल्लेख है कि वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को रेणुका के गर्भ से भगवान विष्णु ने परशुराम रूप में जन्म लिया। कोंकण और चिप्लून के परशुराम मंदिरों सहित पूरे देश में इस दिन परशुराम जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है।